राजीव गांधी भारत के 40 की उम्र में बनने वाले 7वें और सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उनका स्वभाव काफी सहनशील था। उनका पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। ऐसा कहा जाता है कि इनका नाम राजीव इसलिए रखा गया क्योंकि जवाहरलाल नेहरु की पत्नी का नाम कमला था और राजीव का मतलब कमल होता है। कमला की याद को ताजा बनाए रखने के लिए नेहरु जी ने राजीव नाम रखा। 1980 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था। देश में पीढ़ीगत बदलाव के अग्रदूत श्री गांधी को देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त हुआ था। राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र थे। इंदिरा गांधी की मृत्यु के शोक से उभरने के बाद उन्होंने लोकसभा का चुनाव कराने का आदेश दिया। इसमें कांग्रेस को पिछले 7 चुनावों की तुलना में लोकप्रिय वोट अधिक अनुपात में मिले और पार्टी ने 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल कीं।
1984 में वह अपनी मां की हत्या के बाद भारत के सातवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने कैम्ब्रिज इंपीरियल कॉलेज लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में अध्ययन किया। उन्होंने राजनीति में प्रवेश 1980 में अपने भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना से हुई मृत्यु के बाद किया था। राजीव गांधी के बारे में कुछ अज्ञात और रोचक तथ्यों को अध्ययन करते हैं। राजीव गाँधी के बारे में 10 अज्ञात और रोचक तथ्य –
- राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे सिर्फ 3 वर्ष के थे जब भारत स्वतंत्र हुआ और उनके दादा जवाहरलाल नेहरु स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। क्या आप जानते हैं कि राजीव गांधी का नाम राजीव इसलिए रखा गया क्योंकि जवाहरलाल नेहरू की पत्नी का नाम कमला था और राजीव शब्द का अर्थ होता है कमल। अपनी पत्नी की यादों को ताज़ा रखने के लिए उन्होंने राजीव नाम रखा था। राजीव गांधी ने अपना बचपन 3 मूर्ति हाउस में अपने दादा के साथ बिताया जहां इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया था।
- राजीव गांधी कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया था। बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ रहे। स्कूल से निकलने के बाद राजीव गांधी कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए लेकिन जल्द ही वे वहां से हटकर लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए थे। उन्होंने वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की परन्तु किसी कारण वश उसको वह पूरा नहीं कर पाए।
- सन् 1966 में राजीव गांधी भारत आ गए थे और उस समय तक उनकी मां इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थीं। राजीव गांधी को संगीत में काफी रूचि थी । उन्हें पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत पसंद था। उन्हें फोटोग्राफी एवं रेडियो सुनने का भी शौक था।
उन्होंने दिल्ली में जाकर फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रेनिंग ली और 1970 में एक पायलट के तौर पर Indian Airline में काम करने लगे। इससे पता चलता है कि उनको राजनीति में बिलकुल दिलचस्पी नहीं थी। अब तक तो उनके भाई संजय गांधी अपनी मां के साथ राजनीति में उतर चुके थे।
- लन्दन में राजीव गांधी की मुलाकात Edvige Antonio Albina Maino से हुई थी। 1968 में राजीव गांधी ने नई दिल्ली में Edvige Antonio Albina Maino से शादी कर ली और ये नाम बदलकर सोनिया गांधी रखा गया। उनके दो बच्चे हुए राहुल और प्रियंका गांधी जो कि नई दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी के निवास पर रहे।
- राजीव गाँधी को राजनीति में क्यों आना पड़ा? ये हम सब जानते हैं कि राजीव गांधी को राजनीति में कोई रूचि नहीं थी लेकिन जब उनके छोटे भाई की मृत्यु 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में हो गई तब उनको राजनीति में अपनी मां के दबाव बनाने के बाद आना ही पड़ा। 1981 में राजीव को भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया था।
