बिहार मे विधानसभा चुनाव मे अभी देर है लेकिन चुनावी सुगबुगाहट जोरों पर है, मैदान में आने से पहले अभी बिहार के सियासी दलों को कई मोड़ से गुजरना होगा। सबसे पहले बिहार विधान परिषद की अगले साल मई में खाली होने जा रही 27 सीटों के लिए मेहनत करनी है।
मनोयन वाली कुल 12 सीटों को भरने में सत्तारूढ़ दलों को ज्यादा कवायद की जरूरत नहीं पड़ेगी। विधानसभा कोटे की 9 सीटों के लिए भी पक्ष-विपक्ष के विधायकों की संख्या सबकुछ साफ कर देगी। विधान पार्षदों के संसद सदस्य चुने जाने के कारण खाली हुई दो सीटों को मिलाकर संख्या अब बढ़कर 29 होने वाली है, जो परिषद की कुल 75 सीटों का लगभग 39 फीसद होगा। हालांकि इनमें 12 सीटें राज्यपाल के मनोनयन कोटे की हैं। सियासी दलों के सामथ्र्य और रणनीति की असली परीक्षा स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए होने वाले चुनाव में होगी। बिहार में इस कोटे की कुल 8 सीटें हैं। स्नातक की चार और शिक्षक कोटे की भी चार। सभी पर सीधा चुनाव होगा। विधानसभा कोटे की सीटों पर अप्रत्यक्ष चुनाव होता है। सभी दल अपनी हैसियत के हिसाब से बांट लेंगे।
सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार पटना स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद के सदस्य हैं। विधानसभा कोटे से भवन निर्माण मंत्री अशोक और विधान परिषद के सभापति हारुण रशीद हैं। राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और पशुपति कुमार पारस के लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो जाने के कारण मनोनयन कोटे की दो सीटें खाली हैं। माना जा रहा है कि उक्त दोनों सीटें भी उसी दौरान भरी जाएंगी।
खाली सीटें और कोटा
विधानसभा कोटा (कुल-9)
अशोक चौधरी, हारुण रशीद, हीरा प्रसाद बिंद, प्रशांत कुमार शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, राधा मोहन शर्मा, संजय प्रकाश
मनोनीत (कुल-10)
जावेद इकबाल अंसारी, ललन कुमार सर्राफ, रामचंद्र भारती, राम लखन राम रमण, राम बचन राय, राणा गंगेश्वर सिंह, रणवीर नंदन, संजय कुमार सिंह, शिव प्रसन्न यादव, विजय कुमार मिश्र
शिक्षक (कुल-4)
केदारनाथ पांडेय-सारण, मदन मोहन झा-दरभंगा, संजय कुमार सिंह-तिरहुत, प्रो. नवल किशोर यादव-पटना
स्नातक (कुल-4)
नीरज कुमार-पटना, दिलीप कुमार चौधरी-दरभंगा, डॉ. एनके यादव-कोसी, देवेश चंद्र ठाकुर-तिरहुत
सांसद बने (कुल-2)
राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, पशुपति कुमार पारस