Coronavirus के संक्रमण को देखते हुए, इसके बचाव के लिए SP के स्वत:संज्ञान के बाद प्रदेश सरकार ने 8500 बंदियों को 8 हफ्तों के लिए छोड़ने का फैसला किया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में 7 वर्ष तक की अधिकतम सजा पाए विचाराधीन बंदियों को 8 सप्ताह के अंतरिम जमानत पर निजी मुचलका लेते हुए कारागार से मुक्त करने और 7 वर्ष या उससे कम की सजा से दंडित किए गए है। सिद्ध दोष बंदियों को निजी मुचलका लेते हुए पैरोल पर छोड़े जाने की कार्यवाही शुरू हो गयी है।
प्रदेश में 8500 विचाराधीन बंदियों और 2500 सिद्ध दोष बंदियों ,कुल 11 हजार बंदियों को प्रदेश की जेलों से तत्काल रिहा कर दिया जाएगा। 27 मार्च को उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और महानिदेशक कारागार आनंद कुमार भी शामिल हुए थे ।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Coronavirus के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 23 मार्च को कारागार ओं में भीड़भाड़ कम करने के दृष्टिगत बंदियों को अंतरिम जमानत और पैरोल पर छोड़े जाने के लिए तत्काल कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिेए गए है।