टीम इंडिया में रवींद्र जडेजा को क्यों मिली ये जिम्मेदारी? BCCI को नहीं भविष्य की चिंता !

भारतीय क्रिकेट टीम आने वाले महीनों में बड़े बदलावों से गुजरेगी, जिसमें कई सीनियर खिलाड़ी धीरे-धीरे लिमिटेड ओवर्स फॉर्मेट से अलग होंगे. उनकी जगह लेने के लिए कई दावेदार तो मौजूद हैं लेकिन सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि टीम इंडिया को लीडरशिप में भी बदलाव की जरूरत होगी और उसके लिए अभी से युवाओं को संवारने की जरूरत है.

वर्ल्ड कप 2023 में टीम इंडिया का सफर खिताब के करीब आकर खत्म हो गया. अब उसके सामने खिताब का अगला मौका जून 2024 में आएगा, जब 20 टीमों के बीच टी20 वर्ल्ड कप की जंग होगी. वो टी20 वर्ल्ड कप शायद आखिरी ऐसा टूर्नामेंट होगा, जिसमें टीम इंडिया के कई बड़े दिग्गज दिखेंगे. उसके बाद से बदलाव का दौर शुरू होगा, जिसके लिए कई खिलाड़ी अभी से दावा ठोक रहे हैं. यही वो वक्त होगा जब भविष्य के कप्तानों को तैयार किया जाएगा. टीम इंडिया के पास कुछ दावेदार जरूर हैं लेकिन कुछ अन्य युवाओं को भी तैयार किए जाने की जरूरत है लेकिन साउथ अफ्रीका दौरे के लिए चुनी गई टीम के लिए सेलेक्टर्स ने जो फैसला लिया है, उसने हैरान कर दिया है.

गुरुवार 30 नवंबर को बीसीसीआई की सीनियर मेंस सेलेक्शन कमेटी ने साउथ अफ्रीका दौरे के लिए वनडे, टेस्ट और टी20 स्क्वॉड का ऐलान किया. इन तीनों ही स्क्वॉड में कुछ खिलाड़ियों के सेलेक्शन या अनदेखी को लेकर काफी चर्चा हुई. सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में टी20 टीम की कप्तानी थी कि क्या रोहित शर्मा की वापसी होगी या नहीं? रोहित ने तो इस सीरीज से ब्रेक लिया और सेलेक्टर्स ने सूर्यकुमार यादव को ही कप्तान बनाने का फैसला किया.

जडेजा को उप-कप्तान बनाकर चौंकाया

रोहित और हार्दिक पंड्या की गैरहाजिरी में सूर्यकुमार यादव ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही मौजूदा टी20 सीरीज में टीम की कमान संभाल रहे हैं. इस सीरीज के शुरुआती 3 मैचों के लिए ऋतुराज गायकवाड़ और आखिरी 2 मैचों के लिए श्रेयस अय्यर को उप-कप्तान बनाया गया. ये दोनों ही खिलाड़ी साउथ अफ्रीका दौरे पर तीनों फॉर्मेट के स्क्वॉड का हिस्सा हैं. इसके बावजूद सेलेक्शन कमेटी ने इन दोनों में से किसी एक को चुनने के बजाए अनुभवी ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को टी20 सीरीज के लिए उप-कप्तान बनाकर चौंका दिया. इस फैसले ने सेलेक्टर्स की सोच और टीम इंडिया के भविष्य के उनके विजन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

क्यों BCCI का ये फैसला सवालों के घेरे में?

पहला सवाल तो जडेजा के इस फॉर्मेट में होने पर ही उठ रहा था क्योंकि अक्षर पटेल को इस सीरीज के लिए जगह नहीं मिली. फिर भी इससे बड़ा सवाल तो जडेजा को उप- कप्तान बनाने के फैसले पर है. इससे पहले भी एक-दो सीरीज में जडेजा को उप-कप्तान बनाया गया था और तब भी ये फैसला समझ से परे था. इस फैसले पर सवाल उठने की दो बड़ी वजह हैं- पहला तो कप्तान के रूप में जडेजा के पास ज्यादा अनुभव नहीं है. जब उन्हें IPI चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी मिली भी तो उस वक्त टीम का क्या हश्र हुआ, ये भी किसी से छुपा नहीं है.

इससे भी बड़ी आपत्ति इस बात से है कि आखिर ऐसे मौकों का इस्तेमाल भविष्य के लीडर तैयार करने के लिए क्यों नहीं किया जाता ? रवींद्र जडेजा वैसे भी आगे आने वाले सालों में टीम इंडिया के कप्तान तो बनेंगे नहीं. ऐसे में श्रेयस अय्यर या ऋतुराज गायकवाड़ को ही इस रोल के लिए बरकरार रखते हुए उन्हें संवारना चाहिए था. वैसे भी श्रेयस और ऋतुराज के पास IPL और घरेलू क्रिकेट में नेतृत्व का अनुभव जडेजा से ज्यादा है. ऐसे में उन्हें न चुनकर सेलेक्टर्स ने पिछड़ी सोच ही दिखाई है

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