UP Mafia List: बागपत के ये 6 बड़े माफिया प्रदेश के सभी गैंग्स पर भारी, ऐसा है क्राइम रिकॉर्ड

बागपत: अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में कहा कि अब माफिया धमका नहीं सकते हैं. अब जनता नहीं माफिया के डरने का टाइम आ गया है. यानी योगी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ पूरी तैयारी कर ली है. सरकार ने प्रदेश के टॉप माफियाओं की एक नई लिस्ट भी जारी की है. ये लिस्ट माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ हत्याकांड के बाद जारी की गई है, इसमें कुल मिलाकर प्रदेश के 64 बड़े माफियाओं और अपराधियों के नाम शामिल हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के उन टॉप बदमाशो के नाम हैं. जिनके नाम का इलाके में डंका बजता है. उनके नाम से लोग कांपते है. इन बदमाशों का काम सिर्फ दहशत फैलाना है. जिनके साये से भी लोग दूर भागते हैं. इन बदमाशों का नेटवर्क बहुत ही दूर दूर तक फैला हुआ है.

नेटवर्क में कई शार्प शूटर शामिल

यही नहीं इनके पास मजबूत नेटवर्क के साथ गिरोह में कई बड़े शार्प शूटर भी शामिल हैं. प्रदेश स्तर पर इस लिस्ट में शामिल हर अपराधी पर अब यूपी पुलिस का शिकंजा कसने जा रहा है. इन माफियाओं, सरगनाओं पर सोने से लेकर इनके जागने तक. उठने से लेकर बैठने तक की सभी गतिविधियों पर पुलिस की पैनी निगरानी रहेगी. इसको लेकर इंटेलिजेंस और खुफिया तंत्र एलआईयू भी बड़ी मजबूती के साथ सक्रिय हो गया है.

ऐसे में वेस्ट यूपी के टॉप माफियाओं की लिस्ट में सबसे ज्यादा छह माफिया अकेले बागपत जिले से हैं. इनमें कुख्यात बदमाश सुनील राठी, अनुज बरखा, धर्मेंद्र किरठल, विक्रांत उर्फ विक्की सुनहेडा समेत भूमाफिया यशपाल बरवाला और अमरपाल उर्फ कालू के नाम भी शामिल हैं.

सुनील राठी ने की थी मुन्ना बजरंगी की हत्या

सबसे पहले बागपत के टिकरी कस्बे के रहने वाले डॉन सुनील राठी के बारे में आपको बताते है… दोघट थाना इलाके के छोटे से कस्बे का रहने वाला सुनील राठी उस वक्त सुर्खियों में आया. जब उसने मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्वांचल माफिया मुन्ना बजरंगी की बागपत जिला जेल के अंदर ही गोलियों से छलनी कर उसकी हत्या कर दी.
सुनील राठी को अपराध की दुनिया बेताज बादशाह माना जाता है. राठी का इलाके में सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसका साम्राज्य यूपी से लेकर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तक फैला हुआ है. बताया जाता है कि राठी के पिता नरेश राठी जोकि टिकरी कस्बे के चेयरमैन थे. उनकी चुनावी रंजिश के चलते हत्या कर दी गई थी. पिता की हत्या का बदला लेने के लिए राठी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा.

सुनील राठी पर दर्ज 41 से ज्यादा मामले

पुलिस सूत्रों के अनुसार बताया गया है कि डॉन सुनील राठी पर हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण समेत कई संगीन धाराओं में 41 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. हाल ही में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए की टीम ने 21 फरवरी 2023 को सुनील राठी के ठिकानों पर रेड की थी.
राठी पर दिल्ली, कनखल हरिद्वार, मेरठ, बागपत, शामली, रुड़की, हरिद्वार में कई जगहों पर मुकदमे दर्ज हैं. सुनील राठी इस समय उत्तराखण्ड की हरिद्वार जेल में बंद बताया जाता है. उसके द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई लगभग सवा करोड़ रुपये की संपत्ति को भी जिला प्रशासन बागपत द्वारा जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है.

वेस्ट यूपी में विक्की सुनहेड़ा बड़ा नाम

इसके बाद आपको बागपत के ही दूसरे टॉप माफिया विक्की सुनहेड़ा उर्फ विक्रांत के बारे में बताएंगे. जिस समय डॉन सुनील राठी और पूर्वांचल माफिया मुन्ना बजरंगी बागपत के जिला जेल में बंद थे. उस समय बागपत जिला जेल की तन्हाई बैरक में विक्की सुनहेड़ा भी बंद था.
विक्की सुनहेड़ा उर्फ विक्रांत ने भी मुन्ना बजरंगी के साथ ही रात गुजारी. माफिया विक्की बागपत के खेकड़ा थाना इलाके के सुनहेड़ा गॉव का रहने वाला है. वेस्ट यूपी में विक्की सुनहेड़ा एक बड़ा नाम है. जिसने सन 1997 में जरायम की दुनिया में कदम रखा था.

