CAA के नाम पर हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे जब से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम सामने आया है तब से हर राज्य और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां इसको लेकर काफी अलर्ट हो गई हैं। इस कानून के विरोध में सबसे पहले असम के लोग खड़े हुए थे। उस वक्त माना जा रहा था कि कहीं न कहीं लोगों को इस कानून की सही जानकारी नहीं है, इसलिए ही वह अन्य लोगों के बहकावे में आकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे इसकी कलई खुलती गई वैसे-वैसे इसकी सच्चाई भी सामने आती गई। बाद में सरकार ने भी साफ कर दिया कि विपक्ष इसको हवा दे रहा है और कुछ देश विरोधी संगठन भी इसमें लगे हुए हैं। इसके बाद असम और उत्तर प्रदेश के हिंसक प्रदर्शनों में PFI जैसे संगठन के शामिल होने के खुलासे ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया था। इससे ये साफ हो गया था कि प्रदर्शन जैसा दिखाई दे रहा था दरअसल वो ऐसा था नहीं। कुछ लोग और संगठन उसको ऐसा बनाने पर आमादा थे। इस में पीएफआई के साथ प्रतिबंधित संगठन सिमी का भी हाथ था।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसे पिछले ही वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। ये कदम राज्य सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत के बाद उठाया था। इतना ही नहीं झारखंड सरकार ने माना था कि पीएफआई एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है।