कांग्रेस में आल इज नॉट वेल – आजाद, हुड्डा, सिब्‍बल और तिवारी जम्‍मू में सब एक साथ, हो सकता है बड़ा एलान

पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर गांधी परिवार को कठघरे में ला चुके कांग्रेस के कई दिग्गज एक बार फिर पार्टी हाईकमान को सीधी चुनौती देने के मूड में नजर आ रहे हैं। शनिवार को जम्मू में गांधी ग्लोबल फैमिली के शांति सम्मेलन पर यह तय है कि निशाना गांधी परिवार होने जा रहा है। जम्मू कश्मीर के पूर्व CM गुलाम नबी आजाद समेत हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और मध्यप्रदेश के आधा दर्जन से अधिक दिग्गज कांग्रेसी शुक्रवार को ही जम्मू में पहुंच गए हैं।

खास बात यह है कि यह नेता ऐसे समय में जम्मू पहुंचे हैं जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तमिलनाडु में चुनाव प्रचार को गति देने जा रहे हैं। हालांकि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर शुक्रवार को BJP में जाने से इन्कार कर दिया पर पार्टी के दिग्गजों के जमावड़े से साफ है कि यह गुट भविष्य में भी गांधी परिवार की चुनौती बढ़ाने वाला है।

यह सभी नेता राहुल गांधी द्वारा बीते दिनों तिरुवंतपुरम में दिए गए भाषण से भी नाराज हैं। राहुल गांधी ने अपने भाषण में उत्तर भारत की सियासत और सियासतदानों पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा था कि मैं बीते 15 साल तक उत्तर भारत से सांसद था। मैंने दक्षिण भारत के लोगों को मुद्दों पर सरसरी नहीं बल्कि गहन और गूढ़ चर्चा में शामिल देखा है। मेरे लिए केरल आना, बहुत अच्छा रहा है। उनके इस बयान को उत्तर और दक्षिण के बीच दरार पैदा करने वाला माना जा रहा है। खास बात यह है कि यह सभी उत्तर भारत से ही संबंध रखते हैं।

जम्मू पहुंचे कांग्रेस के नेताओं में गुलाम नबी आजाद के अलावा कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक दिग्‍गज शामिल हैं।आजाद कई सरकारों में केंद्र में मंत्री रहे हैं और स्‍वयं जम्‍मू कश्‍मीर के CM रह चुके हैं।

कपिल सिब्बल – पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता। कई मामलों में कांग्रेस की पैरवी करते रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और जाट सियासत के प्रमुख केंद्र। उनके बेटे राज्‍यसभा सदस्‍य हैं।
राज बब्बर – फिल्‍म अभिनेता से सियासत में आए। यूपी कांग्रेस के अध्‍यक्ष रह चुके हैं।
आनंद शर्मा – पूर्व केंद्रीय मंत्री, विदेश मामलों के जानकार
मनीष तिवारी – पूर्व केंद्रीय मंत्री, पंजाब की सियासत में फिलहाल स्‍वयं को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
विवेक तनखा – मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य।

कांग्रेस में पिछले साल अगस्त से ही विवाद चल रहा है। पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने अगस्त 2021 में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेतृत्व की नीतियों के प्रति अपना असंतोष जताया था। इन नेताओं ने कांग्रेस की नीतियों में सुधार पर जोर देते हुए जमीनी स्तर के नेताओं व कार्यकर्ताओं को शामिल कर संगठनात्मक चुनाव कराने पर जोर दिया था। इन नेताओं को कांग्रेस में G-23 कहते हैं। हालांकि दिसंबर 2020 में सोनिया गांधी के साथ बागी नेताओं की मुलाकात के बाद विरोध के स्वर कुछ शांत होते नजर आ रहे थे। कहा जा रहा था कि दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंच गए हैं पर यह अब भंग होता नजर आ रहा है।

आजाद के करीबियों में शामिल एक नेता ने बताया कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व संगठनात्मक सुधार को राजी होता नजर नहीं आता। वरिष्ठ नेताओं की लगातार उपेक्षा होती आ रही है। गांधी परिवार कुछेक खास लोगों तक सीमित होकर रह गया है। कांग्रेस कार्यकारी समिति में बीते साल दिसंबर में जो समझौता हुआ था, उस पर आज तक अमल नहीं हुआ है। गुलाम नबी आजाद की उपेक्षा से भी सभी नाराज हैं।

राज्यसभा से कार्यकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस की कार्यकारी समिति में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी, लेेकिन उन्हेंं हाशिए पर धकेला जा रहा है। यहां बता दें कि कांग्रेस ने आजाद के बाद अब मल्लिकार्जुन खडग़े को भी राज्यसभा में विपक्ष का नेता बना दिया है। इसक अलावा राबर्ट वाड्रा का केस लड़ रहे वकील को राज्यसभा में भेजा गया है।

गांधी ग्लोबल फैमिली के प्रदेशाध्यक्ष एसपी वर्मा ने कहा कि हमारा कांग्रेस की अंदरुनी राजनीती से कोई सरोकार नहीं है। हमने शांति सम्मेलन में गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित कई लोगों को बुलाया है। पूर्व CM गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के कुछ और वरिष्ठ नेताओं को भी हमने दावत दी थी। राज बब्बर भी गांधी ग्लोबल फैमिली से जुड़े रहे हैं। हमारे मंच पर कोई सियासत नहीं होगी। गुलाम नबी आजाद भी सम्मेलन में अपने विचार रखेंगे।

राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद लंबे समय बाद अपने घर लौट रहे हैं तो उनका भव्य स्तर पर स्वागत हो रहा है, इसलिए उन्होंने अपने सभी मित्रों को आमंत्रित किया है। मैं भी जा रहा हूं, उन्हीं के घर पर ठहरूंगा। वहीं, जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनीष तिवारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने व्यस्तता की बात कहकर फोन काट दिया।

मुझे BJP में जाना होता तो तभी चला जाता जब अटल बिहारी वाजपेयी 1980 के बाद हर दीवाली व ईद पर मेरे घर आते थे। इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया है। इतना कुछ सुनना पड़ रहा है। अब मैं सुन रहा हूं कि मोदी जी रोए तो मैं BJP में जा रहा हूं। -गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

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