tehri-garhwal-news-threat-to-the-himalayas

डैम से बदल रही हिमालय की डेमोग्राफी, एक-दूजे के करीब आ रहे पहाड़; दे रहे बड़ी तबाही के संकेत

जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव की वजह से संकट खड़ा हो गया है. इसका बड़ा कारण हिमालय में हो रहे बदलाव है इस बदलाव की वजह बड़े बड़े बांध हो या फिर परियोजनाओं के निर्माण जिससे हिमालय के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पर्यावरणविद और वैज्ञानिक अपनी रिपोर्टों में इस बात की सिफारिशें कर चुके हैं कि हिमालय में बड़े बांध बनाने से बड़ा नुकसान हो सकता है इसका जीता जागता उदाहरण टिहरी डैम पर बने एक रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में आया है कि डैम के रिजर्व वायर की वजह से हिमालय का जीपीएस सिस्टम बदल रहा है. उत्तराखंड में बांधों की वजह से कई तरह की दिक्कतें आ रही है टिहरी डैम पर भी एक रिसर्च पेपर के मुताबिक जिसमें एक रिपोर्ट तैयार की गई थी.

यह कहा गया था कि उत्तराखंड के लिए बड़े बांध हिमालय रीजन के लिए बड़ा नुकसान है. वहीं रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में पाया गया कि टिहरी डैम जो कि 24 सौ मेगावाट का है, भारत का सबसे ऊंचा और बड़ा बांध भी टिहरी बांध ही है तो वहीं दुनिया के 8 बड़े बांधों में टिहरी बांध का भी नाम है. वैज्ञानिकों की रिसर्च रिपोर्ट में यह पाया गया कि टिहरी डैम के रिजर्व वायर में जब भी पानी पूरा भरता है तो आसपास की पहाड़ियां नजदीक आ जाती है. यह साल में दो बार होता है, रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में यह कहा गया कि टिहरी डैम के रिजर्व वायर में पानी भरने से आसपास की हिमालय क्षेत्रों की पहाड़ियां अपना जीपीएस धीरे-धीरे बदल रही है.

पहाड़ों के अंदर धीरे-धीरे खिसक रही चट्टानें
यानी उनकी ज्योग्राफिकल कंडीशन चेंज होती है जो आने वाले समय के लिए बड़ा नुकसान है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जो ज्योग्राफिकल कंडीशन जीपीएस बदलने का मतलब यह है कि पहाड़ों के अंदर धीरे-धीरे चट्टाने या प्लेट सरक रही है. रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में यह भी वैज्ञानिकों ने पाया कि टिहरी डैम की झील जो 42 किलोमीटर लंबी है उसके आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन , तेजी से हो रहे हैं.

उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों में 70 से ज्यादा जल विद्युत परियोजनाएं बन रही हैंं, और समय-समय पर कई जल विद्युत परियोजनाओं से आस-पास के गांव और शहरों में नुकसान हुआ है. सुरंग के बनने से दरारें आई हैं.

नहीं मानी सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की सिफारिशें
सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्षता में 2013 की आपदा के बाद एक कमेटी बनी थी, इस कमेटी का मकसद था कि उत्तराखंड के हिमालय रीजन में निर्माण हो रहे बांधों की वजह से क्या असर हो रहा है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की, जिसमें जोशीमठ की तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना पर भी कहा गया कि क्योंकि जोशीमठ MCT यानी मेन सेंट्रल थ्रस्ट जोन में आता है, इसलिए इसके उत्तर में यानी जहां पर जोशीमठ में विष्णुगढ़ परियोजना बन रही है वहां कोई परियोजना नहीं बनाई जानी चाहिए लेकिन कमेटी की सिफारिशों को नहीं माना गया.

टिहरी डैम की झील से पूरे इलाके में हो रहे बदलाव, ये हैं अहम कारण
-टिहरी डैम पर बनी झील के दबाब से उसके आसपास का क्षेत्र का सिस्टम में बदलाव हो रहे है.

-टिहरी डैम जो कि 24 सौ मेगावाट का है भारत का सबसे ऊंचा और बड़ा बांध भी टिहरी बांध ही है तो वहीं दुनिया के 8 बड़े बांधों में टिहरी बांध का भी नाम है.

-वैज्ञानिकों की रिसर्च रिपोर्ट में यह पाया गया कि टिहरी डैम के रिजर्व वायर में जब भी पानी पूरा भरता है तो आसपास की पहाड़ियां नजदीक आ जाती है और यह साल में दो बार होता है.

– रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में यह कहा गया कि टिहरी डैम के रिजर्व वायर में पानी भरने से आसपास की हिमालय क्षेत्रों की पहाड़ियां अपना जीपीएस धीरे-धीरे बदल रही है यानी उनकी ज्योग्राफिकल कंडीशन चेंज होती है.

– वैज्ञानिकों का कहना है कि जो ज्योग्राफिकल कंडीशन जीपीएस बदलने का मतलब यह है कि पहाड़ों के अंदर धीरे-धीरे चट्टाने या प्लेट सरक रही है.

-रिसर्च पेपर की रिपोर्ट में यह भी वैज्ञानिकों ने पाया कि टिहरी डैम की झील जो 42 किलोमीटर लंबी है उसके आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन , तेजी से हो रहे हैं.

-टिहरी डैम के रिजर्व वायर के रिसर्च में GPS measurements and Interferometric Synthetic Aperture Radar (InSAR) analysis किया गया है.

-एक तरह से टिहरी झील साँस ले रही है और आसपास की जमीन सरक रही है.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1