महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच घमासान जारी है। चार पाये की सत्ता के दो डंडो की मांग जहां शिवसेना कर रही है वहीं, बीजेपी सत्ता का चौतरफा संतुलन साधने की बात कर रही है। दरअसल, मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी कलह जारी है। इसके पीछे वजह ये है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। बीजेपी 105 सीटें, शिवसेना 56 सीटें, कांग्रेस और एनसीपी को क्रमश: 44 और 54 सीटें मिली हैं।
सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव रिजल्ट के बाद साफ कहा है कि सीएम को लेकर बीजेपी के साथ 50-50 फॉर्म्युले पर बात हुई थी और उनकी पार्टी इस पर नहीं झुकेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने हरियाणा के दुष्यंत चौटाला के सहारे बीजेपी पर तंज कसा। हालांकि, बीजेपी ने भी तुरंत ही पलटवार किया और कहा कि मुख्यमंत्री का पद शेयर नहीं किया जाएगा।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा कि हमारे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बात की पुष्टि की है कि शिवसेना के साथ सीएम पोस्ट को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि अब तक कोई भी फॉर्म्युला तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने अब तक कोई डिमांड नहीं की है। अगर कोई डिमांड होती है तो मेरिट के आधार पर निर्णय होगा। बता दें, संजय राउत ने कहा था कि, ‘यहां कोई दुष्यंत नहीं है, जिसके पिता जेल में हैं। यहां हम हैं जो धर्म और सत्य की राजनीति करते हैं।’
आपको बताते चलें कि, बीजेपी और शिवसेना दोनों की ही मिलाकर सीटें 161 हैं। जबकि बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है। अब ऐसे में शिवसेना बीजेपी की इस कमजोर स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती है। इसलिए 50-50 का फार्म्यूला सामने लाया गया है। वहीं, बीजेपी को भले ही 2014 की तुलना में कम सीटें मिलीं हो लेकिन वो अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में फणनवीस ने ये साफ कर दिया है कि वो ही अगले पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे। महाराष्ट्र में 8 नवंबर तक विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना है। गृह मंत्री अमित शाह भी बुधवार को महाराष्ट्र पहुंचेंगे।
कल महाराष्ट्र बीजेपी ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें विधानसभा में पार्टी का नेता चुना जाएगा। अपने सहयोगी पर दबाव बनाने के लिए कल ही बीजेपी सरकार बनाने का दावा भी पेश कर सकती है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना से बात न बनने पर बीजेपी 2014 की तर्ज पर अल्पमत की ही सरकार बना सकती है, जिसके गठन के बाद सदन में बहुमत परीक्षण किया जाएगा। बीजेपी को उम्मीद है कि पिछली बार की तरह इस बार भी एनसीपी उसे समर्थन दे सकती है। हालांकि, शिवसेना की 50-50 तो नहीं लेकिन संकेत इस बात को लेकर है कि बीजेपी उपमुख्यमंत्री का पद शिवसेना को दे सकती है।