सियासत की भेंट चढा नवादा एसडीएम,सरकार नें निलंबित किया,बासा के तेवर तल्ख

हाईकोर्ट ने भी लिया संज्ञान

अभिभावकों ने कहा सरकार को बच्चों की चिंता नही

कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन(Lockdown)में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नवादा जिले के हिसुआ के विधायक(MLA) अनिल सिंह कोटा (Kota) में पढ़ रही बेटी को वहां से बिहार ले आए हैं। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विधायक को कोटा आने.जाने के लिए पास जारी करने वाले अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है। अन्‍य सभी जिम्‍मेदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। विधायक के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है।

विदित हो कि उत्‍तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने कोटा में पढ़ रहे अपने बच्‍चों को वापस बुलाने का फैसला किया तथा उन्‍हें लाने के लिए बसें भेजी। इसे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन की मर्यादा का उल्‍लंघन बताया तथा कहा कि बिहार के बच्‍चों को कोटा में ही रहने की बेहतर सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी। इसी बीच बीजेपी विधायक कोटा से अपने बेटी को लेकर बिहार आ गए। इसे लेकर सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है।

विधायक के वाहन चालक से भी मांगा गया स्‍पष्‍टीकरण

लॉकडाउन के दौरान बीजेपी विधायक अनिल सिंह द्वारा विधानसभा सचिवालय से आवंटित गाड़ी को बेटी को लाने के लिए कोटा ले जाने के मामले पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सख्‍त रूख अख्तियार किया है। विधानसभा सचिवालय ने विधायक के वाहन चालक शिवमंगल चौधरी से 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस मामले में दोषी पाए जाने वाले सभी संबंधित लोगों पर सख्‍त कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

इधर बिहार प्रशासनिक सेवा संघ (BASA) ने इस मामले पर घोर विरोध दर्ज किया है।बासा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति मे कहा गया है कि विधायक के आवेदन एवं जिला पदाधिकारी के मौखिक आदेश के बाद ही पास निर्गत किया गया है।बिहार के अन्य जिलों मे भी जिला पदाधिकारी द्वारा भी इस तरह के पास निर्गत किए गए है तो ऐसी कारवाई उन पर भी होनी चाहिए।बासा ने इसपर आगे की रणनीति के लिए कल बैठक आहूत की है।

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को राज्य के बाहर पढ रहे छात्र-छात्राओं के सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए कहा है कि विधार्थियों को केन्द्र और राज्य सरकार के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को लाना चाहिए लेकिन छात्रों के सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए।लेकिन कोई भी न्यायिक आदेश सुनाने से पहले सरकार का पक्ष 22.04.2020 माॅगा गया है।

इधर जिनके बच्चे कोटा(Kota) में फसे हुए है सरकार उनकी परेशानी सुनने को तैयार नही है।बिहार के छात्र बडी संख्या में कोटा के कोचिंग संस्थान में पढते है जिसमें कई कोचिंग संस्थान के छात्रावास एवं कई प्राईवेट छात्रावास में रह रहे है।अभी के समय में अधिकांश छात्र-छात्राए अपने घर चले गए है जिससे छात्रावास में भी काफी कम बच्चे रह गए है उनमें जो छात्राए है उन्हे और भी समस्या का सामना करना पर रहा है।उनके पास संसाधन पैसे की कमी हो गई है,खाना अच्चे तरीके से नही मिल पा रहा है,सुरक्षा का संकट है । सरकार इन विन्दुओं पर विचार किए बिना सिर्फ एकतरफा राग अलाप रही है।कारोना समस्या के बीच बिहार सरकार ने पूरा कार्यालय खोल रखा है तो सावधानी के साथ राज्य के फॅसे बच्चो को क्यों नही निकाल सकती।जबकि यूपी सरकार के बाद अब एमपी सरकार भी अपने छात्रों को कोटा से लाने का फैसला कर लिया है।जबकि रसूखदार लोग अपने बच्चों को विभिन्न जिलों से पास बनवाकर वापस बुलवा चुके है।लेकिन जब से इसका राजनीतिकरण हुआ,आम नागरिक के बच्चो को इसका खामियाजा भुगतना पर रहा है जबकि बिहार सरकार अपनी जिद के कारण एसडीएम का वेबजह बलि ले रहा है।

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