गुरुग्राम (Gurugram) में अब सार्वजनिक जगहों पर नमाज (Namaz in open Place) नहीं होगी। इसके लिए आदेश पहले ही आ चुके हैं। आज यानि शुक्रवार को जुमे की नमाज होती है। इसे लेकर 3 महीने से दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था। अब इसे लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने कड़ा रुख दिखाया है।
सीएम खट्टर ने साफ शब्दों में कहा है कि “खुले में नमाज नहीं होनी चाहिए। कोई अगर अपनी जगह पर नमाज पढ़ता है, पाठ पढ़ता है उसमें हमें कोई दिक़्क़त नहीं है। खुले में ऐसे कार्यक्रम नहीं होने चाहिए। नमाज पढ़ने की यह प्रथा जो खुले में हुई है, यह बिल्कुल भी सहन नहीं की जाएगी।” सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हमने जिन 37 स्थानों को खुले में नमाज के लिए चिन्हित किया था उन तमाम स्थानों की परमिशन को रद्द कर दिया गया है। नमाज़ को लेकर तनाव नहीं होने दिया जाएगा।
नमाज का विरोध नहीं करने पर बनी सहमति
इससे पहले गुरुग्राम (Gurugram) पुलिस उपायुक्त ने बीते सोमवार को कहा था कि मुस्लिम और हिन्दू समाज के लोगों की बैठक बुलाई गई, जिसमें कई फैसले लिए गए। अब नमाज़ का विरोध नहीं होगा। इसमें तय हुआ कि अब सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ नहीं होगी। जुमे की नमाज़ 12 मस्जिदों में होगी। 6 सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़ने के लिए किराया देना होगा। वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीन उपलब्ध होते ही 6 जगहों पर नमाज़ बंद कर दी जाएगी।
विवाद थमता नजर आया, दोनों पक्षों में बनी सहमति
गुरुग्राम में पिछले 3 महीने से चल रहा खुले में नमाज का विवाद अब थमता नजर आ रहा है। अब दोनों पक्षों ने गुरुग्राम (Gurugram) के जिला उपायुक्त और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर आपसी सहमति बनी है। विवाद वाले स्थान जैसे कि सेक्टर-37, सेक्टर-47 और सरहौल गांव में नमाज अता नहीं की जाएगी।
बीते सोमवार को लिए गए इस फैसले का मुस्लिम समुदाय ने भी स्वागत किया था। जिला प्रशासन व संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के सदस्यों के साथ बनी इस सहमति पर मुस्लिम समाज ने संतोष जताया था। साथ ही यह भी कहा था कि कुछ लोग इस तरह की अफवाहें फैला रहे थे कि गुरुग्राम (Gurugram) में नमाज का विरोध होता है वो बिलकुल गलत है। मुस्लिम समुदाय को कभी भी नमाज अता करने के लिए नहीं रोका गया।
2018 में शुरू हुआ था खुले में नमाज का विरोध
गुरुग्राम (Gurugram) में सबसे पहले खुले में नमाज का 2018 में विरोध शुरू हुआ था, जो कुछ समय के लिए तो शांत हुआ, लेकिन अब फिर से खुले में नमाज का विरोध शुरू हो गया। सीएम खट्टर की माने तो खुले में नमाज को लेकर कहा की नमाज़ या कोई भी पूजा धार्मिक स्थानों में ही कि जानी चाहिए। सीएम खट्टर ने जिला प्रशासन को आदेश दिए कि मुस्लिम काउंसिल के साथ बैठ वक्फ बोर्ड की जमीनों पर नमाज़ पढ़ी जाए, ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश करें।
गौरतलब रहे 2018 में खुले में नमाज़ के विरोध के बाद जिला प्रशासन ने दोनों पक्षो को सहमति के बाद 37 स्थानों पर खुले में नमाज़ की सहमति की थी, जिन्हें अब मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद वापस ले लिया गया है।
कांग्रेस ने कहा- खट्टर सरकार मस्जिदाें के विस्तार करने में करे मदद
इधर, सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के बयान पर कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद मजीद मेनन ने कहा कि खट्टर को पता होना चाहिए कि मस्जिदों की संख्या बहुत कम है और अधिक मुस्लिम लोगों को समायोजित करने के लिए मस्जिदों के क्षेत्र का विस्तार करने की अनुमति नहीं है। खट्टर सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मुस्लिमों को मस्जिदों के अधिक क्षेत्र का विस्तार करने में मदद करे।