पुलिस कस्टडी से फरार हुआ था विक्की सुनहेड़ा

बता दें कि विक्की सुनहेड़ा हत्या मामले में सन 2014 में ट्रेन से चैन पुलिंग कर पुलिस कस्टडी से हथकड़ी में फरार हो गया था. इसे 2015 में गाजियाबाद पुलिस ने पकड़ा था. विक्की सुनहेड़ा पर हत्या, लूट, रंगदारी आदि के करीब 22 मुकदमें दर्ज बताए जाते हैं. विककी द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई अभी तक लगभग 60 लाख रुपये कीमत की संपत्ति को जिलाधिकारी के आदेशानुसार गिरोहबंद एवम समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 14 (1) के तहत कुर्क किया जा चुका है.

कहा ये जाता है कि विक्की सुनहेड़ा जेल में बवाल करने को लेकर भी अक्सर चर्चाओं में रहता है. बागपत, मेरठ, आगरा, शाहजहांपुर, गाजियाबाद ही नहीं राजधानी दिल्ली और एमपी, हरियाणा में भी विक्की के खिलाफ कई मुदकमें दर्ज हैं. वह फिलहाल गाजियाबाद जिले की डासना जेल में बंद है. विककी सुनहेड़ा के अपने गिरोह में कई बड़े शार्प शूटर हैं. जो विक्की के एक इशारे पर किसी की भी हत्या की घटना को अंजाम दे सकते हैं.

सुनहेड़ा ने DU से की पढ़ाई

विककी सुनहेड़ा के बारे में ये भी बताया जाता है कि विक्की एक अच्छे घराने से ताल्लुक रखता था. उसने खुद भी दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की हुई है. विक्की ने एमबीए, एलएलबी की पढ़ाई भी की हुई है. लेकिन कॉलेज टाइम में हुए एक झगड़े में मारपीट मामले ने उसे जरायम की दुनिया मे पंहुचा दिया. धीरे-धीरे विक्की का गिरोह बढ़ता चला गया और वो एक बड़े माफियाओं की गिनती में शामिल हो गया.

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ एक-एक करके अपराधियों की कमर तोड़ रहे हैं. उन्हें सबसे पहले आर्थिक रूप से कमजोर किया जा रहा है. यानी अपराधियों माफियाओं द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई. उनकी संपत्ति को कुर्क करने और उन पर बुलडोजर के जरिये उन्हें जमींदोज करने की कार्रवाई की जा रही है. बड़े-बड़े माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की तैयारी की जा चुकी है. वेस्ट यूपी में भी जिला प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े माफियाओं पर प्रशासन का हंटर चला है.

शातिर किस्म का अपराधी है अनुज बरखा

अब बागपत के तीसरे माफिया अनुज बरखा के बारे में हम आपको बताएंगे. दरअसल, अनुज बरखा बागपत के बड़ौत शहर कोतवाली क्षेत्र के बाजिदपुर गांव का रहने वाला है. अनुज बरखा एक शातिर किस्म का बड़ा अपराधी है. इसपर लूट, हत्या, गैंगस्टर के करीबन 40 मुकदमें दर्ज हैं.

अनुज बड़ौत कोतवाली का हिस्ट्रीशीटर बदमाश है. जोकि अभी बागपत जिला जेल में बंद है. अनुज बरखा के पास अवैध रूप से अर्जित की हुई करीब 60-70 लाख रुपये कीमत की संपत्ति बताई गई. इसपर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की. गांव में बने उसके मकान पर कुर्की की कार्रवाई करते हुए उसपर सील लगा दी.

बाजिदपुर समेत बड़ौत व आसपास के गांव में अनुज बरखा के नाम से लोग दहशत खाते हैं. अनुज लोगों को डराने धमकाने, हत्या करने में माहिर है. इसके पास अपना एक अलग गैंग है. अनुज बरखा वैसे तो वाजिदपुर गांव की प्रधान रही नीलम तोमर का पति है. वर्तमान में बाजिदपुर गांव के प्रधान अश्वनी तोमर का भाई है. इसीलिए लोग उसे भी अनुज प्रधान के नाम से बुलाते हैं. वह मेरठ के कुख्यात बदमाश उधम सिंह करनावल का ममेरा भाई है.

