बेटे अखिलेश के सियासी सफर को कामयाब बनाने के लिए पिता मुलायम ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन अखिलेश के तकलीन फैसले पार्टी के हक़ मे जाते नहीं दिखे और सपा लगातार कमजोर होती चली जा रही है। सपा आज भितरघात से भी ग्रसित है। उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे बड़े चेहरे मुलायम सिंह यादव को लगातार झटका लग रहा है। बेटे के सिर पर ताज देखने की हसरत में पिता मुलायम ने अपने भाई शिवपाल यादव को खो दिया। शिवपाल यादव वहीं इंसान है जो सपा को मजबूत करने के लिए पूरी जिंदगी लगा दी लेकिन जब उसका फायदा मिलता उससे पहले ही मुलायम ने उनसे किनारा कर लिया।
मुलायम ने पुत्र के मोह के चक्कर में अपने भाई तक को नाराज करना पड़ा। शिवपाल यादव ने बहुत दिन सपा में रहे और सबकुछ सहा लेकिन जब बात ज्यादा बढ़ गई तो उन्होंने सपा से किनारा कर लिया और अपनी नई पार्टी बना डाली।
शिवपाल यादव के अलग होने के बाद अखिलेश ही क्या मुलायम तक कमजोर होते चले गए। आलम तो यह है कि सपा केवल पांच सीटों तक पर ही रूक गई। दूसरी ओर शिवपाल की पार्टी भले ही सीट नहीं जीत सकी हो लेकिन उसने सपा को कमजोर किया और वोट काटने का काम किया।
इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ। अब उपचुनाव की तैयारी में जुटे अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपने पिता मुलायम को खुशी देंगे या नहीं। इसके साथ ही यह भी तय होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सपा तैयार है कि नहीं। मुलायम अब भी चाहते हैं कि पूरा सपा कुनबा एक हो जाये लेकिन अखिलेश की जिंद के आगे मुलायम कुछ नहीं कर पा रहे हैं।