शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को ही हुआ था। सर्वपल्ली राधाकृष्णन अच्छे शिक्षक थे। उनकी याद में ही हर साल शिक्षकों के प्रति आभार जताने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है। जानिए इसका इतिहास।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन के स्टूडेंट्स उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा।
क्या है महत्व-
इस दिन का महत्व हमेशा रहेगा। स्कूल के छात्रों के लिए, इस दिन का मतलब है गुलाब, चॉकलेट, उपहार और हाथों से बने कार्ड से अपने पसंदीदा शिक्षकों के प्रति स्नेह को व्यक्त करना। वरिष्ठ छात्रों के लिए, शिक्षक दिवस की भूमिका इसके उलट है। उनके लिए टीचर एक क्रिएटर की भूमिका में होता, जिसनें उन्हें राह दिखाई, उसपर चलना सिखाया और वो जो हैं, उन्हें वह बनाया।
विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन प्रत्येक देश अलग-अलग तिथियों पर इस दिन को मनाता है। भारत में, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता ह। राधाकृष्णन ने कहा था शिक्षकों का देश में सबसे अच्छा दिमाग होना चाहिए। सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
विदेशों में इस दिन मनाते हैं टीचर्स डे। अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं।
रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा है। वहीं साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।
थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यहां 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहां स्कूलों में अवकाश रहता है।
कौन हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन? जानिए उनके बारे में कुछ खास बातें
भारत के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक जाने माने विद्वान, शिक्षक, दार्शनिक और नेता थे। एक बार उनके कुछ विद्यार्थी और दोस्तों ने उनसे कहा कि, वह उनके जन्मदिन को सेलिब्रेट करना चाहते हैं। तब उन्होंने कहा था, “मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा।” Dr Sarvepalli Radhakrishnan के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आइए आपको बताते हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में अहम बातें, जिनकी याद में हर साल मनाया जाता है शिक्षक दिवस।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को थिरुथानी, तमिलनाडु में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।
- वे एक इंटेलिजेंट छात्र थे। उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से फिलोसॉफी की पढ़ाई की थी।
- डॉ. राधाकृष्णन ने मैसूर विश्वविद्यालय से कलकत्ता विश्वविद्यालय तक विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाया है।
- उन्हें आंध्र विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ-साथ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
- साल 1930 में उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय में तुलनात्मक धर्म में हैस्केल लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया था।
- डॉ. राधाकृष्णन ने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और 1948 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 16 अप्रैल, 1975 को चेन्नई में हुआ था।