राज्यसभा में TMC का ‘पेपरफाड़’ कांड: IT मंत्री से बदसलूकी, पेपर छीनकर फाड़े

संसद के उच्च सदन राज्यसभा में तब भारी हंगामा मच गया जब तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने आईटी मिनिस्टर अश्विणी वैष्णव के हाथ से पेपर छीन लिए और उसे सदन में ही फाड़ डाला। विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच संसद की कार्यवाही लगातार तीसरे दिन बाधित रही। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस एवं अन्य दलों ने लोकसभा में हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।

उधर, राज्यसभा में COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सिजन की कमी से मौतों के लेकर हंगामा होता रहा जिस कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

राज्यसभा में आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव जैसे ही कथित पेगासस जासूसी केस पर अपना बयान देने उठे, विपक्षी दलों ने शोर-शराबा शुरू कर दिया। इसी बीच प. बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद ने उनके हाथ से बयान की कॉपी छीन ली और उसे सदन में ही फाड़ दिया। कहा जा रहा है कि पार्टी सांसद शांतनु सेन ने प्रमुख भूमिका निभाई। सदन में बीजेपी के सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने टीएमसी सांसदों के रवैये को बेहद निराशाजनक बताया।

उन्होंने कहा कि विपक्ष को सवाल पूछने का अधिकार है, लेकिन चर्चा के बजाय हमें सदन के अंदर इस तरह का हो-हंगामा देखने को मिला। यह नियमों के बिल्कुल खिलाफ है और मुझे लगता है कि इसकी भरपूर भर्त्सना होनी चाहिए। वहीं, एक और बीजेपी सांसद महेश पोद्दार ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि टीएमसी तो प. बंगाल में विपक्षियों की हत्या और महिलाओं से दुर्व्यवहार तक करती है, इसलिए उससे संसद सदस्य कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘आज उन्होंने पेपर छीनकर फाड़ दिए, कोई आश्चर्य नहीं कि वो कल कपड़े फाड़ दें।’ हालांकि, सदन के बाहर TMC सांसद शुभेंदु शेखर रॉय ने मीडिया के सवालों पर कुछ भी जवाब नहीं दिया।

उधर, कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा किया जिस कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। फिर 12 बजे भी कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा हो गया जिस कारण लोकसभा अध्यक्ष को शाम 4 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने के साथ ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में हंगामे के बीच प्रश्नकाल शुरू करवाया। इस दौरान कुछ सदस्यों ने जलशक्ति मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न पूछे और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उत्तर दिए। कांग्रेस के सदस्यों ने ‘काले कानून वापस लो’ के नारे लगाए। उन्होंने तख्तियां हाथ में ले रखी थीं। इनमें से एक तख्ती पर ‘अन्नदाता का अपमान बंद करो, तीनों कृषि कानून रद्द करो’ लिखा था।

सदन में नारेबाजी के बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘यह सदन चर्चा और संवाद के लिए है। आपको जनता ने तख्तियां दिखाने और नारेबाजी करने के लिए नहीं भेजा है। आप मुद्दे उठाएं, चर्चा करें और जनता की समस्याओं के समाधान का प्रयास करें। आपको चर्चा करने का पूरा समय मिलेगा।’ बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा, ‘तख्तियां दिखाना और नारेबाजी करना है तो आप सदन से बाहर चले जाएं। यह उचित नहीं है।’ सदन में हंगामा नहीं थमने पर बिरला ने सुबह करीब 11.10 बजे लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इधर, राज्यसभा में अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं चल सके। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। दोपहर 12 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल के लिए सदस्य का नाम पुकारा, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

उपसभापति ने कहा, ‘प्रश्नकाल सदस्यों के सवाल के लिए है… सवाल जवाब सदस्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है… आप सदन नहीं चलाना चाहते… आप अपने-अपने स्थान पर जाए।’ इसके बाद भी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। सदन में हंगामा थमते न देख, सदन की कार्यवाही पहले दो बजे और फिर दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी दौरान कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह ने मीडिया समूह दैनिक भास्कर के विभिन्न परिसरों पर आयकर विभाग के छापों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया वहीं, तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने कथित जासूसी से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास किया, लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि किसी भी मुद्दे को उठाने के लिए आसन की अनुमति की जरूरत होती है।

इस बीच, अन्य सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सदस्य अपने स्थान से आगे भी आ गए। नायडू ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन में लोगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाए। सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक शुरू होने के महज दो मिनट के भीतर ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। हालांकि, 12 बजे भी हंगामा हुआ तो पहले 2 बजे और फिर दिनभर के लिए कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।

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