अनुच्छेद 370 हटने के बाद नए कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीं पर वापसी की उम्मीद फिर से जगी है। कश्मीरी पंडित इसके लिए तैयार भी हैं पर उन्होंने सरकार से पहले अपना विशेष क्षेत्र और सियासत में अपना प्रतिनिधित्व मांगा है। शनिवार को पनुन कश्मीर ने कश्मीरी पंडित सभा सभागार में आयेाजित कार्यक्रम में सरकार के समक्ष घर वापसी का मसौदा भी पेश किया। इस दौरान पनुन कश्मीर का कहना था कि कश्मीरी पंडितों का घाटी में वापसी का मार्ग प्रशस्त होने लगा है। ऐसे में आवश्यक है कि उन्हें एक ही जगह पर बसाया जाए, ताकि वह अपनी संस्कृति, समाज से जुड़े रहें और सुरक्षित वातावरण में रह सकें।
28वें मार्गदर्शन दिवस पर अपनी बात रखते हुए कश्मीरी पंडितों ने कहा कि वापसी कश्मीरी पंडितों के अनुकूल होनी चाहिए, ताकि उनका सही ढंग से पुनर्वास हो सके। पंडितों ने कहा कि पिछले तीस साल से वे अपनी मातृभूमि से जुदा हैं। इस मौके पर भाजपा के संगठन मंत्री अशोक कौल को समाज के लिए किए गए काम को लेकर सम्मानित भी किया गया। कौल ने समाज को आश्वस्त किया कि उनके लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेंगे। इस मौके पर अश्विनी चरंगु द्वारा कश्मीर पर लिखी गई पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
इस मौके पर पनुन कश्मीर ने सात प्रस्ताव पारित किए हैं। सभी उपस्थिति साथियों ने इन प्रस्ताव पर मुहर लगाई है:- 1) राज्य की विधानसभा में पंडितों के लिए पांच सीटें आरक्षित की जाएं।
2) कश्मीरी पंडितों से हुई प्रताड़ना की जांच के लिए स्पेशल क्राइम ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाए।
3) मंदिरों और श्राइन के संरक्षण के लिए बिल या अध्यादेश लाए केंद्र सरकार।
4) कश्मीरी पंडित युवाओं को छह हजार सरकारी नौकरी दी जाए।
5) ओवरएज हो चुके लोगों को वरीयता देते हुए उनके उत्थान के लिए योजनाएं शुरू की जाए। 6) कश्मीरी पंडितों की घर वापसी सुनिश्चित हो और उन्हें एक ही स्थान पर बसाया जाए।