व्यापम घोटाले की जांच पर शिवराज सरकार में लगा ब्रेक, कांग्रेस सरकार में दर्ज हुई थी 16 FIR

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम महाघोटाले (Vyapam Scam) की जांच पर अब ब्रेक लग गया है. कांग्रेस सरकार में जांच दोबारा शुरू कर कुछ ही महीनों में 16 FIR दर्ज की गई थीं. अब BJP सरकार में उसकी फ़ाइल फिर से बंद कर दी गई है. कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू जांच में टोटल 100 FIR दर्ज होना थीं, लेकिन सरकार जाते ही आंकड़ा महज 16 पर आकर रुक गया और अब फाइल ही बंद कर दी गई है.

व्यापम घोटाले की CBI जांच के साथ कमलनाथ सरकार के दौरान STF ने पेंडिंग शिकायतों के आधार पर दोबारा छानबीन शुरू की थी. उस दौरान एसटीएफ ने करीब 16 अलग-अलग मामलों में FIRर दर्ज की थी, जो शिकायतें व्यापम से जुड़ी थीं, उस हिसाब से करीब 100 एफआईआर दर्ज की जानी थी. अब बीजेपी सरकार में इस जांच पर ब्रेक लग गया है.

कांग्रेस सरकार के निर्देश के बाद STF ने व्यापम घोटाले की जांच शुरू कर 197 पेंडिंग शिकायतों में से 100 को चिह्नित कर लिया था. STF ने तीन महीने की जांच के बाद इन्हीं शिकायतों के आधार पर 16 एफआईआर दर्ज की थी. पीएमटी 2008 से लेकर 2011 तक और डीमेट और प्री-पीजी में हुई गड़बड़ियों की शिकायतों पर सबसे पहले एफआईआर दर्ज हुई थी. 84 एफआईआर और दर्ज होनी थी. दर्ज होने वाली 100 एफआईआर में करीब 500 लोगों को आरोपी बनाया जाना था. इन चिह्नित शिकायतों की जांच में उस समय की तत्कालीन बीजेपी सरकार के कई मंत्री, आईएएस, आईपीएस अफसरों के साथ बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आए थे. एसटीएफ का सीबीआई की जांच में दखल नहीं था. एसटीएफ की टीम सिर्फ पेंडिंग शिकायतों या फिर आने वाली नई शिकायतों की जांच कर रही थी. एसटीएफ के अधिकारी सीबीआई की जांच में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर रहे थे. साल 2015 में एसटीएफ से व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली थी. बीजेपी की सरकार आते ही एसटीएफ चीफ अशोक अवस्थी और एडिशन एसपी राजेश सिंह भदौरिया को हटा दिया गया. अब व्यापम घोटाले की जांच सिर्फ फाइलों में दफन होकर रह गई है. बीजेपी सरकार में एसटीएफ के 4 जिलों के एसपी (जिसमें भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर शामिल हैं) को ड्यूटी पर तैनात किया गया. इसके अलावा प्रदेशभर में तैनात एसटीएफ के 200 अधिकारी कर्मचारी को भी कोरोना ड्यूटी में तैनात कर दिया गया था.

शिवराज सरकार में व्यापम घोटाले की जांच सबसे पहले इंदौर क्राइम ब्रांच ने शुरू की थी. साल 2013 में व्यापम घोटाले में FIR दर्ज होने के बाद सरकार ने एसटीएफ को जांच सौंप दी थी. तब एसटीएफ के तत्कालीन अफसरों ने 21 नवंबर 2014 को विज्ञप्ति जारी कर लोगों से नाम या गुमनाम सूचनाएं आमंत्रित की थीं. इसमें 1357 शिकायतें एसटीएफ को मिली थीं. इसमें से 307 शिकायतों की जांच कर 79 एफआईआर दर्ज की गई थी. 1050 शिकायतों में से 530 जिला पुलिस के पास जांच के लिए भेजी गईं और 197 शिकायतें एसटीएफ के पास थीं. बाकी 323 शिकायतें गुमनाम होने के कारण नस्तीबद्ध कर दिया गया था. इन्हीं 197 शिकायतों की जांच STF ने कांग्रेस सरकार में दोबारा शुरू की थी. एसटीएफ ने इस मामले की जांच कर कई लोगों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन जांच के दौरान एसटीएफ पर सवाल खड़े होने लगे. शिवराज सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

कांग्रेस का कहना है बीजेपी सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं करना चाहती है. हम इस जांच को बंद नहीं होने देंगे. अगली विधानसभा में इस मामले को उठाएंगे. बीजेपी ने कहा कांग्रेस सरकार थी तो पूरी जांच क्यों नहीं की. सिर्फ कुछ एफआईआर क्यों दर्ज की. कांग्रेस जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करती है, राजनीति करती है. अब यह मुद्दा ऐसा हो गया कि इस पर बोलना भी बेकार है.

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