नया नहीं कोरोना वायरस, 20,000 साल पहले भी बरपा चुका है कहर, लोगों के डीएनए में मिले इसके अवशेष

दुनिया भर में तबाही मचा रहा कोरोना वायरस नया नहीं है और 20,000 साल पहले ही इंसान इसके संपर्क में आ चुके थे, ये बात हैरान करती है. लेकिन करंट बायोलॉजी में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस 20,000 साल से भी अधिक समय पहले पूर्वी एशिया में संभवत: अपना प्रकोप बरपा चुका है.

रिसर्च में कहा गया है कि इसके अवशेष आधुनिक चीन, जापान और वियतनाम के लोगों के डीएनए में पाए गए हैं. ‘करंट बायोलॉजी’ में प्रकाशित रिसर्च पेपर में इन क्षेत्रों में आधुनिक आबादी के 42 जीन में कोरोना वायरस फैमिली के आनुवंशिक अनुकूलन के प्रमाण मिले हैं.

कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के कारण फैली कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया भर में अब तक 38 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान किया है. कोरोना वायरस परिवार में संबंधित मार्स और सार्स वायरस भी शामिल हैं, जिनके कारण पिछले 20 साल में कई घातक संक्रमण हुए हैं.

रिसर्च के मुताबिक, वैश्विक महामारियां संभवत: मानव इतिहास जितनी ही पुरानी हैं. हमने पहले भी वैश्विक महामारियों का सामना किया है. केवल 20वीं शताब्दी में, इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन प्रकारों- 1918-20 का ‘स्पैनिश फ्लू’, 1957-58 का ‘एशियन फ्लू’, और 1968-69 का ‘हांगकांग फ्लू’-में से हरेक ने व्यापक तबाही मचाते हुए लाखों लोगों की जान ली थी.

वायरस और अन्य रोगजनकों के कारण होने वाले संक्रमण ​​का इतिहास हजारों साल पुराना है. इन वायरस के अनुकूल शरीर के ढलने के बाद कई आनुवांशिक निशान पीछे रह जाते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस सरल जीव हैं, जिनका एक उद्देश्य है, अपनी ज्यादा से ज्यादा कॉपीज बनाना, लेकिन उनकी सरल जैविक संरचना का अर्थ है कि वे स्वतंत्र रूप से प्रजनन नहीं कर सकते.

इसके बजाय, उन्हें अन्य जीवों की कोशिकाओं पर आक्रमण करना होता है और उनकी आणविक मशीनरी पर कब्जा करना होता है. वायरस मेजबान कोशिका से पैदा हुए विशिष्ट प्रोटीन के साथ संपर्क करता है और उससे जुड़ता है, जिसे हम वायरल इंटरेक्टिंग प्रोटीन (वीआईपी) कहते हैं.

वैज्ञानिकों ने बताया कि प्राचीन कोरोना वायरस के निशान हमें दुनिया भर के 26 देशों के 2,500 से अधिक लोगों के जीनोम में मिले. हमें मनुष्य के 42 अलग-अलग जीन में अनुकूलन के प्रमाण मिले जो वीआईपी के बारे में बताते हैं.

ये वीआईपी संकेत केवल पांच स्थानों की आबादी में मौजूद थे और ये सभी स्थान पूर्वी एशिया से थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस परिवार के पहले सामने आए वायरस की उत्पत्ति संभवत: इन्हीं स्थानों पर हुई. इसका अर्थ यह है कि आधुनिक पूर्वी एशियाई देशों के पूर्वज करीब 25,000 साल पहले कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुके हैं.

इसके बाद, और परीक्षण से पता चला कि 42 वीआईपी मुख्य रूप से फेफड़ों में पाए जाते हैं, जो कि कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि हमने इस बात की भी पुष्टि की है कि ये वीआईपी मौजूदा महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस से सीधे संपर्क करते हैं.

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