विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा से संबंधित तिथि को निर्धारित कर छात्रों में भ्रम फैलाना कहां तक उचित है- अंकित झा

छात्र जदयू पूर्णिया के जिला महासचिव अंकित झा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि परीक्षा एवं नए सत्र में नामांकन से संबंधित निर्णय राजभवन से टीम गठित के द्वारा बिना निर्णय के ही उसे पूर्व में ही पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रशासन ने अखबार के माध्यम से जो वस्तुनिष्ठ प्रश्न के आधार पर परीक्षा एवं नए सत्र में नामांकन से संबंधित जो तिथि निर्धारित कर प्रकाशित की गई थी । वह तिथि बिना राजभवन के निर्णय से कहां तक उचित है।

विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अखबारों में वस्तुनिष्ठ प्रश्न के आधार पर परीक्षा संबंधित तिथि निर्धारित करने से छात्र-छात्राओं में असमंजस एवं भ्रम फैलाना कहां तक उचित है। जबकि राजभवन के द्वारा परीक्षा एवं नामांकन से संबंधित निर्धारित तिथि अब तक निर्णय नहीं लिया गया है । ऐसे में पूर्णिया विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा से संबंधित तिथि को निर्धारित कर छात्रों में भ्रम फैलाना कहां तक उचित है। पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की परिस्थितियों से कोई मतलब नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन को ओएमआर और प्रश्न छपाई कर करोड़ों की उगाई करना मुख्य उद्देश्य है। जब पूरे भारत देश में सभी विश्वविद्यालय अपनी परीक्षा रद्द कर रही है। अपने को अच्छन सिद्ध कर पा रही है। ऐसे में पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन हर चीज में इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है ।

वही अंकित झा ने कहा कि लोक डाउन के कारण अब तक पूर्ण रूप से सत्र 2018 – 21 स्नातक द्वितीय खंड के छात्र-छात्राएं परीक्षा प्रपत्र भरने से वंचित रह गए है और तो और छात्र पीजी फर्स्ट सेमेस्टर पास कर सेकंड सेमेस्टर में अब तक नामांकन भी नहीं ले पाए हैं वही तृतीय सेमेस्टर के छात्र भी पास कर चतुर्थ सेमेस्टर में अब तक नामांकन नहीं ले पाए हैं उनका परीक्षा 1 जुलाई से लिया जाना कहां तक उचित है। वही अंकित झा ने यह भी कहा कि प्रि पीएचडी का जो है द्वितीय मेघा सूची का प्रवेश नामांकन जो मार्च महीने में हुआ है अतः उनका अभी जो है छः महीने का कोर्स जो है प्रथम सेमेस्टर का जो कोर्स पूरी तरह से संपादित नहीं हुआ है अतः सितंबर से पूर्व उनका परीक्षा कैसे लिया जा सकता है।कोर्स वर्ग 6 महीना का होता है। और ऐसे में छात्रों का नामांकन मार्च में प्रवेश हुआ है उसके बाद करोना के कारण कक्षाएं बाधित रही है ऐसे में बिना 6 महीने कोर्स पूर्ण हुए एग्जाम लेना क्या उसके कोर्स वर्ग के साथ खेल नहीं है।

वही अंकित झा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को परीक्षा से कम से कम 15 दिन पूर्व परीक्षा प्रोग्राम की घोषणा करनी होती है, उसके बाद ही परीक्षा ली जाती है। और जिस तरह से देश में करोना जैसी वैश्विक महामारी के काल में यह महामारी बीमारी फैलकर दिन पर दिन बढकर लाखों में फ़ैल गई है । ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों का परीक्षा लिया जाना कहां तक उचित है। वही अंकित झा ने यह भी कहा कि ओएमआर शीट वस्तुनिष्ठ प्रश्न के आधार पर इतनी जल्दबाजी में परीक्षा लेना यह संभव नहीं है क्योंकि इतने कम समय में इस ओएमआर शीट के आधार पर परीक्षा लेना बिल्कुल उचित नहीं है। इस तरह के बातों को लेकर छात्र-छात्राओं में विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
अंत में अंकित झा ने कहा कि जब तक राज भवन एवं यूजीसी द्वारा परीक्षा से संबंधित निर्णय ना हो जाए तब तक जो है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अखबारों में परीक्षा से संबंधित तिथियां प्रकाशित कर छात्रों के बीच भ्रम ना फैलाएं । जिससे कि छात्र – छात्राएं परेशान हो जाते हैं

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