राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, जेल में रह कर भी आज अपनी पार्टी के सर्वेसर्वा घोषित हुए है, सवाल यह है कि जेल में रहकर भी पार्टी को कण्ट्रोल करने की आखिर क्या मजबूरी है?
वैसे लालू परिवार से ही इस पद के लिए दो तगड़े दावेदार हैं। नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपनी पहचान बना ली है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में राबड़ी देवी (Rabri Devi) भी परिवार से ही बड़ी दावेदार हैं। फिर भी पार्टी लालू के सहारे ही है, मतलब साफ़ है तेजस्वी यादव को वजूद बचाने के लिए पिता का सहारा चाहिए।
पिछले 2 वर्षों से लालू के जेल में रहने के कारण RJD की सारी जिम्मेवारी तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं। उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) भी लड़ा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की लहर के सामने तेजस्वी का तेज फीका पड़ गया। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बिहार में जबरदस्त जीत हासिल की। नतीजे के बाद 5 दलों के महागठबंधन (Grand Alliance) में घमासान छिड़ गया और सबके निशाने पर तेजस्वी आ गए। कारण यह कि चुनाव में गठबंधन की बागडोर तेजस्वी के हाथों में ही थी।
3 साल पहले पार्टी ने सर्वसम्मति से उन्हें ही मुख्यमंत्री प्रत्याशी (CM Candidate) भी घोषित किया था। किंतु संगठन की कमान सौंपने की राह में लोकसभा चुनाव के नतीजे ने बड़ा फर्क डाला। RJD के रणनीतिकारों ने मान लिया कि तेजस्वी को लालू नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि RJD के खाते में इतनी बुरी हार पहले कभी नहीं आई।