बरेली में सपा को विपक्षी दलों से नहीं, अपनों से मिल रही चुनौती, 9 सीटों पर करीब 100 दावेदार

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सभी सियासी पार्टियां तैयारियों में जुटी हुई हैं. सियासी दल एक-दूसरे पर लगातार जुबानी हमला कर रहे हैं, वहीं बरेली में समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस से लड़ने के बजाय अपनों से ही लड़ रही है. यहां की 9 विधानसभा सीट पर करीब 100 दावेदार हैं. यह टिकट पाने की कोशिश में एक-दूसरे पर ही हमलावर हैं. दावेदारों की गुटबाजी पार्टी के लिए भी चुनौती बन चुकीं है तो वहीं संगठन भी गुटबाजी में फंस चुका है.

सपा ने अपनी स्थापना के एक साल बाद ही बरेली में जीत का रिकॉर्ड बनाया था. नौ में से सात सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इसके बाद जीत का यह रिकॉर्ड कभी नहीं दोहरा पाई. इस बार पुराना रिकॉर्ड तोड़ने का लक्ष्य रखा था. मगर, यहां विपक्षी दलों से अधिक अपने ही चुनौती बन गए हैं. पार्टी के बड़े नेता से लेकर मजबूत प्रत्याशी को हर सीट पर अपनों से चुनौती मिल रही है.

फरीदपुर में सबसे अधिक दावेदार हैं. यहां पूर्व विधायक विजयपाल सिंह को 15 दावेदारों से चुनौती मिल रही है. इन दावेदारों ने पिछले दिनों हुए ब्लॉक प्रमुख चुनाव में सपा प्रत्याशी का नुकसान किया था, ताकि पूर्व विधायक का कद न बढ़ जाए. इसमें संगठन पदाधिकारी भी शामिल थे. पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम के लिए भोजीपुरा में पांच दावेदार चुनौती बने हैं. बिथरी चैनपुर और कैंट में अभी तक 14-14 दावेदार आ चुके हैं.

बहेड़ी में पूर्व मंत्री अताउर्रहमान को पिछली बार बसपा से चुनाव लड़ने वाले नसीम अहमद चुनौती दे रहे हैं. नवाबगंज में पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार को पूर्व विधायक मास्टर छोटे लाल गंगवार और उनका पुत्र चुनौती दे रहे हैं. यहां से पिता-पुत्र ने दावा ठोंका है. सपा की मजबूत सीट भी गुटबाजी में फंस गई है. आंवला में 9 और मीरगंज में 7 दावेदार हैं. इसके साथ ही तमाम दावेदार गोपनीय रूप से लखनऊ में दावा ठोंक चुके हैं तो वहीं बिना आवेदन के भी दर्जन भर से अधिक पार्टी के लोग चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं.

पार्टी के पूर्व मंत्री-विधायक और मजबूत दावेदार विपक्षी दलों से लड़ने के बजाय अपनी पार्टी के ही दावेदारों की लड़ाई में उलझे हैं. संगठन पदाधिकारी भी अपने-अपने नजदीकी और माल खर्च करने वाले दावेदारों की पैरवी कर कर रहे हैं जिसके चलते गुटबाजी बढ़ती जा रही है.

चुनाव लड़ने के दावेदार टिकट की कोशिश में संगठन के पदाधिकारियों पर खूब माल खर्च कर रहे हैं. चिकन और मुर्गा पार्टी भी खूब चल रही है. पिछले दिनों शराब की बोतल के साथ डांस करते हुए एक विधानसभा अध्यक्ष, उनकी कमेटी और प्रत्याशी का वीडियो भी वायरल हुआ था. इस तरह के तमाम और भी किस्से हैं.

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