Ram Mandir Land Deal: 2 करोड़ से 18.5 करोड़…राम मंदिर ट्रस्ट की लैंड डील पर क्यों विवाद?

9 साल पहले तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय चर्चा में थे। अयोध्या विधानसभा सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता लल्लू सिंह को शिकस्त देकर उन्होंने चौंकाया था। उनका चुनाव एक और वजह से चर्चा में था। दरअसल चुनाव के दरम्यान पवन पांडेय की शादी थी और चुनाव आयोग ने उनकी रिसेप्शन पार्टी का खर्चा भी चुनाव खर्च में जोड़ने का निर्देश दिया था। यूपी चुनावी मोड में आ चुका है। पवन पांडेय अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की लैंड डील पर अपने आरोपों को लेकर चर्चा में हैं। आइए समझते हैं पूरा विवाद और क्या हैं आरोप-प्रत्यारोप…

पवन पांडेय को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन में घोटाले का आरोप लगाया है। सपा नेता का आरोप है कि 10 मिनट पहले 2 करोड़ में जमीन का बैनामा हुआ और उसी दिन फिर साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्रा और अयोध्या नगर निगम के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह हैं। उन्होंने सवाल पूछा है कि जिस जमीन को दो करोड़ रुपये में खरीदा गया, उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट क्यों हुआ? 5 मिनट में ही 2 करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ की कैसे हो गई? जमीन की कीमत कैसे बढ़ गई?

बातचीत में पवन पांडेय ने कहा, ‘सीबीआई जांच की मांग मैंने पहले भी की और अभी भी कर रहा हूं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। केंद्र ने ट्रस्ट बनाया है और मामले की सीबीआई जांच करा ले। खाली इसी जमीन की बात मैं नहीं कर रहा हूं। ट्रस्ट ने पूरे अयोध्या में जितनी जमीनें खरीदी हैं, उसकी जांच होनी चाहिए। सारे तथ्यों की जांच हो और जो दोषी हैं उन पर कार्रवाई हो। ये तो 120 करोड़ लोगों की आस्था का सवाल है और लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है। मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं। मैं तो जांच की मांग कर रहा हूं। बैनामा सामने आया है, रजिस्टर्ड एफिडेविट सामने आया है। कागज के आधार पर मैं बात कर रहा हूं।’

खाली इसी जमीन की बात मैं नहीं कर रहा हूं। ट्रस्ट ने पूरे अयोध्या में जितनी जमीनें खरीदी हैं, उसकी जांच होनी चाहिए। सारे तथ्यों की जांच हो और जो दोषी हैं उन पर कार्रवाई हो। ये तो 120 करोड़ लोगों की आस्था का सवाल है और लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।
पवन पांडेय, नेता, समाजवादी पार्टी

जब मंदिर परिसर के आस-पास के मंदिरों को गिराने और शिफ्ट करने का काम शुरू हुआ, उसी दौरान इसके आस-पास की जमीन खरीदने के साथ पुराने करीब आधा दर्जन मंदिरों को गिराकर उसे भी परिसर में शामिल कर लिया गया। आरोपी जमीन की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अयोध्या के बाग विलैसी में स्थित 180 बिस्वा (12,080 वर्ग मीटर) जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की थी। इसे उन्होंने सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी, इच्छा राम, मनीष कुमार, रवींद्र कुमार, बलराम यादव और अन्य तीन के नाम 2019 में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया था। इस जमीन का सौदा 26.50 करोड़ रुपये में तय हुआ। इसकी सरकारी मालियत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई थी। 2.80 करोड़ रुपये हरीश पाठक और कुसुम पाठक के खाते में ट्रांसफर कर 80 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई गई। बाकी 100 बिस्वा जमीन एग्रीमेंट धारकों ने अपनी सहमति से दो लोगों के नाम लिख दिया, जिनसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा लिया है।

हम पर हमेशा आरोप लगते रहे हैं। हम आरोप लगने पर कोई चिंता नहीं करते, आप भी चिंता न करें। अभी कुछ नहीं कहना है। अभी मामले का अध्ययन किया जाएगा।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस पूरे विवाद पर बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘सभी प्रकार की कोर्ट फीस और स्टैंप पेपर की खरीदारी ऑनलाइन हो रही है। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने के लिए देश से बहुत सारे लोग आने लगे। यूपी सरकार भी अयोध्या के विकास के लिए काफी जमीन खरीद रही है। इस वजह से एकाएक अयोध्या में जमीनों के दाम बढ़ गए। जिस जमीन की चर्चा हो रही है वह रेलवे स्टेशन के पास प्रमुख स्थान है। ट्र्स्ट ने जितनी भी जमीन खरीदी है वह खुले बाजार से काफी कम कीमत पर है। जमीन खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों से वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर एग्रीमेंट हुआ था उस जमीन को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया। इसके बाद ट्रस्ट के साथ एग्रीमेंट किया। समाज को गुमराह करने के लिए राजनीतिक लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं।’ इसके साथ ही चंपत राय ने कहा कि हम पर तो महात्मा गांधी की हत्या के भी आरोप लगे हैं। हम आरोपों से नहीं डरते, जो आरोप लगे हैं उसकी जांच करूंगा।

चंपत राय के राजनीतिक विद्वेष के आरोप पर पवन पांडेय ने कहा, ‘मैं तो कह नहीं पाऊंगा कि सपा का कार्यकर्ता नहीं हूं। अगर चंपत राय जी इतने दूध के धुले हैं और हरिश्चंद्र हैं तो वह आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीबीआई जांच की मांग करते हुए पत्र लिख दें। मैं उनकी ईमानदारी और निष्ठा का स्वागत करूंगा। ये रजिस्ट्री, बैनामा या रजिस्टर्ड एग्रीमेंट है ये कोई समाजवादी पार्टी या पवन पांडेय के घर पर छपा हुआ दस्तावेज नहीं है। ये सरकारी दस्तावेज है। जिस जमीन का बैनामा पांच मिनट पहले 2 करोड़ में हुआ, वही रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पांच मिनट बाद 18.5 करोड़ में हो रहा है।’

बैनामे और मंदिर ट्रस्ट के रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में गवाह बने अयोध्या नगर निगम के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का कहना है कि मैं तो तमाम मंदिरों के प्रॉपर्टी सेल में गवाह हूं, लेकिन डील विक्रेता और क्रेता के बीच होती है। उससे गवाह का कोई लेना-देना नहीं।

हम तो तमाम मंदिरों की प्रॉपर्टी सेल में गवाह हैं। डील तो विक्रेता व क्रेता के बीच होती है। उससे गवाह का कोई लेना-देना नहीं होता।
ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर, अयोध्या

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि विवाद राजनीतिक वजहों से हो रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी दोनों बीजेपी की विरोधी हैं। बयान पर पवन पांडेय और संजय सिंह दोनों को सफाई देनी चाहिए। उधर हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने आम आदमी पार्टी के सांसद के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। महंत राजू दास ने कहा है कि अगर कोई दोषी पाया जाए तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं अगर आरोप झूठे पाए जाते हैं तो मैं संजय सिंह के खिलाफ 50 करोड़ की मानहानि का दावा करूंगा।

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