Coronavirus के खिलाफ जंग में साइलेंट कैरियर बेहद घातक साबित हो रहे हैं। दुनिया भर में Coronavirus के जितने भी पॉजिटिव मरीज सामने मामले आ रहे हैं, उनमें से एक तिहाई ऐसे हैं जिन्हें किसी न किसी साइलेंट कैरियर से ये संक्रमण मिला है। ये वो साइलेंट कैरियर हैं, जिनमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं है। इस महामारी से निपटने में ये साइलेंट कैरियर सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। चीन ने अपने अनुभवों और अपने डाटा के अध्ययन से बताया है कि ऐसे साइलेंट कैरियर की पहचान कैसे करें?
डेली मेल ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक Coronavirus से संक्रमित हो रहे ऐसे लोग जिनमें इस संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा या बहुत देर से दिखा, उन लोगों से कहीं ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं, जिनमें कोविड-19 (Covid-19) वायरस के स्पष्ट लक्षण दिख रहे हैं। रिपोर्ट में चीनी सरकार के डाटा अध्ययन का हवाला देते हुए बताया गया है कि हमारे सामने वायरस के जितने संक्रमित लोग हैं या जो दिख रहे हैं, साइलेंट कैरियर की संख्या उनसे कई गुना ज्यादा हो सकती है।
चीन के सरकारी आंकड़ों बताते हैं कि फरवरी-2020 के अंत तक 43,000 से ज्यादा ऐसे कोरोना पॉजिटिव केस पाए गए, जिनमें इसका कोई लक्षण नहीं दिख रहा था। ये लोग सेल्फ क्वारंटाइन थे, लेकिन वायरस की पुष्टि न होने की वजह इन्हें आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया था। उस वक्त चीन में Coronavirus पॉजिटिव मरीजों का आधिकारिक आंकड़ा 80,000 था। ये आंकड़ें कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
इन आंकड़ों ने Coronavirus पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है। हालत ये हो चुकि है कि अब वैज्ञानिकों के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है कि संक्रमण फैलाने के लिए ज्यादा जिम्मेदार किन्हें माना जाए। वायरस के साइलेंट कैरियर को या उन लोगों को जिनमें इसके लक्षण देखे गए। दुनिया भर में ऐसे वैज्ञानिकों की संख्या तेजी से बढ़ी है जो हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए उस बयान से असहमति जता रहे हैं, जिसमें कहा गया था कि बिना लक्षण वाले लोगों से इस वायरस के फैलने की संभावना बहुत कम है। मालूम हो कि चीन स्थित WHO इंटरनेशनल मिशन ने अनुमान जताया था कि जिन लोगों में Coronavirus का कोई लक्षण नहीं है, उनसे संक्रमित होने वालों की संख्या एक से तीन फीसद हो सकती है।