मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को पास कराने के लिए केंद्र सरकार ने जितनी जल्दबाजी दिखाई है, यदि उतनी ही देश में महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म और हत्या आदि पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून बनाने पर भी दिखाई होती, तो ज्यादा अच्छा होता। बसपा सुप्रीमों ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर राज्यों को केवल पत्र लिखने की खानापूर्ति करने से इसका कोई सार्थक हल नहीं निकलने वाला है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया था। जिसके बाद राज्यसभा में इस बिल पर लगातार बहस होने के बाद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर साफ किया है कि बसपा संशोधन विधेयक का लोकसभा की तरह राज्यसभा में विरोध करेगी। ऐसे में आज एक बार फिर बसपा सुप्रीमों मायावती ने दोहराया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह से विभाजनकारी और असंवैधानिक है।
ऐसे में उन्होंने कहा कि यही वजह है कि बीएसपी ने नागरिकता संशोधन बिल का संसद के दोनों सदन में जबरदस्त विरोध किया व इसके विरुद्ध वोट भी दिया।
इससे पहले आरक्षण के मुद्दे पर राज्यसभा में भूमिका को लेकर मायावती ने कांग्रेस पर भी हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘संविधान के 126वें संशोधित बिल में एससी-एसटी आरक्षण को 10 साल बढ़ाने की व्यवस्था है, जिसके राज्यसभा में पारित होने में बाधा डालकर कांग्रेस ने अपनी दलित विरोधी सोच का परिचय दिया है। हालांकि सभापति के आग्रह पर वह सदन में वापस आए और तब विलंब से यह बिल पास हो पाया।’ जानकारी के मुताबिक एससी-एसटी आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाने वाला 126वां संशोधन बिल गुरुवार को राज्यसभा में पास हुआ है।