10 अरब के ईपीएफ घोटाले के विरोध में शक्ति भवन पर ‘शक्ति प्रदर्शन’

बिजली विभाग में 10 अरब के ईपीएफ घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में प्रदेश भर से हजारों बिजली कर्मचारी जुटे। विद्युत संविदा मजदूर संगठन और विद्युत मजदूर संगठन उप्र की अगुवाई में कर्मचारियों ने शक्ति भवन पर एक बड़ी रैली निकाली। इस रैली में यूपीपीसीएल सहित प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के संविदा कर्मियों ने भाग लिया। रैली से पहले एक सभा का आयोजन किया गया। जिसे अध्यक्ष अरुण कुमार अध्यक्ष, कार्यवाहक अध्यक्ष आरसी पाल, प्रदेश प्रभारी शमीम अहमद, मुख्य महामंत्री आलोक सिन्हा, श्रीचंद महामंत्री, मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडे, नवीन श्रीवास्तव, पुनीत राय, इंद्रेश राय, प्रवीण सिंह, राहुल कुमार, वेद प्रकाश राय, प्रताप सिंह, मुकुल सक्सेना, मोहन बाबू आर्या, राजेश कुमार, शोएब हसन, दीपक कश्यप, महेश शर्मा, श्याम कुमार श्रीवास्तव, एसके सिंह, नवल किशोर सक्सेना, राजेश्वर सिंह, अशोक राय आदि ने संबोधित किया।

सभा के बाद संगठन के महामंत्री आलोक सिन्हा के नेतृत्व में फील्ड हॉस्टल से चलकर सिकंदर बाग चैराहा होते हुए हजारों की संख्या में पैदल मार्च करते हुए बिजली कर्मचारी शक्ति भवन पहुंचे।
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए संगठन के वरिष्ठ मजदूर नेता आरएस राय ने बताया कि संविदा ठेकेदारों ने मृतक संविदा कर्मियों का ईपीएफ हजम कर दिया। जिसके चलते बिजली कर्मचारियों की विधवाओं व परिवारों को पेंशन व अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाईं। जबकि विभाग की तरफ से लगातार इस मद में भुगतान किया जाता रहा। श्री राय ने कहा कि नियमित कर्मचारियों के जीपीएफ सीपीएफ मद में की कटौती के लगभग 23 अरब रुपए के गबन की प्रतिपूर्ति के लिए सरकार राजाज्ञा जारी करे।

हमारी प्रमुख मांग है कि संविदा कर्मियों के वेतन से ईपीएफ मद में की गई कटौती के 10 अरब रुपए के घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाए। मजदूर नेता आरएस राय ने कहा कि इंजीनियरों की मिलीभगत से ठेकेदार लगातार पिछले 12 वर्षों से संविदा कर्मियों की गाढ़ी कमाई से काटे गए ईपीएफ की रकम डकार गए। इस घोटाले की अगर सीबीआई जांच कराई जाए तो बड़े पदों पर बैठे लगभग एक सैकड़ा अभियंता नपेंगे।

श्री राय ने कहा कि इंजीनियरों के दबाव के चलते अभी तक सरकार ने ईपीएफ घोटाले की जांच नहीं कराई है। जबकि संगठन वर्ष 2017 में गांधी भवन में सम्मेलन करके और 2018 में गन्ना संस्थान अधिवेशन करके ऊर्जा मंत्री के समक्ष इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग कर चुका है। ऊर्जा मंत्री ने आश्वासन भी दिया था। लेकिन ऊर्जा निगमों के इतिहास के इस सबसे बड़े घोटाले की जांच नहीं हो पा रही है।

संगठन के महामंत्री श्रीचन्द्र ने कहा कि आज इस रैली के माध्यम से कार्यालय सहायक एवं टीजी-2 को न्यूनतम 3000 ग्रेड पर दिए जाने, संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन दिए जाने, लाइनमैन सहित श्रमिकों के 35000 पदों पर समायोजित किए जाने, विभागीय कर्मियों एवं पेंशनर्स को प्राप्त एलएमबी-10 की सुविधा यथावत रखे जाने, मीटर लगाए जाने का आदेश वापस लिए जाने, राज्य सरकार के कार्मिकों की भांति विद्युत विभाग में भी 2005 तक सेवा में आए कार्मिकों को पेंशन दिए जाने तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल किए जाने की मांग की।

संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष आरसी पाल ने 10 श्रमिक नेताओं और 155 संविदा कर्मियों तथा एक दर्जन नियमित कर्मचारियों पर 10 फरवरी 2015 को किए गए फर्जी मुकदमे को वापस लिए जाने की सरकार से मांग की। संगठन के वरिष्ठ मजदूर नेता आरएस राय के नेतृत्व में संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने 18 सूत्रीय मांग पत्र का ज्ञापन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा एवं चेयरमैन अरविंद कुमार को सौंपा। ऊर्जा मंत्री ने 2300 करोड़ रुपये की लिखित जिमेदारी लिए जाने एवं सरकार से आदेश जारी करने का भरोसा दिया। साथ ही संविदा कर्मियों के ईपीएफ घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराने का आश्वासन दिया। चेयरमैन अरविंद कुमार ने संगठन से शीघ्र वार्ता करके संविदा कर्मियों के ईपीएफ सहित सभी मामलों का निस्तारण करने का आश्वासन दिया।

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