एयर इंडिया को बेचने के लिए सरकार ने अपनी कार्यवाही को तेज कर दिया है। केंद्र सरकार पहले बनाए गए नियमों में कुछ बदलाव करने जा रही है। इसके तहत जो भी कंपनी एयर इंडिया को खरीदेगा, वो इसका नाम बदल सकता है।
पहले था यह नियम
सरकार ने मार्च 2018 में यह नियम बनाया था कि बेचने के बाद खरीदने वाली कंपनी तीन सालों तक एयर इंडिया का नाम नहीं बदल सकेगी। लेकिन अब दूसरे चरण में इस नियम को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। इस नियम की वजह से भी कई कंपनियों ने एयर इंडिया को खरीदने की पहले इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में इसे खरीदने से हाथ खींच लिए थे।
कर सकेंगे विलय
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार विलय संबंधी प्रस्ताव को भी हटाने पर विचार कर रही है। अब जो भी समूह एयर इंडिया को खरीदेगा, वो इसको पहले से चल रही कंपनी में विलय कर सकेगा। सरकार जहां पहले 76 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही थी, वहीं अब 100 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने की तैयारी में है। इससे सरकार का इस हवाई कंपनी पर दखल पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
5,000 करोड़ रुपये बकाया
अगस्त में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने कहा था कि एयर इंडिया का बकाया ईंधन बिल 5,000 करोड़ रुपये हो गया था, जिसका लगभग आठ महीने से भुगतान नहीं किया गया था।
पहले भी रोकी थी ईंधन की आपूर्ति
22 अगस्त को आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पूरा भुगतान नहीं होने की वजह से कोच्चि, मोहाली, पुणे, पटना, रांची और विजाग के छह हवाई अड्डों पर एयर इंडिया को ईंधन की आपूर्ति रोक दी थी।
वेतन के लिए कंपनी को हर महीने चाहिए 300 करोड़ रुपये
हाल ही में एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने बताया था कि कंपनी को हर महीने केवल 300 करोड़ रुपये कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए चाहिए। मंत्री समूह में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेल मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।