S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध पर अमेरिका में ‘बवाल’, विपक्षी नेता बोले- यह रूस की जीत होगी

रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम को खरीदने पर अमेरिका कई बार भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे चुका है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी भारत दौरे के समय कहा था कि हमारे दोस्तों को रूस से हथियारों की खरीद से बचना चाहिए। उधर, भारत पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर अमेरिकी सांसद दो फाड़ हो गए हैं। रिपब्लिकन पार्टी के नेता टोड यंग ने कहा है कि अगर भारत पर काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाया जाता है तो यह रूस के लिए भूरणनीतिक जीत होगी।

अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सदस्य यंग ने विदेश नीति मैगजीन में लिखा कि यदि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो इससे अहम समय में दो रणनीतिक मोर्चे कमजोर होंगे- इससे भारत के साथ अमेरिका के संबंध कमजोर होंगे और इससे चीन से निपटने की क्वाड (QUAD) की क्षमता भी प्रभावित होगी।

यंग ने सोमवार को कहा कि हालिया सप्ताह में सीनेट की विदेश मामलों की समिति के डेमोक्रेटिक अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज ने कहा था कि यदि भारत रूसी मिसाइल प्रणाली खरीदने की दिशा में आगे बढ़ता है तो उसे काट्सा की धारा 231 के तहत प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी जानी चाहिए। बता दें कि रूसी रक्षा या खुफिया क्षेत्रों के लिए या उनकी ओर से काम करने वाले प्रतिष्ठानों पर इस धारा के तहत अमेरिका प्रतिबंधों का ऐलान करता है।

यंग ने लिखा कि अमेरिका के प्रतिबंध लगाने का कदम भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने से रोकेगा नहीं। अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर भारत के ऐतिहासिक संशयवाद और रूस के साथ उसके पुराने संबंधों के मद्देनजर किसी भी प्रतिबंध को गुट निरपेक्ष आंदोलन के सहयोगियों समेत भारत में वे लोग बढ़ा-चढ़ा कर दिखाएंगे और इनका लाभ उठाएंगे, जिन्हें पश्चिम के साथ गहरे संबंधों को लेकर शक रहता है।

उन्होंने लिखा कि इसके अलावा रूस भारत के सैन्य साझेदार के रूप में अपनी भूमिका का फिर से दावा करने के लिए प्रतिबंधों का लाभ उठा सकता है। इसके बाद विडम्बना यह होगी कि रूस निर्मित रक्षा प्रणाली को लेकर भारत पर प्रतिबंध लगाना वास्तव में मॉस्को की भूरणनीतिक जीत साबित होगा। उन्होंने बाइडन प्रशासन से भारत को सीएएटीएसए से छूट दिए जाने की अपील करते हुए कहा कि यह छूट देने से और भारत को रूसी हथियार खरीदने की अनुमति देने से बाइडन प्रशासन यह स्पष्ट कर सकता है कि अमेरिका के लिए मुख्य भूरणनीतिक खतरा चीन है।

कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सेना के इंडो-पैसिफिक कमांड के चीफ बनने जा रहे एडमिरल जॉन एक्वीलिनो ने भारत रूस के संबंधों को लेकर यूएस कांग्रेस को जमकर सुनाया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका को यह समझने की जरूरत है कि सुरक्षा सहयोग और सैन्य साजो सामान के लिए भारत के रूस के साथ पुराने संबंध हैं। उन्होंने रूस से भारत के एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर भी प्रतिबंधों को न लगाने की वकालत की थी।

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