यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले राज्य में हलचल तेज है। बीते कई रोज से यहां आरएसएस और बीजेपी के नेताओं की बैक-टु-बैक बैठक हो रही है। रविवार को बीजेपी के यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मिलने से पहुंचे तो कैबिनेट बदलाव की चर्चा फिर से तेज हो गई लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि कैबिनेट विस्तार के फैसले का विशेषाधिकार सीएम के पास ही है। Yogi Adityanath News
इससे पहले बीजेपी के महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष भी तीन दिन के लिए यूपी दौरे में रहे। इस दौरान उन्होंने मंत्रियों और विधायकों से फीडबैक लिया। इस दौरान कई नेताओं ने नाराजगी जताई लेकिन दिल्ली पहुंचते ही बीएल संतोष ने कोविड मैनेजमेंट को लेकर योगी की पीठ थपथपा दी। यानी बीजेपी और आरएसएस के लिए योगी को सीएम की गद्दी सौंपने का फैसला अब ऐसा हो गया कि उन्हें बदलना या बनाए रखना दोनों ही स्थिति में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल इसके पीछे एक नहीं कई वजह हैं- Yogi Adityanath News
पिछले चार साल में योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री के रूप में लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, उनके सामने चार साल पहले के कई प्रतिद्वंदी पिछड़ चुके हैं। यही नहीं वह यूपी में 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह जैसे वरिष्ठ नेता बीजेपी की ओर से राज्य के सीएम बने लेकिन कार्यकाल पूरा करने से चूक गए। इसके अलावा लव जिहाद, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान से वसूली जैसे कई कड़े कानून बनाकर वह रोल मॉडल बनकर उभरे जिसे बाद में कई राज्यों ने अपनाया। Yogi Adityanath News
सफल मुख्यमंत्री के अलावा योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का सबसे बड़ा ब्रांड बताए जाते हैं। उनकी छवि बीजेपी के एक फायरब्रांड प्रचारक और हिंदुत्व के प्रतीक नेता के तौर पर भी है। सीएम रहते उन्होंने लव जिहाद और गोहत्या विरोधी समेत तमाम ऐसे कानून बनवाए जिससे उनकी हिंदूवादी छवि को बढ़ावा मिला। चुनाव के दौरान दूसरे राज्यों में गरजने और हिंदुत्व को लेकर दिए बयानों से उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने लगी। इन्हीं कारणों से योगी यूपी के सबसे बड़े फायरब्रांड नेता कहलाते हैं। Yogi Adityanath News
सीएम योगी आदित्यनाथ के समर्थन में एक और अहम तथ्य यह है कि तमाम विरोधों के बावजूद वह संघ की पहली पसंद बने हुए हैं। जबकि वह खुद आरएसएस की पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं। कहा जाता है कि 2017 में भी आरएसएस के समर्थन से ही वह सीएम पद की कुर्सी पर आसीन हुए थे जबकि अमित शाह और पीएम मोदी खुद योगी को लेकर बहुत निश्चित नहीं थे। विशेषज्ञों का कहना है कि आरएसएस में योगी का समर्थन करने वाले लोग उन्हें मोदी की काट के रूप में देखते हैं।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले ऐन वक्त में नेतृत्व में बदलाव से अच्छा संदेश नहीं जाएगा। इससे पार्टी को नुकसान भी हो सकता है इसलिए बीजेपी इस कोशिश में भी है कि बाहर से किसी तरह का विवाद न दिखे। इसके अलावा पहले जमकर किरकिरी के बाद अब कोविड मैनेजमेंट को लेकर योगी के प्रयासों की तारीफ की जा रही है।
योगी ने पिछले दिनों अलग-अलग मंडल का दौरा करके वहां कोरोना के हालातों पर समीक्षा की। दिल्ली पहुंचने के बाद बीएल संतोष ने ट्वीट करके लिखा था कि पांच हफ्ते में ही यूपी में नए मामलों की संख्या में 93 प्रतिशत की कमी आई है और योगीजी ने बेहतरीन ढंग से प्रबंधन किया है। यही वजह है कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक मैराथन बैठकों के दौर के बावजूद नेताओं का यही कहना है कि सब कुछ ठीक-ठाक है। Yogi Adityanath News
तो क्या वाकई बीजेपी के पास योगी का कोई विकल्प नहीं है। इस पर राजनीतिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह दावा करना जल्दबाजी होगी कि बीजेपी विकल्पहीन है। मनोज सिन्हा से लेकर राजनाथ सिंह तक कई नेताओं को सीएम चेहरे के रूप में पेश करने की चर्चा 2017 के चुनाव में भी हुई थी। लेकिन सच यह भी है कि सीएम के रूप में योगी आदित्यनाथ की छवि मजबूत हुई है।
योगी को बनाए रखना अगर बीजेपी की मजबूरी है तो इसके पीछे वजह कहीं न कहीं खुद पार्टी हाई कमान ही है। जब योगी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठे तब पार्टी ने फायरब्रांड के रूप में उनकी छवि को देखते हुए कमियों को नजरअंदाज किया। आज जब चुनाव सिर पर हैं तब पार्टी कोई भी रिस्क लेने से पहले सोचेगी। Yogi Adityanath News