Maratha Reservation: कौन हैं मराठाओं के हीरो मनोज जरांगे पाटिल, जिसने बढ़ा दी शिंदे सरकार की टेंशन?

मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल का आज आठव दिन. उनका कहना है कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, वे अपनी जगह से नहीं हटेंगे. अब यह आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है. मराठा समुदाय सड़कों पर उतर आया है. जारांगे का कहना है कि अब राज्य के हर गांव में मराठा समाज भूख हड़ताल पर बैठेगा

Maratha Reservation: महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है. यह आंदोलन अब जानलेवा होता जा रहा है. इसको लेकर महाराष्ट्र के अलग-अलग जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. आरक्षण की मांग को लेकर एक दर्जन से ज्यादा लोग अपनी जान दे चुके हैं. इस पूरे आंदोलन के केंद्र में एक 40 साल का शख्स है, जिसका नाम मनोज जाएंगे पाटील है. जारंगे पाटील के अनशन शुरू करने के बाद से यह आंदोलन और विकराल रूप ले लिया है.

आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे पाटिल 25 अक्टूबर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. जाएंगे का कहना है कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, वे अपनी जगह से नहीं हटेंगे. उन्होंने शिंदे और फडणवीस की सरकार पर मराठा समाज के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया है. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कौन हैं मनोज जाएंगे पाटील, जिन्होंने बढ़ा दी शिंदे सरकार की टेंशन …?

कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल ?

मनोज जाएंगे पाटिल बीड जिले के मोटरी के रहने वाले हैं. मोटरी उनका पैतृक गांव है. वह केवल 12वीं पास हैं. पिछले कई साल से वह अपने परिवार के साथ अंकुश नगर में रह रहे हैं. बताया जाता है कि पढ़ाई छोड़ने के बाद से ही वह मराठा आंदोलन से जुड़ गए. इस दौरान परिवार की देखभाल के लिए उन्होंने एक होटल में काम करना शुरू कर दिया. मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए उन्होंने दो एकड़ जमीन भी बेच दी. मनोज पिछले क साल से मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए आवाज उठा रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं. मराठवाड़ा इलाके के लोग जारंगे का काफी सम्मान करते हैं. जारांगे पाटिल ने अपने प्रभावशाली भाषण से जालना, औरंगाबाद, बीड, परभणी जिलों को खासा लोकप्रिय बना दिया. इसी कारण कांग्रेस ने उन्हें जालना यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया.

2011 में जारंगे ने शिवबा की स्थापना

2003 में महाराष्ट्र में जेम्स लेन मामला गरमाया. उन्होंने दृढ़ रुख अपनाया कि छत्रपति शिवाजी महाराज के संबंध में कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इसके चलते पार्टी में विवाद हो गया और उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. करीब 8 साल बाद 2011 में उन्होंने शिवबा संस्था की स्थापना की. इसका विस्तार मराठवाड़ा तक हुआ. 2014 में आरक्षण की मांग को लेकर शिवबा संगठन ने छत्रपति संभाजीनगर में कलेक्टर कार्यालय पर विशाल मार्च निकाला था. 2016 में मनोज जाएंगे पाटिल ने बीड जिले के नाग नारायण किले में 500 फीट का भगवा झंडा लगाया था. लेकिन, कोपर्डी मामले के आरोपियों को कोर्ट के बाहर कुछ लोगों ने पीटा, वे जारांगे पाटिल के शिवबा संगठन के कार्यकर्ता थे. इस एक घटना से जाएंगे पाटिल की चर्चा राज्य में होने लगी.

2021 में मनोज जाएंगे पाटिल ने मराठा आंदोलन के शहीदों के उत्तराधिकारियों को सरकारी सहायता दिलाने के लिए गोरीगंधरी में विरोध प्रदर्शन किया. इसमें वह सफल रहे. 2022 में उन्होंने भामबेरी में लंबा विरोध प्रदर्शन किया था. 2023 में उन्होंने अंबाद में बड़ा आंदोलन खड़ा किया. कुछ दिन पहले उन्होंने आरक्षण की मांग को लेकर पैठण फाटा में विरोध मार्च निकाला था. इस वक्त लाखों की संख्या में लोग जमा थे. लेकिन, सरकार ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद जाएंगे पाटिल ने अंतरवाली सराती में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी.

1 सितंबर को पुलिस ने बरसाईं लाठियां

मनोज जाएंगे पाटिल ने 29 अगस्त से अंतरवाली सराती में भूख हड़ताल शुरू की. लेकिन, 1 सितंबर को पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और जारांगे पाटिल न केवल राज्य में बल्कि देश में भी सुर्खियों में आ गए. अपने आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने भाषण में किसी भी समुदाय के खिलाफ स्टैंड नहीं लिया. किसी भी पार्टी की आलोचना नहीं की गई. उन्होंने केवल मराठा आरक्षण लिया. जैसे-जैसे उनका भाषण एक ही मुद्दे पर जारी रहा, ये आम कार्यकर्ता देश का हीरो बन गया.

CM शिंदे ने की जाएंगे पाटिल से मुलाकात

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अंतरवली सराती में मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की. एक महीने की मोहलत मांगी गई थी. उस समय जाएंगे पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल तोड़ दी. लेकिन, उन्होंने महाराष्ट्र पर कब्ज़ा कर लिया. वह समुदाय को समझा रहे थे कि मराठा आरक्षण कैसे मिलेगा. वह अपनी मांग पर अड़े रहे.

मनोज जाएंगे पाटिल की भूख हड़ताल का 8वां दिन

मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल का आज आठवां दिन. उनका कहना है कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, वे अपनी जगह से नहीं हटेंगे. अब यह आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है. मराठा समुदाय सड़कों पर उतर आया है. मराठा समुदाय अब इस बात को लेकर उत्सुक है कि इस मुद्दे का समाधान कब और कैसे होगा. जारांगे का कहना है कि अब राज्य के हर गांव में मराठा समाज भूख हड़ताल पर बैठेगा. उनका ये भी कहना है कि भूख हड़ताल के दौरान अगर किसी की जिंदगी को कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

मनोज जाएंगे पाटिल की भूख हड़ताल का 8वां दिन

मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल का आज आठवां दिन. उनका कहना है कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, वे अपनी जगह से नहीं हटेंगे. अब यह आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है. मराठा समुदाय सड़कों पर उतर आया है. मराठा समुदाय अब इस बात को लेकर उत्सुक है कि इस मुद्दे का समाधान कब और कैसे होगा. का कहना है कि अब राज्य के हर गांव में मराठा समाज भूख हड़ताल पर बैठेगा. उनका ये भी कहना भूख हड़ताल के दौरान अगर किसी की जिंदगी को कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

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