लॉकडाउन (LOCKDOWN) के बीच छोटे-छोटे बच्चों को पूरा दिन ऑनलाइन (ONLINE) कक्षा के लिए मजबूर करने को न्यायालय बाल कल्याण समिति लखनऊ ने गंभीरता से लिया है।
समिति ने स्कूलों को स्पष्ट कहा है कि ऐसी पढ़ाई क्लासरूम का विकल्प नहीं हो सकती। ऐसे में कोर्स पूरा कराने के पीछे न पड़ें। आठवीं कक्षा से नीचे के बच्चों की ऐसी कक्षाएं सप्ताह में सिर्फ दो-तीन बार ही हों।
वह भी दो से तीन घंटे की ही। समिति ने साफ कहा कि आठवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों के लिए ही ऑनलाइन कक्षाएं नियमित चलाई जा सकती हैं। समिति ने अभिभावकों और बच्चों के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
लॉकडाउन चल रहा है। इस बीच स्कूल लगातार ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं। इसे लेकर अभिभावकों की शिकायतें भी रही हैं। बच्चों की सेहत और व्यवहार पर पड़ रहे असर का हवाला दिया जा रहा था।
ऑनलाइन कक्षाओं में पिछले दिनों शरारती बच्चों के शर्मसार करने वाली हरकतें भी सामने आई थीं। न्यायालय बाल समिति के अध्यक्ष कुलदीप रंजन, सदस्य ऋचा खन्ना और डॉ. संगीता शर्मा की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन सभी को अनिवार्य रूप से करना होगा। समिति ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत ऑनलाइन सुरक्षा प्रणाली से होनी चाहिए।
स्कूल मजबूर न करें
- कक्षा इंटरैक्टिव न हो तो बेहतर होगा। – छोटे बच्चों के लिए वीडियो बनाकर भेजें, ताकि वे फोन पर उसे देख सकें। – 30 मिनट की कक्षा के बाद 10 मिनट का ब्रेक जरूर दिया जाए।
अभिभावक भी रखें ध्यान - ऑनलाइन कक्षा के समय बच्चे के आसपास ही रहें। – बच्चों से बराबर बातचीत करें व ऑनलाइन सुरक्षा के संबंध में बताएं। – मोबाइल फोन तथा लैपटॉप की समय-समय पर जांच करते रहें। – किसी भी शिक्षक को अनावश्यक मैसेज न भेजें।
बच्चों को भी सीख - शिक्षकों के प्रति आदर का भाव रखें। – ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर कम्प्यूटर या फोन का दुरुपयोग न करें। – ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था आपके भविष्य के लिए है, इसे गंभीरता से लें। – किसी प्रकार की समस्या होने पर अभिभावक या शिक्षक को जरूर बताएं।