United Nations General Assembly

संयुक्त राष्ट्र के स्वरूप में बदलाव वक्‍त की जरूरत- PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को ऑनलाइन संबोधित कर रहे हैं। Corona संकट के चलते संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन ऑनलाइन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्‍सीन के उत्‍पादन और उसकी आपूर्ति क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लाउंडरिंग के खिलाफ उठेगी।


PM मोदी ने कहा कि हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत के दवा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं। जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के reforms को लेकर जो Process चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगा। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा।

PM मोदी ने कहा… वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे? पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व Corona वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली Response कहां है?


प्रधानमंत्री ने कहा कि ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे।प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं।


भारत ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि दुनिया को दिखाने के लिए पिछले 70 साल में पाकिस्तान की उपलब्धियां ये हैं- आतंकवाद, अल्पसंख्यकों का सफाया, बहुसंख्यक कट्टरवाद और चोरी-छिपे परमाणु व्यापार… संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि एवं प्रथम सचिव मिजितो विनितो ने इमरान खान पर हमला बोलते हुए कहा था कि इस हॉल में मौजूद लोगों ने एक ऐसे शख्स को सुना, जिसके पास न तो दिखाने के लिए कुछ था, न ही बताने के लिए कोई उपलब्धि। दुनिया को देने के लिए सुझाव भी नहीं था।


भारत ने कहा था कि यह वही देश (पाकिस्तान) है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित और खूंखार आतंकियों को सरकारी खजाने से पेंशन देता है। हमने आज जिस नेता को यहां सुना, ये वही नेता है, जो पाकिस्तान की संसद में ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी को ‘शहीद’ का दर्जा दिलाता है। विनितो ने बांग्लादेश की याद दिलाते हुए कहा कि यह वही पाकिस्तान है, जिसने 39 साल पहले अपने ही लोगों का सामूहिक नरसंहार किया था। यह इतना बेशर्म देश है कि इसने अपनी क्रूरता के लिए माफी तक नहीं मांगी है।

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा था कि ये वही नेता हैं, जिन्होंने 2019 में अमेरिका में सार्वजनिक रूप से कुबूल किया था कि उनके देश में अभी भी 30, 000 से 40,000 तक आतंकी हैं, जिन्हें पाकिस्तान में प्रशिक्षित किया गया है। ये आतंकवादी अफगानिस्तान से लेकर भारत के जम्मू-कश्मीर तक पाए जाते हैं। यह वही देश है, जो सुनियोजित रूप से अपने यहां अल्पसंख्यकों का सफाया करता है। इनमें हिंदू, ईसाई, सिख एवं अन्य अल्पसंख्यक शामिल हैं। इनका सफाया करने के लिए यह देश ईशनिंदा कानून और जबरन धर्मातरण का इस्तेमाल करता है।

पाकिस्तान अपनी आदत के अनुरूप जम्मू-कश्मीर का मामला उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का लगातार इस्तेमाल करता रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उसकी बातों को हमेशा एक कान से सुना और दूसरे कान से निकालती रही है। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश और भारत का अटूट एवं अभिन्न अंग है। कुछ हिस्से पर पाकिस्तान ने गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान को इसे खाली करना पड़ेगा। इससे पहले, महासभा में IMRAN KHAN का भाषण शुरू होते ही भारतीय प्रतिनिधि सभा कक्ष छोड़कर चले गए थे।

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