रूस-यूक्रेन युद्ध से आपके लिए रेस्टोरेंट में जाकर खाना हो सकता है महंगा, समझें कैसे

यूक्रेन-रूस (Russia Ukraine) युद्ध की वजह से पूरी दुनिया पर असर हुआ है. इसमें भारत भी शामिल है. युद्ध (War) से आप पर भी असर पड़ने वाला है. इस जंग से आपकी जेब ढीली होने वाली है. आपके लिए आटा (Wheat Flour), बिस्कुट खरीदना महंगा हो जाएगा. इसके अलावा आपको बाहर जाकर रेस्टोरेंट में खाने के लिए भी ज्यादा पैसे देने होंगे. अब आपके दिमाग में यह सवाल आया होगा कि यह कैसे होगा. दरअसल, इसके पीछे गेहूं की कीमतों का बढ़ना है. इससे कंपनियों और ग्राहकों (Consumers) दोनों पर असर पड़ेगा. अब सवाल यह उठता है कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से गेहूं की कीमतें क्यों बढ़ गईं हैं. आइए समझते हैं.

दरअसल, भारत अपनी जरूरत में से अधिकतर गेहूं का निर्यात करता है. रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं का निर्यातक है. वहीं, यूक्रेन दुनिया में गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. दरअसल, दुनियाभर में कुल 20 करोड़ टन के गेहूं का निर्यात किया जाता है. कुल निर्यात में रूस और यूक्रेन का हिस्सा करीब पांच से छह करोड़ टन का है.

युद्ध की वजह से सप्लाई चैन में बड़ी रूकावट
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तमाम दूसरी चीजों के साथ गेहूं की सप्लाई चैन में भी बड़ी रूकावट आई है. सप्लाई चैन में दिक्कतों की वजह से ही ओपन मार्केट में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं. तमाम कंपनियां, जिसमें भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं, ओपन मार्केट से ही गेहूं खरीदती हैं. यहां गेहूं के दाम बीते 15 दिनों में 85 रुपए क्विंटल बढ़ गए हैं.

ओपन मार्केट में कीमतें बढ़ना कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए बुरी खबर है. जब कंपनियां ज्यादा दाम पर गेहूं की खरीद करेंगी, तो उनके प्रोडक्ट की कीमत भी बढ़ेगी. ग्राहकों के लिए आटे से बने प्रोडक्ट्स जैसे बिस्कुट, मैदा आदि चीजों को खरीदना महंगा हो जाएगा. इसके अलावा बड़े ब्रांड्स के रेस्टोरेंट में खाना भी महंगा होने वाला है.

भारत के सामने गेहूं का बड़ा निर्यातक बनने का मौका
हालांकि, यह भारत के लिए एक अच्छा अवसर भी है. देश के किसानों के लिए यह अच्छी खबर साबित हो सकती है. रूस और यूक्रेन जो गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक हैं, वहां सप्लाई चैन में बड़ी रूकावटें हैं. ऐसे में, भारत गेहूं का उत्पादन बढ़ाकर दुनिया का एक बड़ा गेहूं के लिए निर्यातक के तौर पर सामने आ सकता है.

भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक है. मौजूदा समय में भारत के पास गेहूं की सप्लाई भी पर्याप्त है जो निर्यात बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है.

1 फरवरी तक देश के केंद्रीय पूल में 2.82 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है. इसके अलावा बाजार और किसानों के पास भी पिछला स्टॉक पड़ा है. इस साल भारत में गेहूं के 11 करोड़ टन से ज्यादा के उत्पादन का अनुमान है. सालभर में देश की अपनी खपत लगभग 10.5 करोड़ टन रहती है यानी घरेलू जरूरत पूरा होने के बाद भी निर्यात के लिए पर्याप्त गेहूं बच जाएगा. इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा. इसलिए भारत की सरकार को इस पर ध्यान देने की जरुरत है।

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