हादसे के 3 दिन बाद हाथरस पहुंचे राहुल गांधी के निशाने पर भले ही बीजेपी की सरकार रही हो, लेकिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के इस दौरे से यूपी की दो और पार्टियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाथरस में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ की वजह से 121 लोगों की मौत हो गई थी.
हादसे के 3 दिन बाद हाथरस पहुंचे राहुल गांधी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. लोगों से मिलने के बाद राहुल ने इस मामले को संसद में उठाने का वादा किया. राहुल के इस दौरे के बाद कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं. योगी सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्या ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के इस दौरे को लेकर सवाल उठाए हैं.
बीजेपी से इतर राहुल के इस दौरे ने अखिलेश और मायावती की भी मुसीबत बढ़ा दी है. वो भी तब, जब अखिलेश और राहुल की पार्टी यूपी में एक ही गठबंधन में शामिल हैं. हालांकि, दोनों दलों की ओर से राहुल के इस दौरे पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
पहले समझिए क्या इस दौरे से बीजेपी को नुकसान होगा?
हाथरस हादसे के बाद बीजेपी एक्टिव मोड में है. हादसे के अगले दिन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटनास्थल पर पहुंचे थे. यहां पर पीड़ितों से मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने किसी भी दोषी को नहीं बख्शने की बात कही थी. सरकार ने जांच कमेटी का भी गठन किया है.
इसके बावजूद राहुल का घटनास्थल पर जाना बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. राहुल ने पीड़ितों से मिलने के बाद मुआवजा बढ़ाने की मांग की है. राहुल ने कहा है कि मरने वाले लोग गरीब हैं और इस मुश्किल समय में उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुआवजे की जरूरत है.
राहुल ने प्रशासन पर सवाल उठाया है और कहा है कि पूरे मामले को संसद में उठाया जाएगा. राहुल के इस बयान से यह साफ है कि यह मामला आने वाले कुछ महीनों तक सरकार का पीछा नहीं छोड़ेगा. पश्चिमी यूपी के हाथरस, अलीगढ़ और उसके आसपास के संसदीय सीटों पर इस बार बीजेपी को जीत मिली है.
राहुल गांधी ने ‘भाई अखिलेश’ की टेंशन बढ़ाई
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पार्टी सपा का कांग्रेस से गठबंधन है. दोनों पार्टी को हालिया लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत मिली थी. यूपी में लोकसभा की 80 में से 43 सीटों पर गठबंधन को जीत मिली थी. इसके बाद दोनों आगे भी साथ रहने की बात कही थी. संसद में भी दोनों साथ देखे गए.
हालांकि, अब जिस तरह से राहुल अकेले हाथरस चले गए हैं, यह अखिलेश के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला है.
- हादसे के बाद भी समाजवादी पार्टी भोले बाबा उर्फ नारायण हरि साकार पर मुखर नहीं है. हादसे के बाद अखिलेश के साथ बाबा की तस्वीरें वायरल हो चुकी है. सपा की चुप्पी को करहल के उपचुनाव से जोड़ा जा रहा है क्योंकि, इस सीट पर बाबा के समर्थकों का खास असर है. करहल सीट मुलायम परिवार का गढ़ माना जाता है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि राहुल ने हाथरस जाकर अखिलेश की टेंशन बढ़ा दी है.
- संसद में राहुल और अखिलेश एक साथ ही बैठते हैं. कई बार दोनों की जुगलबंदी सुर्खियां भी बंटोर चुकी है, लेकिन हाथरस में राहुल के साथ अखिलेश नहीं दिखे. वो भी तब जबकि यूपी का अखिलेश का गृहराज्य है. राहुल के अकेले जाने से यह संदेश गया कि यूपी में कांग्रेस ही है, जो मुश्किल वक्त में लोगों के आंसू पोछती है.
राहुल का दौरा मायावती के लिए भी मुसीबत
मायावती बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख हैं. हाथरस हादसे के बाद मायावती ने पोस्ट कर संवेदनाएं जरूर जताई, लेकिन 3 दिन बाद भी फिल्ड पर नहीं उतरीं. सत्संग में भगदड़ से जो मरे, उनमें अधिकांश लोग दलित परिवार से ही हैं और वो भी जाटव.
खुद नारायण हरि साकार जाटव समुदाय से आते हैं. जाटव मायावती की पार्टी का कोर वोटर्स माना जाता है. ऐसे में राहुल के हाथरस जाने से इस समुदाय के वोटरों पर असर पड़ सकता है. वैसे भी 2024 के चुनाव में मायावती के हाथों से जाटव वोटरों का एक हिस्सा खिसक चुका है.
सीएसडीएस के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी को 44 प्रतिशत जाटवों ने वोट किया था. जाटव समुदाय के 25 प्रतिशत वोटरों ने इंडिया गठबंधन को वोट किया था. इस समुदाय के 24 प्रतिशत वोट एनडीए को मिले थे.
मायावती की मुसीबत बढ़ने के पीछे दूसरी वजह पश्चिमी यूपी की राजनीति है. 2022 तक इन इलाकों में बीएसपी का दबदबा रहा है. अभी भी इन इलाकों से पार्टी को बढ़िया वोट मिला है. ऐसे में अगर राहुल उस दबदबे को खत्म करते हैं, तो मायावती के लिए राजनीतिक में फिर से वापसी करना आसान नहीं रह जाएगा.
हाथरस दौरे पर गए राहुल ने क्या-क्या कहा?
- मैंने लोगों की बात सुनी है और यह प्रशासनिक लापरवाही है. जांच होनी चाहिए और मैं इस मुद्दे को संसद में उठाऊंगा.
- मैं चाहता हूं कि यूपी की सरकार दिल खोलकर मुआवजा देने का ऐलान करे. मरने वाले लोग गरीब हैं और उन्हें अभी सहायता की जरूरत है हाथरस हादसे में अब तक क्या-क्या हुआ है? 2जुलाई को सत्संग के दौरान हाथरस के सिंकदराऊ क्षेत्र के फुलरिया गांव में भगदड़ मच गई. यूपी पुलिस के मुताबिक यह सत्संग भोला बाबा उर्फ नारायण हरि साकार के तत्वाधान में हो रहा था. इस भगदड़ में 121 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. घटना के बाद यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने स्थल का दौरान किया और न्यायिक जांच के आदेश दिए. सरकार ने मरने वालों के परिवार 2-2 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी ऐलान किया है. इस पूरे मामले में सरकार की तरफ से एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में बाबा के मुख्य सेवादार को आरोपी बनाया गया है. हालांकि, अब तक इस मामले में 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. बाबा ने इस पूरे मामले में खुद का पक्ष रखने और केस लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह को अपना वकील नियुक्त किया है.