बागपत जिला न्यायालय में किया था सरेंडर

इसके पास कई शार्प शूटर हैं. अनुज बरखा के खिलाफ आसपास क्षेत्र में कई मुकदमे दर्ज हैं. अनुज ने बीती अगस्त 2020 में पुलिस के एनकाउंटर के डर के चलते पुलिस को चकमा देते हुए बागपत जिला न्यायालय में खुद को सरेंडर कर दिया था. अनुज के बारे में बताया जाता है कि वह बड़ौत ब्लॉक प्रमुख अनिता तोमर का देवर है. अनुज, मेरठ के कुख्यात अपराधी योगेश भदौड़ा गैंग का सक्रिय सदस्य भी है.

हाल ही में न्यायालय में पेशी के दौरान अनुज बरखा एक पुलिसकर्मी का पिस्टल छीनकर भाग निकला और उनपर फायरिंग करने लगा तो पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उसे धर दबोचा और जेल भेज दिया था.

धर्मेंद्र किरठल पर दर्ज हैं 49 केस

बात अब बागपत के उस माफिया की जो आतंक का पर्याय माना जाता है. जरायम की दुनिया का वो बड़ा नाम जिसे लोग धर्मेंद्र किरठल के नाम से जानते हैं. धर्मेंद्र बागपत के रमाला थाना क्षेत्र के किरठल गांव का रहने वाला है. धर्मेंद्र किरठल पर लूट, हत्या, रंगदारी, अपहरण, गैंग्स्टर आदि के करीब 49 मुकदमे दर्ज हैं. धर्मेंद्र किरठल का भी अपना बड़ा और मजबूत नेटवर्क है.

बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र किरठल ने लगभग 30 साल पहले यानी 1992 में पहला अपराध किया था. इस मुकदमे में रमाला थाने में आईपीसी की धारा 392 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. धर्मेंद्र किरठल का गिरोह वेस्ट यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड आदि राज्यों तक फैला है.

धर्मेंद्र पर अवैध तरीके से धन अर्जित कर करीब एक करोड़ रुपये कीमत की अवैध संपत्ति बनाने का आरोप है. जिसे क्षेत्राधिकारी बड़ौत द्वारा कुर्क कर कार्रवाई की गई. ये कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) के अन्तर्गत कुर्क की गई. गांव में ढोल नगाड़े बजाकर मुनादी भी कराई गई. कुख्यात धर्मेंद्र की मां सुरेश देवी जिला पंचायत सदस्य तथा पत्नी सुदेश देवी किरठल की ग्राम प्रधान रह चुकी हैं.

दरअसल, बागपत के डॉन यानी सुनील और धर्मेंद्र में छत्तीस का आंकड़ा रहा है. इसीलिए सुनील राठी ने हरियाणा के बदमाश अंकित काला को सुपारी देकर धर्मेंद्र को अपने रास्ते से हटाने की ठानी. लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. क्योंकि जिस दिन अंकित काला धर्मेंद्र को मारने के लिए निकला तो यूपी की शामली पुलिस में सूचना के आधार पर अंकित काला को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के दौरान इस मामले का भी खुलासा किया. धर्मेंद्र 50 हजार का इनामी बदमाश भी रह चुका है. धर्मेंद्र डी-3 गैंग का सरगना है जोकि फिलहाल अंबेडकर नगर जेल में बंद है.

यशपाल बरवाला का उत्तराखंड तक फैला साम्राज्य

अब बात प्रदेश के उस माफिया की जिसका साम्राज्य यूपी ही नही उत्तराखंड तक बना है. इसके बड़े-बड़े महलों पर बाबा का बुलडोजर ऐसा चला कि महल के साथ-साथ माफिया भी मिट्टी में मिल गया. जी हां, बागपत का रहने वाला यशपाल बरवाला जोकि बागपत के रमाला थाना क्षेत्र के बरवाला गांव का ही रहने वाला है.

उसके अपने पैतृक गांव बरवाला में कई बीघा कृषि भूमि है. जो उसने भी अवैध तरीके से हासिल कर रखी थी. यशपाल बरवाला की धोखाधड़ी से अर्जित की हुई अवैध सम्पत्ति दिल्ली से लेकर यूपी और उत्तराखंड तक फैली है.

