बिहार का रण: पहले से डेढ़ गुनी सीटों पर लड़ना चाहते हैं RJD और कांग्रेस

महागठबंधन में घोषित तौर पर सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। मगर भीतर ही भीतर इसे लेकर कवायद चल रही है। RJD पहले से करीब डेढ़ गुनी सीटों पर लड़ने का मन बना चुका है। वहीं कांग्रेस भी पहले से ज्यादा सीटें चाहती है। मांझी के JDU के साथ जाकर NDA का हिस्सा बन जाने की स्थिति में RLSP, VIP और वामदल महागठबंधन का हिस्सा होंगे। कांग्रेस फिलहाल RJD के सामने बाकी सहयोगी दलों की अगुवाई करती दिख रही है।

पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन में तब 3 ही दल थे। तब 101-101 सीटों पर RJD और JDU लड़े थे, जबकि 41 सीटें कांग्रेस के हिस्से आई थीं। इस बार महागठबंधन का स्वरूप अलग है। JDU अब NDA में शामिल है। वहीं पिछली बार NDA के साथ रहे उपेंद्र कुशवाह फिलवक्त महागठबंधन में हैं। RJD इस बार लगभग 150 सीटों पर लड़ना चाहता है। सीटों का बंटवारा भले नहीं हुआ है लेकिन तमाम प्रत्याशियों को क्षेत्र में सक्रिय होने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं। RJD की तर्ज पर कांग्रेस भी इस बार 60 से अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है।

पिछली सीटों के अलावा पार्टी की ओर से कुछ नई सीटें भी चिह्नित की गई हैं। इसके लिए सभी क्षत्रपों को जिलों में भेजा गया है। इसके अलावा RLSP, VIP और वामदलों को भी सीटें दी जानी हैं। इसका फॉर्मूला अभी तैयार किया जा रहा है। यह सहयोगी दल सीटों को लेकर RJD से फिलहाल कोई सीधी बात करने की जगह कांग्रेस के जरिए ही अपनी मांग रखना चाहते हैं। कांग्रेस भी इन सबको साथ लेकर चलने की कवायद कर रही है। वाम दलों को शामिल किए जाने की पहल भी कांग्रेस की ओर से ही की गई है। जहां तक RLSP का सवाल है तो NDA में रहते हुए पिछले चुनाव में उसे 23 सीटें मिली थीं।

राज्य के सभी वामदलों ने महागठबंधन में शामिल दलों खासकर राजद और कांग्रेस से सभी विपक्षी दलों से सम्मानजनक और कारगर समझौता करने की मांग की है। इन दलों का कहना है कि चुनाव में NDA की हार की गारंटी के लिए तालमेल और सीट शेयरिंग की प्रक्रिया बिल्कुल पारदर्शी और लोकतांत्रिक होनी चाहिए। साथ ही, महागठबंधन की दिशा भी तय होनी चाहिए। इन दलों ने कांग्रेस और RJD के बीच सीटों के कथित गोपनीय बंटवारे को भी दुर्भाग्यजनक बताया है। कहा कि ऐसी खबरों को RJD और कांग्रेस की तरफ से तुरंत खंडन करना चाहिए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव जैसा सीटों का बंटवारा वामदलों को मान्य नहीं होगा। वाम नेताओं का मानना है कि मनमाने ढंग से सीट बंटवारे से विपक्ष की एकता कमजोर होगी और यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस और RJD पिछले दरवाजे से BJP गठबंधन की मदद कर रहे हैं।

वामदलों ने कहा कि सत्ताधारी दल पर हमले के मुद्दों पर फोकस तय होना चाहिए। पूरे तालमेल के लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए और लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। वामदलों को भी सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए। भाकपा माले ने चुनावी तालमेल व वार्ता के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल के मुताबिक राजनीतिक दिशा तय करने एवं सीटों पर सहमति बनाने के लिए सभी दलों की बैठक बुलाई जानी चाहिए। दलों का मानना है कि कोरोना संकट में लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ गई है। इस संकट में चुनाव कराना एक अपराध सरीखा है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना होगा। जनता की इच्छा है कि विपक्षी दल आपसी सहमति के आधार पर एक ही मोर्चा बनाएं। यह समय की मांग भी है।

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