CORONA संक्रमण के इस दौर में 12 से 16 घंटे की डयूटी और इसके बाद 2 से 3 घंटे तक जरूरमंद लोगों के लिए मास्क बनाना। यहीं नहीं अपनी कमाई से ही गरीब लोगों को 10-10 दिन का राशन भी देना। भरतपुर पुलिस के कांस्टेबल अनोखे सिंह का यह अनोखा प्रयास लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा बना हुआ है।
अनोखे सिंह भरतपुर के उद्योग नगर पुलिस थाने में कांस्टेबल है। 15 साल से इस नौकरी में है। गांव में खेतीबाड़ी भी है। घर में पत्नी और एक छोटा बच्चा है। Coronavirus संक्रमण के इस समय में लम्बी डयूटी दे रहे है। इस डयूटी में ही जब उन्होंने लोगों की जरूरत देखी तो दिल में ख्याल आया कि कुछ करना चाहिए। इस जज्बे से कपड़े के मास्क बनाने शुरू किए। उनकी पत्नी सिलाई का अच्छा काम जानती है। उन्होंने ही अनोखे सिंह को भी मास्क बनाना सिखा दिया। अब दोनों मिल कर दिन में करीब 500 मास्क बना लेते है। अब तक करीब दस हजार मास्क बना कर लोगों में बांट चुके है। इसका कोई पैसा नहीं लेते, जो भी खर्च होता है, वह अपनी कमाई से करते है। अनोखे सिंह सिर्फ मास्क ही नहीं बना रहे, बल्कि जरूरतमंद परिवारों को राशन भी दे रहे है। अब तक 50 परिवारों को 2 बार 10-10 दिन का राशन दे चुके है। बताते हैं कि दस किलो आटा, आलू, प्याज, दाल, मसाले आदि का एक किट करीब 550 रूपए का बनता है। घर के पास ही जरूरतमंद लोगों की एक बस्ती है। वहां 50 परिवारों को दो बार अपनी ओर से यह किट दे चुके है।
ऐसा नहीं है कि अनोखे सिंह के दिल में यह जज्बा पहली बार पैदा हुआा है। वे गरीब बच्चों के लिए स्कूल युनिफार्म भी तैयार करते है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल से वे हर साल करीब 50 गरीब बच्चों को स्कूल युनिफार्म दे रहे है। उनकी पत्नी BEd कर चुकी है, लेकिन अभी गृहिणी है और खुद ही यह युनिफार्म तैयार करती है। अनोखे सिंह ने बताया कि इस बार भी हमने युनिफार्म के लिए कपड़ा लिया था, लेकिन Lockdown हो गया तो इस कपड़े को बदलवा कर मास्क बनाने के लिए दूसरे रंग का कपड़ा ले लिया। वे कहते है कि जब पढता था तब भी लगता था कि लोगों की जरूरत बहुत है, लेकिन उन्हें जरूरत के हिसाब से मिलता नहीं है, इसलिए जब कमाने लगा तो सोचा कि जहां तक हो सके लोगों के लिए कुछ करना चाहिए। अभी खर्च ज्यादा नहीं है। वेतन आता है, खेती बाड़ी है तो उसकी कमाई आती है, इसलिए जहां तक हो सकता है लोगों की सहायता करने की कोशिश कर रहे है।