Delhi Liquor Scam सवाल और जवाब में जानें… मुनाफे के लिए बनाई शराब नीति में कैसे हुआ कमीशनबाजी का खेल!

आम आदमी पार्टी अपने गठन के 12 साल बाद पहली बार इतनी बड़ी मुश्किलों और संकट का सामना कर रही है. चर्चा यह भी है कि जांच एजेंसी ने केजरीवाल को तलब करने से पहले सबूतों को इकट्ठा किया है. संभव है कि सवालों के जवाब नहीं मिलने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती है. ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलुओं पर जांच कर रही हैं.

दिल्ली की शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जांच के दायरे में आ गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को गुरुवार को पूछताछ के लिए बुलाया है. इससे पहले केजरीवाल से सीबीआई ने अप्रैल में पूछताछ की थी. इसी मामले में जांच एजेंसी पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जेल भेजा गया है. ऐसे में AAP संयोजक को समन जारी होने से सियासत भी गरमा गई है.

कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अपने गठन के 12 साल बाद पहली बार इतनी बड़ी मुश्किलों और संकट का सामना कर रही है. चर्चा यह भी है कि जांच एजेंसी ने केजरीवाल को तलब करने से पहले सबूतों को इकट्ठा किया है. संभव है कि सवालों के जवाब नहीं मिलने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती है. ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलुओं पर जांच कर रही है.

आइए जानते हैं मुनाफे के लिए बनाई गई दिल्ली शराब नीति कैसे कमीशनबाजी के खेल का शिकार हो गई. कैसे पूरा स्कैम हुआ और घपले के पीछे कमीशनबाजी का गुणा-भाग कैसे किया गया. सवाल-जवाब में जानिए सब-कुछ….

क्या है पूरा मामला?

22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई. नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी.

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी. हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी. मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई. उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए.

घपले का आरोप किस-किस पर है?

इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय AAP नेता और उनके करीबी और कारोबारियों से पूछताछ कर चुकी है. 11 दिसंबर 2022 को सीबीआई ने तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी के कविता से भी पूछताछ की थी. सितंबर 2022 में ED ने शराब कारोबारी समीर महेंद्र को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. सितंबर 2022 में CBI ने विजय नायर को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली का भी चार्जशीट में नाम शामिल है. 16 अप्रैल 2023 को CBI ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था. 9 मार्च को ईडी ने पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सितंबर 2023 में CBI ने पंजाब के 10 अफसरों को बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया था. ईडी की चार्जशीट में राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का भी जिक्र हो चुका है. पंजाब से AAP विधायक कुलवंत सिंह का नाम भी इस स्कैम से जुड़ा है.

मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी क्यों हुई?

सीबीआई ने 27 फरवरी 2023 को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. उसके बाद ईडी ने भी कोर्ट की अनुमति से 10 मार्च को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. वो ईडी और सीबीआई दोनों की जांच के दायरे में हैं. सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आरोप लगाए हैं. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग क आरोपी बनाया है. ईडी ने 4 अक्टूबर को राज्यसभा सांसद संजय सिंह के आवास पर छापा मारा. बाद में संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया. AAP के दोनों बड़े नेता जेल की सलाखों के पीछे हैं. तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसियों ने 338 करोड़ रुपये के लेन-देन को अस्थायी रूप से साबित किया है.

सिसोदिया पर क्या बड़े आरोप?

दरअसल, सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी विभाग के मंत्री के तौर पर शराब नीति को लेकर मनमाने और गलत फैसले लिए. शराब लाइसेंस लेने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने की चिंता नहीं की, जिससे सरकार को नुकसान पहुंचा. इसके अलावा, शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत भी ली. बिजनसमैन अमित अरोड़ा से करीब 2.2 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली. लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली एक कंपनी को जब एनओसी नहीं मिली तो नियमों के खिलाफ जाकर उसके 30 करोड़ रुपये लौटाए गए. कोरोनाकाल में शराब दुकानें बंद रहीं तो लिक्वर कंपनीज को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी गई. सिसोदिया ने सुबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले. इनमें 5 सिम कार्ड ने सिसोदिया के नाम पर ही लिए गए थे. बाकी सिम दूसरों के नाम पर जारी करवाए गए थे.

संजय सिंह पर क्या बड़े आरोप?

