राजौरी आतंकवादी हमला: जम्मू में फिर से उठी लोकल डिफेंस कमेटी को वापस लाने की मांग, जानें इसका इतिहास

जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने के इरादे से रविवार को राजौरी जिले में चार लोगों की हत्या एक आतंकी हमला था. शीर्ष खुफिया सूत्रों ने सोमवार को सीएनएन-न्यूज18 को यह जानकारी दी. दूसरी ओर, जमीनी खुफिया रिपोर्ट बताती है कि इस आतंकी घटना ने एक और मांग को जन्म दिया है और वो ये कि सरकार को स्थानीय स्तर पर आतंकवाद से लड़ने के लिए जम्मू में ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) को फिर से स्थापित करने के वादे पर गौर करना चाहिए. राजौरी जिले के अपर डांगरी गांव में संदिग्ध आतंकवादियों ने तीन मकानों पर गोलीबारी की, जिसमें चार लोग मारे गए, जबकि कई घायल हो गए.

शीर्ष खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ‘टेररिस्ट थिएटर जम्मू की ओर बढ़ रहा है क्योंकि अब इस क्षेत्र में अधिक कश्मीरी पंडित हैं, जिससे टारगेट को मारना आसान हो जाता है.’ उन्होंने कहा, ‘ये हत्याएं यह दिखाने के इरादे से की जाती हैं कि प्रशासन कितना खराब तरीके से काम कर रहा है? उनका उद्देश्य सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना भी है. यह जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों के फिर से शुरू होने को भी जाहिर करता है.’

रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएप) ने इस बात से इनकार किया है कि यह एक आतंकी हमला था, लेकिन खुफिया सूत्रों ने कहा कि फायरिंग और इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) ब्लास्ट इस ओर इशारा करते हैं कि हमले को अंजाम देने वाले पेशेवर लोग थे. उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों को आमतौर पर लश्कर के आतंकवादी अंजाम देते हैं.

ग्राम रक्षा समितियाँ
जमीनी खुफिया रिपोर्ट बताती है कि राजौरी गांव में एक आतंकवादी हमले में हिंदू समुदाय के दो बच्चों सहित छह लोगों की हत्या सांप्रदायिक बंटवारे का कारण बन सकती है. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को जम्मू में वीडीसी को फिर से स्थापित करने के अपने वादे पर गौर करना चाहिए. वीडीसी का मकसद आतंकवाद से लड़ना, हाई-टेक हथियार प्रदान करना और अपने सदस्यों के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना है.

कब और कहां हुआ वीडीसी का गठन
वीडीसी का गठन 1995 में जम्मू क्षेत्र के 10 जिलों में 26,567 स्थानीय लोगों के साथ दूरदराज के इलाकों में आतंकवादियों से लड़ने के लिए किया गया था. 1990 के दशक में, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा अपने चरम पर थी, वीडीसी ने दूरदराज के इलाकों में लोगों की मदद की और उनका बचाव किया. समितियों को आतंकवादियों से लड़ने और विशेष रूप से 2001 में कई हत्याओं के मद्देनजर स्थानीय लोगों के पलायन को रोकने का श्रेय दिया गया था. अधिकांश वीडीसी को पिछली सरकारों द्वारा भंग कर दिया गया.

राजौरी में दो आतंकी हमले, सगे भाई-बहन सहित छह लोग मारे गये
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों ने 14 घंटों के अंदर एक ही स्थान पर दूसरी बार हमला किया. सोमवार को हुए एक आईईडी विस्फोट में दो सगे भाई-बहन की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गये. अधिकारियों के मुताबिक, डांगरी गांव में हुए विस्फोट में सानवी शर्मा (7) और विहान कुमार शर्मा (4) की मौत हो गई. इसी गांव में आतंकवादियों ने रविवार शाम गोलीबारी की थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गये.

डीजीपी दिलबाग सिंह ने किया घटनास्थल का दौरा
घटना के कारण राजौरी शहर सहित पूरे जिले में प्रदर्शन होने और पूर्ण बंद की स्थिति रहने के बीच पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि आईईडी (विस्फोटक उपकरण) विस्फोट का मकसद वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाना था, जो वहां पहुंचने वाले थे. उन्होंने घोषणा की है कि ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) को हथियारों से फिर से लैस किया जाएगा. दरअसल, कुछ प्रदर्शनकारी नेताओं और स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि यदि अधिकारियों ने वीडीसी के हथियार वापस नहीं लिये होते तो घटना टाली जा सकती थी.

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