उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में Corona पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मंगलवार को जिले में 5 और Corona पॉजिटिव मिलने से आंकड़ा 307 तक जा पहुंचा। लगातार Corona मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासन तक में खलबली मची हुई है।
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुए जलसे में शामिल तब्लीगी जमाती कानपुर प्रशासन की मुश्किले बढ़ा रहे हैं। यहां पर तब्लीगी जमाती व उनके संपर्क में आये और विदेश से आये व उनके संपर्क में आये लोगों में 307 में Corona पॉजिटिव की पुष्टि मंगलवार तक हुई है। इनमें से 7 की मौत हो चुकी है और अंतिम मौत भी एक महिला की हुई है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अशोक कुमार शुक्ला की ओर बयान जारी कर यह जानकारी दी गई है।
दूसरे नंबर पर कानपुर
दुनियाभर में तांडव मचा रहा Coronavirus थमने का नाम नहीं ले रहा। इसके चलते रोजाना भारत में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं यूपी में रोजाना Corona संक्रमित के नए नए केस सामने आ रहे है। UP के कानपुर में भी Corona पीड़ितों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। आगरा के बाद कानपुर Corona संक्रमितों के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। जबकि कानपुर में पहला पॉजिटिव केस 23 मार्च को आया था और 50 दिन बाद 307 के आंकड़े के साथ यूपी में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। यहां पर सात Corona मरीजों की मौत भी हो गयी है। पहला Corona मरीज 15 दिन के इलाज के बाद सही हो गया और वह घर पर क्वारंटाइन में है। इसी तरह दो विदेशी तब्लीगी जमाती सहित यहां पर अब तक 161 Corona पॉजिटिव मरीज सही हो चुके हैं, जिन्हे हैलट के कोविड-19 अस्पताल, कांशीराम ट्रामा सेंटर और सरसौल के आइसोलेशन वार्ड से छुट्टी कर दी गयी है। आज भी 61 Corona मरीजो के स्वस्थ होने पर तालियां बजाकर विदाई दी गई। इन सभी को होम कवरेन्टीन में रहना होगा। कुल 161 Corona मरीजों के स्वस्थ होने पर अब केवल 139 केस ही एक्टिव रहे गए है। हालांकि अब धीमे ही सही लेकिन रुक रुक कर Corona पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं जो अभी भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन हुए हैं।
कोरोना का खौफ
हैलट अस्पताल के सीएमएस प्रो. आरके मौर्या ने बताया कि कोरोना का खौफ समाज में देखने को मिल रहा है। इसी के चलते कलंकित होने के डर से अधिकांश लोग Corona की जांच के लिए जल्दी सामने नहीं आते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का इलाज देर से शुरू होने पर ही उसकी जान जाने की आशंका बढ़ जाती है। किसी मरीज में इस बीमारी की पहचान जल्द हो जाए तो उसके इलाज में आसानी रहती है। वहीं कोरोना जैसे लक्षण होने पर भी लोग समाज में बहिष्कार के डर से जांच कराने सामने नहीं आ रहे। वे अस्पताल तभी पहुंचते हैं, जब उनकी तबियत काफी बिगड़ चुकी होती है। ऐसी स्थित में जो Corona पॉजिटिव हो जाता है और मानसिक रुप से मजबूत नहीं है तो वह अवसाद में चला जाता है। इसी अवसाद के चलते अब Corona पॉजिटिव मरीज आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों को मनोवैज्ञानिक बल देने के लिए अस्पताल में मनोवैज्ञानिक डाक्टर की भी ड्यूटी लगायी गयी है।