सिसोदिया के करीबी और कारोबारी दिनेश अरोड़ा ने राज्यसभा सांसद संजय सिंह का नाम लिया. पूछताछ में अरोड़ा ने बताया कि AAP के लिए फंड जुटाने के एक कार्यक्रम में उसकी संजय सिंह से मुलाकात हुई थी. उसके बाद वो मनीष सिसोदिया के संपर्क में आया. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा को AAP के लिए फंड जुटाने की जिम्मेदारी दी. उसने कई रेस्टोरेंट मालिकों से बात की. चंदे के नाम पर मनीष सिसोदिया को 32 लाख रुपये का चेक दिया. बाद में दिनेश अरोड़ा इस मामले में सरकारी गवाह बन गया. ईडी ने चार्जशीट में इसी साल जनवरी में संजय सिंह का नाम जोड़ा था.

पुरानी और नई नीति में क्या-क्या बदलाव किए गए?

पुरानी नीति के तहत दिल्ली में 60% सरकारी और 40% प्राइवेट थीं. जबकि नई शराब नीति लागू होने के बाद 100% दुकानें प्राइवेट हो गईं. नई नीति के तहत एल-1 लाइसेंस फीस 25 लाख की जगह 5 करोड़ कर दी गई. इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं. जबकि बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला.

क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी की संभावना है?

जानकारों का कहना है कि दिल्ली शराब नीति मामले में जिस तरह से जांच एजेंसियां एक्टिव हैं और धड़ाधड़ कार्रवाई कर रही हैं, उससे अटकलों से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस मामले में जांच एजेंसी ने पहले कथित स्कैम से जुड़े लोगों के नाम खंगाले. उनका कनेक्शन पता किया और सबूत जुटाए. उसके बाद बड़े नेताओं के खिलाफ एक्शन की तैयारी की गई. पहले दिग्गजों के नाम एफआईआर दर्ज की गई. फिर उनके नामों का जिक्र चार्जशीट में भी किया गया. बाद में मनीष सिसोदिया, विजय नायर और संजय सिंह जैसे दिग्गजों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया. अब जांच की जांच सीएम केजरीवाल तक भी पहुंच गई है. पिछले कुछ दिन से सीएम केजरीवाल ने भी इस संबंध में कोई यान नहीं दिया. बुधवार को केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन अपने समन के बारे में बात नहीं की. उधर, केंद्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही हैं. किसी तरह का कोई दबाव नहीं है. अगर किसी को आपत्ति है या गड़बड़ लगता है तो उसके लिए कोर्ट के दरवाजे खुले हैं.

केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो कौन हो सकता है सीएम पद का दावेदार ?

आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल ही हैं. पार्टी में दूसरे चेहरे मनीष सिसोदिया, संजय सिंह जेल में हैं. सत्येंद्र जैन हाल ही में जमानत पर जेल से बाहर आए हैं. पार्टी में इस समय गोपाल राय, आतिशी सिंह, सौरभ भारद्वाज, राघव चड्ढा जैसे बड़े नाम हैं. इसके अलावा, पिछले कुछ दिन से सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय देखी गईं. वे सीएम केजरीवाल के साथ 4 अक्टूबर को संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके घर पहुंची थीं. हालांकि, यह पार्टी नेतृत्व ही करेगा कि संगठन और सरकार की जिम्मेदारी कौन संभालेगा.

कैसे हुआ कथित भ्रष्टाचार…

  • 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की. इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए.
  • हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं.
  • नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं.
  • नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं. सरकार – ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा.
  • सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी. –
  • जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े.

कमीशनबाजी में कैसे हुआ कथित मुनाफे का खेल…..

  • मान लीजिए पहले अगर 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपये में मिलती थी. तब इस एक बोतल पर रिटेल कारोबारी को 33.35 रुपये का मुनाफा होता था.

-223.89 रुपये उत्पाद कर और 106 रुपये वैट के रूप में सरकार को मिलता था. मतलब एक बोतल पर सरकार को 329.89 रुपये का फायदा मिलता था.

  • नई शराब नीति में वही 750 एमएल वाली शराब की बोतल का दाम 530 रुपये से बढ़कर 560 रुपये हो गया.
  • इसके अलावा रिटेल कारोबारी का मुनाफा भी 33.35 रुपये से बढ़कर सीधे 363.27 रुपये पहुंच गया. यानी रिटेल कारोबारियों का फायदा 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया.
  • सरकार को मिलने वाला 329.89 रुपये का फायदा घटकर तीन रुपये 78 पैसे रह गया. इसमें 1.88 रुपये उत्पाद शुल्क और 1.90 रुपये वैट शामिल है.

यानी सरकार का जो घाटा था वही AAP का फायदा बना. रिटेल कारोबारियों से इसी फायदे में कमीशन लिया गया. जिसकी राशि 300 करोड़ से भी ज्यादा होने का आरोप चार्जशीट में लगाया गया है.

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