4100 लोगों पर मुकदमे के बाद शोभन सरकार की अकूल संपत्ति को लेकर छिड़ा विवाद

कानपुर – उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक हजार टन सोना की भविष्यवाणी कर पूरी दुनिया में चर्चा में आये शोभन सरकार बीते दिनों ब्रह्मलीन हो गये। ब्रह्मलीन के बाद जल समाधि के दौरान उमड़ी भक्तों की भीड़ ने लॉकडाउन का जमकर उल्लंघन किया था और पुलिस ने 4100 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद एक बार शोभन सरकार इस बात को लेकर चर्चा में आ गये क्योंकि उनके परिजनों ने आश्रम में रह रहे शिष्यों पर आरोप लगा दिया कि शोभन सरकार की संपत्ति का बंदरबाट होने जा रहा है। परिजनों ने उत्तर प्रदेश सरकार से दखल देने की मांग की है और साथ ही अकूल संपत्ति को ट्रस्ट में बदलने की भी मांग की है।

उन्नाव के डौंडियाखेड़ा में एक हजार टन सोना गड़ा होने की बात कहकर चर्चा में आए संत शोभन सरकार का बीते 13 मई की सुबह निधन हो गया। 70 साल की उम्र में उनके ब्रह्मलीन होने के बाद गंगा जी में उन्हें जल समाधि दे दी गई। इस दौरान भक्तों ने लॉकडाउन की जमकर धज्जियां उड़ायी थी और पुलिस ने 4100 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस अभी मुकदमे की जांच कर रही है कि एक और विवाद सामने आ गया। शोभन सरकार के परिजनों का कहना है कि सरकार के पास अकूत संपत्ति थी और आश्रम में रह रहे मठाधीशों की नजर संपत्ति पर थी। शोभन महाराज के परिजनों ने आश्रम पर काबिज लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सरकार की मौत के लिए वह आश्रम के मठाधीशों को जिम्मेदार बता रहे हैं। शोभन सरकार के परिजनों का कहना है कि 15 साल पहले भी उनकी मौत के लिए साजिश रची गई थी और उन्हें खाने में जहर खिला दिया गया था। परिजनों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि इस अकूत संपत्ति पर दखल दे और ट्रस्ट बनाया जाये।

1974 में शोभन सरकार ने आश्रम की संभाली थी कमान
15 साल की उम्र में ही शोभन सरकार ने अपना घर छोड़ दिया था, जिसके बाद वह बाघपुर के पास पांडु नदी के किनारे तपस्या में लीन हो गए। बाद में वह शोभन आश्रम के महंत रघुनंदन दास के संपर्क में आए और उनकी मौत के बाद का आश्रम की देखरेख करने लगे। शोभन गांव के बुजुर्गों के कहने पर 1974 में शोभन सरकार यानी विरक्तानंद महाराज ने शोभन आश्रम की बागडोर संभाल ली। जिसके बाद भक्तों ने शोभन सरकार के नाम से बुलाना शुरू कर दिया।

शोभन सरकार की रुचि सामाजिक कार्यों व विकास परक कार्यों में अधिक रहती थी। उन्होंने गंगा नदी के किनारे हनुमान मंदिर, बक्सर उन्नाव में चंद्रिका माता मंदिर,सेन गांव में हनुमान मंदिर सहित कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण कराया। इसके अलावा उन्होंने बक्सर में गंगा नदी पर पुल बनवाया साथ ही बांदा के पास चिल्ला घाट पर यमुना नदी पर भी पुल का निर्माण करवाया। शोभन आश्रम कमेटी शिक्षा के लिए विद्यालयों का संचालन भी करती है। इसके अलावा भी सरकार ने समाज सेवा के लिए तमाम काम किए। उनके जीवन काल में उनके कराए गए काम और आश्रम से जुड़ी अकूत संपत्ति लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी रही।

चल और अचल संपत्ति के लिए रची गयी साजिश

एक साधारण साधु ने आश्रमों के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन कैसे जुटाई और भव्य पुलों का निर्माण कराया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस बीच उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी यही संपत्ति अब विवाद का विषय बन रही है। शोभन सरकार के 107 साल की उम्र के पिता और 72 साल के बड़े भाई उनकी मौत पर सवाल उठा रहे हैं। शोभन सरकार के पिता कैलाश नाथ तिवारी ने कहा कि आश्रम में मौजूद लोगों की साजिश से परेशान होकर शोभन सरकार ने देह त्याग दी। उनका कहना है कि आश्रम से जुड़ी चल अचल संपत्ति को हासिल करने के लिए लोग काफी समय से साजिश कर रहे हैं।

परिजनों ने ट्रस्ट गठन की उठायी मांग

शोभन सरकार के भाई चंद्रभान तिवारी ने इस विवाद में सरकार से दखल देने की मांग करते हुए संचालन के लिए एक ट्रस्ट के गठन की मांग भी की है। जिससे शोभन सरकार द्वारा किए जा रहे जनहित के काम अनवरत चलते रहे। शोभन सरकार के ब्रम्हलीन हो जाने के बाद हरि शरण पांडे आश्रम की कमान संभाल रहे हैं। शोभन सरकार के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों को उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह वही कह रख कर रहे हैं जो करने के लिए सरकार ने उनसे कहा था। उन्होंने कहा कि वह कभी भी कमान नहीं समझना चाहते थे, लेकिन सरकार ने उन्हें जबरदस्ती कमान दे दी थी और अब वह उनकी आज्ञा का पालन कर रहे हैं।

शोभन आश्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे मठाधीश हरिशरण पांडेय ने कहा कि सरकार खुद अपने परिवार वालों से नहीं मिलते थे। परिजनों ने जो आरोप लगाये हैं वह बेबुनियाद हैं। इधर हमारे आश्रम में पहुंचने की जानकारी मिलने के बाद तमाम ग्रामीण और ग्राम प्रधान आश्रम पहुंच गए। यह सभी लोग हरि शरण पांडे को शोभन सरकार का सही उत्तराधिकारी बता रहे है। उनका कहना है कि शोभन सरकार की परिवार के लोगों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। ग्राम प्रधान राम जी मिश्रा ने कहा कि वह सालों से मंदिर और आश्रम आ रहे हैं। उन्हें कभी भी कोई विवाद की स्थिति नहीं दिखी।

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