धरती के करीब आ रहा है बड़ा स्ट्रेरॉयड, हो जाएं सावधान

यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) ने भविष्यवाणी की है कि उल्कापिंड हमारे ग्रह से लगभग 73,435 मील की दूरी पर, चंद्रमा की कक्षा (239,000 मील) की दूरी से गुजरेगा। इसलिए, अन्य ग्रहों से भी थोड़ा सा गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इसे सीधे पृथ्वी के वायुमंडल में भेज सकता है। ऐसी संभावनाएं है। इस पर अध्ययन किया जा रहा है।
पृथ्वी से सैकड़ों छोटे-बड़े उल्कापिंड टकराते रहते हैं मगर इनसे बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता है। अंतरिक्ष एजेंसियां उन बातों को लेकर अधिक चिंतित होती है जब कोई बड़ा उल्कापिंड पृथ्वी के आसपास से गुजरने वाला होता है या उसके टकराने की संभावना नजर आती है। यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी ने अब जिस एक बड़े स्ट्रेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई है वो उसको लेकर थोड़े चिंतित भी है।

ESA की जानकारी के अनुसार साल 2084 में एक बड़ा क्षुद्रग्रह (Large Asteroid) पृथ्वी से टकरा सकता है। मगर ये घटना अब से 65 साल के बाद होगी। साल 2013 और 2016 में ऐसे ही दो से तीन छोटे-बड़े उल्कापिंड और ग्रह पृथ्वी के पास से गुजर चुके हैं या उनके पृथ्वी से टकराने की संभावनाएं जताई गई मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं।

पृथ्वी के चारों और सैकड़ों उल्कापिंड(meteorite) और स्ट्रेरॉयड घूम रहे हैं और वो कभी न कभी धरती के पास से गुजरते रहते हैं या फिर उनके पृथ्वी से टकराने की संभावनाएं भी बनी रहती है। वैज्ञानिक इस बात की खोज भी करते रहते हैं कि अगले कुछ सालों में कौन सा छोटा या बड़ा उल्कापिंड या ग्रह पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है या उसके टकराने की संभावनाएं है।

यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की ओर से पृथ्वी से टकराने या उसके आसपास से गुजरने वाले उल्कापिंड़ों और उनमें लगने वाले समय के साथ एक लिस्ट जारी की जाती है। इस लिस्ट में ऐसे सभी उल्कापिंडों और स्ट्रेरॉयड की डिटेल लिखी होती है। एजेंसियां तमाम देशों को इसके बारे में सूचना दे देती है जिससे यदि किसी तरह की खास सावधानी की जरूरत हो तो वो उसके लिए पहले से तैयारी कर लें। इसी लिस्ट में इस उल्कापिंड को भी जोड़ा गया है। लिस्ट में बताया गया है कि ये उल्कापिंड अगले 65 वर्षों में पृथ्वी से टकरा सकता है।

अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की संभावना बहुत अधिक नहीं है। ये घटना सितंबर 2084 में होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आकार इतना बड़ा नहीं होगा कि ये बड़े पैमाने पर पृथ्वी को नुकसान पहुंचाए। इस वजह से हमें अपने न्यूक्लियर हथियारों को रेडी रखने की कोई जरूरत नहीं है।

इस वजह से ईएसए ने इसे खतरे वाली सूची में रखा है। चूंकि ये पृथ्वी के बहुत पास से गुजरेगा इस वजह से इस पर नजर रखने के लिए भी कहा गया है जिससे इसकी गतिविधियों के बारे में पता चलता रहे। गतिविधियों के बारे में पता चलते रहने पर उस हिसाब से बचाव का काम करने में आसानी होगी।

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