तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने उत्तरी सीरिया में कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी रखी है। अमेरिका के मना करने पर भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन समेत प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन से मुलाकात करेगा। इस बीच डॉनल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर प्रस्तावित वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला तो अंकारा को ‘विनाशकारी प्रतिबंधों’ का सामना करना पड़ेगा।
ट्रंप ने ये बात अमेरिका के दौरे पर आये इटली के राष्ट्रपति सर्जियो मटरेला के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही है। उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति के साथ गुरुवार को होने वाली उपराष्ट्रपति माइक पेंस की बैठक का जिक्र करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि उनकी एक सफल बैठक होगी।’ इसी के साथ उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो प्रतिबंधों और शुल्क और अन्य चीजें जो हम तुर्की के विरूद्ध कर रहे हैं उसे हम और करेंगे जो तुर्की की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी होगा।’
दरअसल, अमेरिका सीरिया से अपने सैनिकों को वापस लाना चाहता था। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी ये बात कह चुके हैं। अमेरिका के अपनी भावी नीति को बताते ही तुर्की ने कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ हमले शुरू कर दिये। तुर्की हमलों का मकसद कुर्द नीत ‘सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस’ एसडीएफ को सीमा क्षेत्रों से खदेड़ना है। तुर्की सरकार इलाके में ‘सुरक्षित क्षेत्र’ बनाना चाहती है, जहां वह 20 लाख सीरियाई शरणार्थियों को दोबारा बसा सके जो फिलहाल तुर्की में हैं।