तालिबान और अफगानिस्तान के बीच छिड़ी जंग शांत होने का नाम नहीं ले रही है इसी बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में तालिबान की ओर से लगातार बढ़ रही हिंसा के लिए अमेरिका को जिम्मेदार करार दिया है। यह पहला मौका है, जब उन्होंने देश में हिंसा के लिए अमेरिका को लेकर कुछ कहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिकों की तेजी से वापसी के चलते देश में लगातार हिंसा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अब सूबों की राजधानी और शहरी इलाकों की रक्षा करने का काम करेगी। इसके साथ ही अशरफ गनी ने अफगानिस्तान के नेताओं से कहा कि वे तालिबान से जंग में जुटी सेना का समर्थन करें। अशरफ गनी से संसद में अपने संबोधन में कहा, ‘एक आयातित और जल्दीबाजी की शांति प्रक्रिया के चलते संदेह पैदा हुआ है। अमेरिका की ओर से काबुल तालिबान के बीच बातचीत का दबाव डाला गया, जो न सिर्फ असफल रहा है बल्कि उससे मुश्किलें बढ़ी हैं।’ संसद के आपातकालीन सत्र में हिस्सा लेने के लिए हेलीकॉप्टर से पहुंचे अशरफ गनी ने कहा कि तालिबान की शांति प्रक्रिया को बहाल रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले 6 महीनों में हमारे प्रयासों के चलते स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
अफगान राष्ट्रपति का दावा है कि अफगान फोर्सेज उपद्रवियों को रोकने में सक्षम हैं। बीते कुछ सप्ताह में अफगान फोर्सेज को कई शहरों में तालिबान से मार झेलनी पड़ी है। हेरात, लाशर गाह जैसे शहरों पर तालिबान ने कब्जा जमाया है। अफगानिस्तानी सेना के प्रवक्ता जनरल अजमल उमर शिनवारी ने कहा कि दक्षिणी और पश्चिमी अफगानिस्तान के तीन सूबों में सुरक्षा की स्थितियां काफी कठिन हैं। यही नहीं दक्षिणी कंधार, हेलमांड और हेरात में बीते कुछ तालिबान के हमलों में और भी इजाफा हुआ है।