बताया जा रहा है कि एसटीएफ ने दिल्ली से गिरफ्तार कर हरिद्वार में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया. यशपाल शातिर किस्म का अपराधी है. जिसकी बागपत पुलिस अभी तक करीब एक करोड़ 18 लाख रुपए कीमत की संपत्ति को कुर्क कर बड़ी कार्रवाई कर चुकी है. गैंगस्टर यशपाल तोमर पर हरिद्वार में जबरन भूमि पर कब्जा करने और भूमि मालिकों को मुकदमे में फंसा कर जमीन कब्जाने के आरोप में कई दर्जन मुकदमें दर्ज हैं.

बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलता था बरवाला

अपने आदमियों से हत्या, रंगदारी, जानलेवा हमला, और दुष्कर्म जैसे फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर लोगों की जमीन कब्जाता था. उस जमीन का बैनामा अपने नाम और परिवार के नाम करा लिया करता था. बताया गया है कि आरोपित भूमाफिया यशपाल तोमर (गैंग लीडर) पर हरिद्वार, नैनीताल, रामनगर, कनखल, ज्वालापुर, गाजियाबाद, सहारनपुर व मेरठ, बागपत में करीब 20 मुकदमे दर्ज हैं .

यही नहीं गैंगस्टर यशपाल तोमर का कभी किसी एक समय नोएडा, बागपत, मेरठ, हरिद्वार तक रसूख हुआ करता था. वह बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलता था. 2022 के विधानसभा चुनाव में यशपाल तोमर अपने रसूख और शोहरत के बल पर राजनीति में कदम रखना चाहता था.

जिसने बापगत के अपने पैतृक बरवाला गांव से लेकर छपरौली विधानसभा तक अपना सिक्का जमाने का काफी प्रयास किया, लेकिन उसी बीच गैंगस्टर यशपाल बरवाला को उत्तराखंड की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जो अब हरिद्वार में सलाखों के पीछे अपने कर्मों की सजा काट रहा है. कुख्यात बरवाला की यूपी और उत्तराखंड में अभी तक लगभग 300 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया जा चुकी है.

कालू लुहारा बगदादी की तरह काटता था गर्दन

अब बागपत के उस माफिया, उस शख्स के बारे में आपको बताएंगे जो किसी बगदादी से कम नहीं है. इसका नाम अमरपाल उर्फ कालू लुहारा है. ये बागपत जनपद के छपरौली थाना क्षेत्र के लुहारा गांव का रहने वाला है. अमरपाल उर्फ कालू छपरौली थाने का है. वो हिस्ट्रीशीटर बदमाश है. जो बगदादी की तर्ज पर गर्दन काटकर हत्या करता है.

पहले फांसी पर लटकाता था. फिर गर्दन काटकर यमुना नदी में फेंक देता था. इंसान के धड़ (शरीर) को अलग कर उसे कहीं और फेंक देता था. इस सीरियल किलर अमरपाल कालू को नरमुंडों से खेलने का शौक है. पलक झपकते ही ये सर को धड़ से अलग कर देता है. अमरपाल उर्फ कालू अभी तक करीब लगातार आठ हत्याओं को अंजाम दे चुका है.

अमरपाल पर लूट, हत्या, जानलेवा हमला करना, धमकी समेत कई विभिन्न धाराओं में करीबन 34 मुकदमे दर्ज हैं. अमरपाल की अभी तक लगभग जिला प्रशासन द्वारा लगभग 10 लाख रुपये कीमत की अवैध संपत्ति को कुर्क कर कार्रवाई की जा चुकी है. बताया जाता है कि सबसे पहले सन 2003 में अपहरण और हत्या के मामले में कालू पर छपरौली थाने में मुकदमा लिखा गया था. इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.

माफियों के खिलाफ एक्शन मूड में आई योगी सरकार

वहीं से अमरपाल उर्फ कालू ने अपराध की दुनिया मे अपने पैर जमाने शुरू कर दिए और एक-एक कर कई बड़े माफियाओं, अपराधियों से मिला. इसके बाद वह खुद मेहरबान गिरोह डी-38 गैंग का सक्रिय सदस्य हो गया.

इन सभी माफियाओं और अपराधियों पर दर्ज मुकदमे और इनके द्वारा किये गए अपराध इनकी क्रूरता की दास्तां को बयां कर रहे हैं. हालांकि, ये सभी जेल की सलाखों के पीछे बंद हैं. बागपत पुलिस लगभग पांच करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति कुर्क भी कर चुकी है. मगर अब देखना ये है कि योगी सरकार में इन्हें इनके कुकर्मों की सजा कितनी खौफनाक मिलती है. क्योंकि योगी सरकार माफियाओं के प्रति अब एक्शन मूड में नजर आ रही है.

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