क्या है वो चिट्ठी का किस्सा, जिसने सहारा चीफ को पहुंचाया जेल?

कभी देश में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सबसे बड़ी शख्सियत हुआ करते थे. उनके यहां छोटे से कार्यक्रम में भी बड़े राजनेताओं से लेकर फिल्मी सितारों तक का जमावड़ा लगता था. लंबी गाड़ियों का काफिला उनके साथ चलता था. 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. आइए जानते हैं कि वह कौन सी ऐसी चिट्ठी थी, जिससे सहारा प्रमुख को जेल जाना पड़ा था.

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में मुबंई के कोकिला बेन अस्पताल में निधन हो गया. एक समय था, जब देश में सुब्रत रॉय का डंका बजता था. राजनीति से लेकर बॉलीवुड और क्रिकेट तक में उनका जलवा था. सुब्रत रॉय देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन के रूप में जाने जाते थे. महंगी और लंबी गाड़ियों का काफिला उनके साथ चलता था, लेकिन एक चिट्ठी ने उन्हें अर्श से फर्श पर लाकर खड़ा कर दिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें जेल तक जाना पड़ा. आइए जानते हैं कि किसने वह चिट्ठी लिखी थी और उसमें ऐसा क्या था कि सहारा प्रमुख को जेल जाना पड़ा.

एक चिट्ठी ने सहारा में चल रही कथित गड़बड़ियों का सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया था. 4 जनवरी, 2010 को रोशन लाल नाम के एक व्यक्ति ने नेशनल हाउसिंग बैंक को हिंदी में लिखी चिट्ठी भेजी थी. रोशन लाल का दावा था कि वह इंदौर में रहते हैं और पेशे से सीए हैं.

चिट्ठी में उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड खरीदे हैं, जो तय नियमों के मुताबिक जारी नहीं किए गए हैं. ये बॉन्ड सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन की ओर से जारी किए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की.

सेबी के पास पहुंचा मामला

नेशनल हाउसिंग बैंक ने इस चिट्ठी को सेबी के पास भेजी दी क्योंकि उसके पास इसके जांच का अधिकार नहीं था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसी तरह की एक और चिट्ठी महीने भर बाद सेबी को मिली. यह चिट्ठी अहमदाबाद के एक एडवोकेसी ग्रुप प्रोफेशनल ग्रुप फॉर इनवेस्ट प्रोटेक्शन की तरफ से सेबी को भेजी गई थी. उसके बाद सेबी ने मामले की जांच शुरू की.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

सेबी ने मामले में अपनी जांच शुरू की और 24 नवंबर 2010 को सहारा ग्रुप के किसी भी रूप में लोगों से पैसा जुटाने पर प्रतिबंध लगा दिया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. शार्ष अदालत ने 15 परसेंट वार्षिक ब्याज दर से साथ निवेशकों का पूरा पैसा वापस करने का सराहा ग्रुप को आदेश जारी किया. निवेशकों को वापस की जाने वाली रकम 24,029 करोड़ रुपए थी.

जेल गए सुब्रत रॉय

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में अपना फैसला सुनाया और कहा की सराहा की कंपनियनों ने सेबी के नियमों का पालन नहीं किया. सहारा की कंपनियां निवेशकों का पैसा नहीं वापस कर पाई और सुब्रत राय को जेल जाना पड़ा. सहारा प्रमुख करीब दो साल तक जेल में रहे और 2017 से पेरोल पर थे. वहीं सहारा का यह भी कहना था कि वह निवेशकों को पैसा वापस करना चाहती है, लेकिन रकम सेबी के पास फंसी है.

कितने पैसे जुटाए सराहा ग्रुप ने?

एक सवाल के जवाब में सरकार ने संसद में बताया था कि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 232.85 लाख निवेशकों से 19,400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपए जुटाए थे.

कौन थे रोशन लाल ?

रोशन लाल का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. सहारा ग्रुप के वकीलों ने भी रोशन लाल के पते पर एक लेटर भेजा था, जो पता नहीं मिलने के कारण वापस आ गया. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चिट्ठी लिखने वाला रोशन लाल कोई है ही नहीं यह किसी कॉरपोरेट का काम हो सकता है.

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