क्या राज्यों के लिए जान से ज़्यादा महत्वपूर्ण है पैसा?

देश भर में नए ट्रैफिक नियमों को लेकर हलचल मची हुई है. वहीं, कई राज्य इन नए ट्रैफिक नियमों को लागू करने से बच रहे हैं. बीजेपी प्रशासित गुजरात ने कई मामलों में जुर्माने की राशि को काफी कम कर दिया है. वहीं महाराष्ट्र के मंत्री ने पत्र लिखकर केंद्र से जुर्माने की राशि पर दोबारा विचार करने करनी मांग की है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इन नए नियमों को राज्य लागू करने से साफ़ इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि इसमें ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर काफी कठिन प्रावधान रखे गए हैं. इस पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि राज्य अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

एक नामी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क दुर्घटना की वजह से दुनिया में सबसे अधिक लोग भारत में मरते हैं. इनमें 65 फ़ीसदी लोग 18 से 35 आयुवर्ग के लोग हैं. ढाई तीन लाख लोगों के हाथ पैर टूटते हैं. 30 फ़ीसदी लाइसेंस बोगस हैं. लोग लाइसेंस नहीं लेते, सुनते नहीं, क़ानून के प्रति डर नहीं और सम्मान भी नहीं है. अब तक 100 रुपये का जुर्माना था जो लोग आसानी से भर देते थे और दोबारा ऐसी ग़लती करने से नहीं कतराते थे.” गडकरी ने कहा, “यह कोई राजस्व इकट्ठा करने की योजना नहीं है. क्या आपको डेढ़ लाख लोगों की मौत की चिंता नहीं है? अगर राज्य सरकारें जुर्माने की रकम को घटाना चाहती हैं तो ठीक है, लेकिन क्या यह सच नहीं कि लोग न तो क़ानून मानते हैं और न ही इससे डरते हैं.” उन्होंने कहा, “हमने जुर्माने की रक़म इसलिए बढ़ाई कि लोग नियमों का पालन करें और हादसे कम हों ताकि लोगों की जान बच सकें. हमारा मकसद हादसे कम करना है. इसमें मुझे राज्य सरकारों के सहयोग की जरूरत है.”

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