देश में ऐसी व्यवस्था हो कि RTI की जरूरत ही न पड़े: अमित शाह

केंद्रीय सूचना आयोग के 14वें स्थापना दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसी व्यवस्था हो कि आरटीआई दाखिल करने की जरूरत ही न पड़े बल्कि सरकार खुद सामने से सूचना दे। अमित शाह ने कहा कि जिस प्रकार से RTI एक्ट की कल्पना की गई होगी उसे लगभग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में हमारा देश सफल रहा है। आरटीआई एक्ट का मूल प्रावधान व्यवस्था के अंदर जनता का विश्वास खड़ा करना है। ये विश्वास जनता में जागृत करना यही इस कानून का प्रमुख उद्देश्य है।

अपने संबोधन में गृह मंत्री शाह ने कहा कि गुडगवर्नेंस के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है। दोनों को सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई ने काफी मदद की है। भारत जैसे देश में लोगों की शासन और व्यवस्था में सहभागिता और विश्वास बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले जनता और प्रशासन के बीच एक खाई बन गई थी क्योंकि उस वक्त प्रशासन का उद्देश्य अपने आकाओं की इच्छा को पूरा करना था।

उन्होंने कहा कि आरटीआई से इस खाई को पाटने में काफी मदद मिली है। इन 14 सालों में जनता का विश्वास प्रशासन व व्यवस्था के प्रति बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आरटीआई भारत में लोकतंत्र की यात्रआ के अंदर मील का पत्थर साबित हुआ है।

अमित शाह ने कहा कि पूरे विश्व में सरकारे आरटीआई का कानून बनाकर रुक गईं लेकिन भारत में हमने ऐसा नहीं किया। नरेंद्र मोदी सरकार में हम इसी तरह का प्रशासन देना चाहते हैं कि सूचना का अधिकार के आवेदन कम से कम आएं और लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब आरटीआई एक्ट बना तब ढेर सारी आशंकाएं व्यक्त की जाती थीं। 2016 में जब कानून की स्टडी मैंने की तो मुझे भी लगा की इसका दुरुपयोग हो सकता है। लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा हुआ है।

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