जानिए सेरोलॉजिकल टेस्ट क्या है? वायरस से क्या है कनेक्शन?

दुनियाभर के 50 लाख से भी ज्यादा लोग अब तक इस नए Coronavirus सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी Covid-19 से संक्रमित हो चुके हैं। इस बीमारी की पहचान करने के लिए की जाने वाली टेस्टिंग में Nose और गले का स्वैब टेस्ट लिया जाता है। लेकिन अब Coronavirus की टेस्टिंग के लिए वैज्ञानिक लोगों के Blood Test कर रहे हैं ताकि इस बात के संकेत मिल सकें कि वह व्यक्ति सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित है या नहीं। इस टेक्नीक को Serological Testing कहते हैं।

Serological Testing मुख्य तौर पर ब्लड टेस्ट है जो व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडीज की पहचान करता है। अलग-अलग बीमारियों की पहचान के लिए अलग-अलग तरह का Serological Testing किया जाता है। बावजूद इसके सभी तरह के Serological Testing में एक बात कॉमन होती है और वो ये है कि ये सभी इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए गए प्रोटीन पर फोकस करते हैं। शरीर का यह इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बाहरी तत्वों द्वारा शरीर पर किए जा रहे आक्रमण को रोक कर आपको बीमार पड़ने से बचाता है।

सेरोलॉजिक टेस्ट क्यों किया जाता है?


शरीर में प्रवेश करने वाले रोगाणु या एंटिजेन के खिलाफ शरीर का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज का निर्माण करता है। ये एंटीबॉडीज इन एंटिजेन से खुद को अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। जब डॉक्टर आपके खून की जांच करते हैं तो वे आपके ब्लड सैंपल में मौजूद एंटिजेन और एंटीबॉडी के टाइप की पहचान कर इस बात का पता लगता हैं कि आपको किस तरह का इंफेक्शन हुआ है। कई बार हमारा शरीर स्वस्थ उत्तकों को भी बाहरी हमलावर समझकर गैर जरूरी एंटीबॉडी बनाने लगता है जिसे ऑटोइम्यून बीमारी कहते हैं। Serological Testing के जरिए इन एंटीबॉडीज की भी पहचान की जा सकती है।

सेरोलॉजिक टेस्ट के नतीजे क्या बताते हैं?

टेस्ट के सामान्य नतीजे
हमारा शरीर एंटिजेन की प्रतिक्रिया में ही एंटीबॉडीज बनाता है। ऐसे में अगर टेस्टिंग के दौरान खून में एंटीबॉडीज नहीं हैं तो इसका मतलब है कि आपको इंफेक्शन नहीं है। वैसे नतीजे जो दिखाते हैं कि खून में एंटीबॉडीज नहीं है वे टेस्ट रिजल्ट नॉर्मल माने जाते हैं।

टेस्ट के असामान्य नतीजे
खून के सैंपल में एंटीबॉडीज का मिलना यह बताता है कि आपके इम्यून सिस्टम ने किसी एंटिजेन के खिलाफ प्रतिक्रिया दी है। यह एंटिजेन वर्तमान समय का भी हो सकता है या फिर किसी पुरानी बीमारी या बाहरी प्रोटीन से जुड़ा हुआ भी। कुछ विशेष तरह के एंटीबॉडीज की मौजूदगी का मतलब ये भी है कि आप एक या ज्यादा एंटिजेन के प्रति इम्यून हो गए हैं और भविष्य में इस एंटिजेन के हमले से आप बीमार नहीं पड़ेंगे।

कोविड-19 के लिए सेरोलॉजिक टेस्ट
नए Coronavirus सार्स-सीओवी-2 के लिए किया जाने वाला Serological Testing ब्लड टेस्ट है जो खून में मौजूद सीरम या प्लाज्मा की पहचान करता है। इस टेस्ट में एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है जिसे आपके शरीर का इम्यून सिस्टम इंफेक्शन से लड़ने के लिए उत्पन्न करता है। इसलिए यह टेस्ट वायरस के प्रति की गई आपके शरीर की प्रतिक्रिया का पता लगता है खुद वायरस का नहीं। इस टेस्ट को इंफेक्शन के शुरुआत में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसे तब इस्तेमाल किया जाता है जब मरीज का शरीर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का निर्माण कर लेता है।

Serological Testing अलग-अलग तरह के एंटीबॉडीज पर फोकस करता है। यह टेस्ट वायरस को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडीज की भी जांच कर सकता है जो वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। या फिर वह बांधने वाले एंटीबॉडीज की भी जांच कर सकता है, एक ऐसा एंटीबॉडी जो सार्स-सीओवी-2 की पहचान तो करता है लेकिन जरूरी नहीं कि उसके खिलाफ सुरक्षा भी प्रदान करे।

सार्स-सीओवी-2 के लिए इस वक्त कई तरह के Serological Testing मौजूद हैं जिनमें से सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला टेस्ट है एलिसा। एलिसा का मतलब है एन्जाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट एसे। यह टेस्ट एंटीबॉडी रिऐक्शन के आधार पर काम करता है। यह टेस्ट शरीर में कोविड-19 वायरस की पहचान करने के लिए नहीं है, लेकिन इसके माध्यम से संक्रमण की निगरानी करना और यह पता लगाना आसान होता है कि मरीज के शरीर ने सार्स-सीओवी-2 से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित कर ली है या नहीं।

कोविड-19 के गंभीर मामलों के इलाज के लिए संभावित प्लाज्मा डोनर्स की स्क्रीनिंग के लिए भी Serological Testing का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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