बिहार का रण: हर वोट की कीमत वो ही जानता है, जिसने चंद वोटों से गंवाई हो सीट

बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में 8 सीटों पर हजार मतों से कम के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था। चुनाव के दौरान मतदाताओं के एक-एक वोट कितने महत्वपूर्ण हो जाते हैं, यह इस बात से साफ होता है। वही लगभग आधा दर्जन सीटें ऐसी थीं, जहां पांच हजार से कम मतों से चुनाव का निर्णय हुआ। BJP के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में वरिष्ठ मंत्री नंद किशोर यादव महज 25 सौ के करीब मतों के अंतर से चुनाव जीत पाये।

दिलचस्प यह कि जितने मतों से हार-जीत का फैसला हुआ, उससे कहीं अधिक मत वोटरों ने नोटा के लिए दबाये। चनपटिया, शिवहर, बनमनखी, बरौली, आरा, तरसारी व चैनपुर विधानसभा की सीटें इसकी उदाहरण हैं। सबसे कम मतों के अंतर से तरारी विधानसभा सीट का फैसला हुआ। यहां भाकपा माले ने सुदामा प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था। उनके मुकाबले तरारी के बाहुबली माने जाने वाले सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय LJP से उम्मीदवार थीं। गीता पांडेय को 43778 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी 44050 वोट आये। हार-जीत का अंतर मात्र 272 वोट का रह गया,जबकि, यहां के 3074 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। इस तरह मार्जिनल मतों से भाकपा- माले को जीत मिली।

इस चुनाव में JDU को चनपटिया विधानसभा सीट महज 464 वोटों से हार जाना पड़ा। यहां JDU के एनएन शाही के मुकाबले BJP के प्रकाश राय को 464 वोट अधिक मिले, जबकि, शिवहर की सीट पर उसे करीब इतने ही वोट 461 मतों से जीत मिली। इन दोनों जगहों पर नोटा दबाने वाले मतदाताओं की संख्या चार हजार से अधिक थी। झंझारपुर की सीट पर पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र को 834 मतों से परास्त हो जाना पड़ा। राज्य के पूर्व CM डाॅ जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्र अपने पिता की परंपरागत सीट झंझारपुर से BJP की टिकट पर उम्मीदवार थे। उनके मुकाबले महागठबंधन ने RJD के गुलाब यादव को उम्मीदवार बनाया था। चुनाव परिणाम गुलाब यादव के पक्ष में रहा। उन्हें 64320 वोट मिले,जबकि महज 834 मतों पीछे रह गये नीतीश मिश्र को 63486 वोट आये। यहां 1044 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

इसी प्रकार बनमनखी सुरक्षित सीट पर BJP के कृष्ण कुमार ऋषि को RJD के संजीव पासवान के मुकाबले मात्र 708 वोट से जीत मिली। बरौली विधानसभा क्षेत्र में RJD के मो नेमातुल्लाह को BJP के रामप्रवेश राय से 504 मतों से जीत हासिल हुई। नेमातुल्लाह को 61690 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी 61186 वोट आये। यहां भी नोटा का उपयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या 988 रही थी। आरा की सीट पर BJP को 666 मतों से हार का नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह को 69338 वोट मिले थे। उनके मुकाबले RJD के मो नवाज आलम को 70004 वोट मिले। अमरेंद्र प्रताप सिंह को 666 मतों से पराजित हो जाना पड़ा.यहां तीन हजार से अधिक मतदाताओं ने नोटा को पसंद किया था।

2015 के विधानसभा चुनाव में चैनपुर विधानसभा सीट पर BSP का खाता खुलते- खुलते रह गया। यहां BJP के ब्रजकिशोर बिंद को 58913 वोट मिले। उनके मुकाबले BSP के उम्मीदवार मो जमा खान को 58242 वोट आये। महज 671 मतों से BJP की जीत हुई और BSP का खाता नहीं खुल पाया।

आंकड़ों का खेल भी गजब है:-
विधानसभा सीट- जीते-दल-अंतर
तरारी- सुदामा प्रसाद- भाकपा माले-272
शिवहर-सर्फुद्दीन-JDU-461
चनपटिया-प्रकाश राय-BJP-464
बरौली-मो नेमातुल्लाह-RJD-504
आरा-मो नवाज आलम-RJD-666
चैनपुर-ब्रजकिशोर बिंद-BJP-671
बनमनखी-कृष्ण कुमार ऋषि-BJP-708
झंझारपुर-गुलाब यादव-RJD-834

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