- आइये अब अध्ययन करते हैं कि राजीव गाँधी प्रधानमंत्री कैसे बनें? राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी को 31 अक्टूबर 1984 को उनके अपने ही एक सिख बॉडीगार्ड ने मार दिया था। फिर 1984 में कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस को 533 में से 404 सीटें मिलीं जो कि इतिहास की सबसे बड़ी जीत मानी गई। इस प्रकार राजीव गांधी भारत के सातेवं और 40 साल की कम उम्र में सबसे युवा प्रधानमंत्री बने।
- राजीव गांधी ने देश की उन्नति के लिए काफी योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देते हुए देश में जवाहर नवोदय स्कूलों की स्थापना की। आधुनिकता को बढ़ावा देते हुए संचार, कंप्यूटर क्षेत्र जैसे विज्ञान को भारत में आरम्भ किया। साइंस और टेक्नॉलोजी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी बजट बढ़ाए। इन्हीं के कार्यकाल में MTNL का गठन हुआ था। इतना ही नहीं 18 वर्ष से मताधिकार शुरू किया और पंचायती राज को शामिल किया। कई अहम निर्णय भी राजीव गाँधी द्वारा लिए गए जिसमे श्रीलंका में शांति सेना भेजना, असम, मिजोरम एवं पंजाब समझौता आदि शामिल हैं और तो और राजीव गाँधी ने कश्मीर और पंजाब में हो रही आतंरिक लड़ाई को भी काबू में करने की भरपूर कोशिशें की थी। उन्होंने युवा शक्ति को अत्यधिक बढ़ावा दिया और कहां था कि देश का विकास देश के युवाओं में जागरूकता लाने पर ही होगा। इसलिए युवाओं को रोजगार देने के लिए जवाहर रोजगार योजना को शुरू किया था।
- राजीव गांधी पर लगे आरोपों के बारे में आप क्या जानते हैं? 1980 और 1990 के बीच में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाया गया था उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। हम आपको बता दें कि राजीव गाँधी पर “बोफोर्स तोपों” की खरीददारी में लिए गए घूस कमीशन का आरोप था। इन चीजों का असर आगामी चुनावों में दिखाई दिया। 1989 में राजीव गांधी को आम चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और प्रधानमंत्री के पद से हटना पड़ा। उन्होंने दो साल तक विपक्ष में रहकर कार्य किया। उनका राजनेतिक जीवन काफी कष्टदायक था जिसे वह अपने धैर्यवान स्वभाव के कारण न्याय कर पाए।
- राजीव गाँधी की हत्या के पीछे का कारण: श्रीलंका में हो रहे आतंकी मामलों को सुलझाने के लिए राजीव गाँधी ने अहम कदम उठाये जिसके चलते उनके कई लोग दोस्त और दुशमन भी बन गए थे। आपको बता दें की उस समय श्रीलंका में गृहयुद्ध चल रहा था इसको खत्म करने के लिए राजीव गांधी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति जे आर जयवर्धने के साथ एक समझौता किया था। इसके अनुसार उन्होंने युद्ध को रोकने के लिए भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया। लेकिन LTTE नहीं चाहता था कि भारत की शांति सेना को श्रीलंका भेजा जाए। शांति सेना भेजे जाने से पहले LTTE प्रमुख वी प्रभाकरन दिल्ली में राजीव गांधी से मिलने आया था। राजीव गांधी उसके साथ सख्ती से पेश आए थे। तबसे वह इंतजार में था एक मौके के।
- 21 मई, 1991 को राजीव गांधी एक रैली को संबोधित करने के लिए चेन्नई से 30 किलोमीटर दूर श्रीपेरंबुदूर में पहुंचे। इन्हीं में एक LTTE की मेंबर धनु भी थी। राजीव गांधी के आसपास काफी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी परन्तु धनु उनके पास जाने में कामियाब हो जाती है और जैसे ही धनु राजीव गाँधी के पैर छूती है तो बम फट जाता है जो कि उसने अपने कपड़ों में छुपाया हुआ था। राजीव गाँधी समेत 17 अन्य लोगों की 21 मई 1991 को मौत हो जाती है। राजीव गांधी का स्वभाव सहनशील और सरल था। वह कोई भी अहम फैसला लेने से पहले अपनी पार्टी के साथ विचार किया करते थे। उन्होंने देश को आधुनिकता की तरफ अग्रसर किया। वे देश को उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे, देश में एकता बनाए रखना चाहते थे और उनके अन्य प्रमुख उद्देश्यों में से एक था इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण। 21 मई, 1991 में उनकी मृत्यु हो गई थी और उन्हें ” भारत रत्न” से भी नवाजा गया था।