पीएम नरेंद्र मोदी को मिली मां की सीख से निकला स्वच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा नहीं रहीं. इसी साल शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने वाली हीराबेन मोदी ने शुक्रवार की सुबह अहमदाबाद के अस्पताल में अंतिम सांसें लीं. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया के जरिये ट्वीट कर हीरा बा के निधन की जानकारी देश को दी. बीते बुधवार को ही हीरा बा की तबीयत खराब हो जाने के बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था. देशभर के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और जानी-मानी हस्तियों ने पीएम मोदी की मां के देहांत की खबर पर शोक व्यक्त किया है.

मां से मिली सीख, उनकी कही बातों को पीएम मोदी अक्सर याद करते रहे हैं. खासकर हीरा बा के साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति आग्रह को पीएम मोदी हमेशा रेखांकित करते रहे हैं. इसी साल जब हीरा बेन मोदी ने अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया, तो उस दिन लिखे ब्लॉग में भी प्रधानमंत्री ने मां के जीवन और उनके सदाचार के बारे में विस्तार से लिखा. खासकर पीएम मोदी और उनके अन्य भाई-बहनों को हीरा बा ने बचपन से ही साफ-सुथरे तरीके से रहने और इसी के अनुरूप आचार-विचार को अपनाने की जो सीख दी, उसे प्रधानमंत्री ने विस्तार से याद किया था. संभवतः मां की यही सीख रही होगी, जिसके कारण साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देशभर में स्वच्छ भारत अभियान का आगाज किया. आज भी यह मुहिम मोदी सरकार की फ्लैगशिप-मुहिम में से एक है.

मां हीराबा के स्वच्छता के प्रति आग्रह के बारे में पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में विस्तार से लिखा था. उन्होंने लिखा, ‘साफ-सफाई को लेकर वो कितनी सतर्क रहती हैं, ये तो मैं आज भी देखता हूं. दिल्ली से मैं जब भी गांधीनगर जाता हूं, उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती हैं. और जैसे एक मां, किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रुमाल से मेरा मुंह जरूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.’

वडनगर का किस्सा याद किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में मां के सफाई प्रेम का किस्सा भी याद किया है. उन्होंने लिखा, ‘मां के सफाई प्रेम के तो इतने किस्से हैं कि लिखने में बहुत वक्त बीत जाएगा. मां में एक और खास बात रही है, जो साफ-सफाई के काम करता है, उसे भी मां बहुत मान देती है. मुझे याद है, वडनगर में हमारे घर के पास जो नाली थी, जब उसकी सफाई के लिए कोई आता था, तो मां बिना चाय पिलाए, उसे जाने नहीं देती थीं. बाद में सफाई वाले भी समझ गए थे कि काम के बाद अगर चाय पीनी है, तो वो हमारे घर में ही मिल सकती है.’

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