सागर से सरयू तक पीएम मोदी की राम यात्रा, 212 सीटों वाले रूट पर कहां खड़ी है BJP?

प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के बहाने पीएम मोदी ने सागर से सरयू तक की राम यात्रा की. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वो उत्तर से दक्षिण को जोड़ने की कवायद करते नजर आए. ऐसे में कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अगर BJP को उत्तर भारत में कोई झटका लगता है तो दक्षिण इसकी भरपाई कर सकती है. देखना दिलचस्प होगा कि सागर से सरयू वाले रूट पर बीजेपी क्या सियासी करिश्मा दिखाती है?

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीराम विराजमान हो चुके हैं. पीएम मोदी ने सोमवार को मुख्य यजमान के तौर पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा किया और उसके बाद राम मंदिर परिसर में 11 दिनों का व्रत तोडा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण-प्रतिष्ठा के बहाने भगवान श्रीराम के सरोकारों से भविष्य का सियासी एजेंडा साधते नजर आए. पीएम मोदी ने अपने 11 दिन के अनुष्ठान का भी जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 11 दिन के व्रत- अनुष्ठान के दौरान उन स्थानों का चरणस्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु राम के चरण पड़े थे. पीएम ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि इसी पुनीत पवित्र भाव के साथ मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला के प्रतिष्ठा से पहले 11 दिनों तक अनुष्ठान किया था. 12 से 22 जनवरी तक चलने वाले अनुष्ठान का पीएम मोदी यम नियमों का पूरी तरह से पालन किया. प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व पीएम के दक्षिण भारत में विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ के अनुष्ठान को जब रामलला के जन्मभूमि पर बने मंदिर परिसर के निर्माण से जोड़कर देखते हैं तो मोदी की सागर से सरयू की यात्रा बहुत कुछ कह देती है. आखिर भगवान राम का राज्याभिषेक तो तभी हुआ था जब उन्होंने रावण वध के बाद दक्षिण से उत्तर की यात्रा की थी.

पीएम मोदी ने सागर से सरयू तक धार्मिक यात्रा के दौरान चार राज्यों के 7 मंदिरों में दर्शन करने के बाद अयोध्या पहुंचे. पश्चिमी से लेकर दक्षिण तक की उन मंदिरों में गए, जिनका जिक्र रामायण में मिलता है. इस तरह नरेंद्र मोदी ने प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व कालाराम मंदिर से लेकर रामसेतु सहित तमाम मंदिरों में पूजा-अर्चना का उल्लेख कर उत्तर- दक्षिण के सनातनी सरोकारों में सामंजस्य बनाने की है. पीएम ने देश से लेकर दुनिया तक अलग-अलग भाषाओं में कई रामायण होने के बावजूद राम के चरित्र के निरुपण में एकरूपता का जिक्र कर राम के सहारे क्षेत्र, भाषा, जाति के बीच संतुलन साधने की कोशिश की. निश्चित रूप से उनकी कोशिश भविष्य की तैयारियों की तरफ इशारा करती दिखी और बीजेपी के जनाधार को उत्तर से दक्षिण तक विस्तार देने की फिक्र दिखी.

पीएम मोदी की धार्मिक यात्रा

पीएम मोदी अनुष्ठान के दौरान अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के मंदिरों में दर्शन और पूजा-पाठ के बाद सोमवार को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या पहुंचे थे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 12 जनवरी को शुरू हुआ था, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के कालाराम मंदिर में जाकर पूजा-पाठ की थी. पीएम मोदी ने 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश के वीरभद्र मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना किया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, लेपाक्षी वह स्थान है जहां पौराणिक गिद्ध जटायु सीता का अपहरण करने वाले रावण द्वारा किए गये हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद गिरे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जनवरी को केरल के त्रिप्रयार में श्री रामास्वामी मंदिर और आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी मंदिर का जाकर दर्शन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जनवरी को भगवान श्रीराम के पूर्वज माने जाने वाले श्री रंगनाथस्वामी के श्रीरंगम मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके बाद धनुषकोडी के कोथंड्रामा स्वामी मंदिर और प्रभु श्रीराम के पैरों के निशान को समर्पित रामनाथस्वामी मंदिर और रामर पथम मंदिर में पूजा किया. पीएम मोदी ने 20 जनवरी को अरिचल मुनाई पहुंचे थे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मुनाई में राम सेतु बनाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस जगह पर डुबकी भी लगाई, जहां बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर का मिलन होता है.

सागर से सरयू तक 212 सीट

सागर से सरयू तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धार्मिक यात्रा वाले रूट में पांच राज्यों की 212 लोकसभा सीटें आती है, जहां की उन्होंने विभिन्न मंदिरों में जाकर पूजा- पाठ की थी. इसमें आंध्र प्रदेश की 24, केरल की 20, तमिलनाडु की 39 और महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट है जबकि यूपी में 80 लोकसभा सीटें आती हैं. इसके अलावा पीएम मोदी कर्नाटक और तक्ष्यद्वीप का भी दौरा किया था, लेकिन इन दोनों राज्यों में किसी धार्मिक स्थल पर नहीं गए थे. इसीलिए हम उन्हीं राज्यों की सीटों को लेकर हैं, जिन सूबे के मंदिरों में जाकर पीएम मोदी ने दर्शन किए हैं. इस तरह सागर सरयू तक की यात्रा करके पीएम मोदी ने 212 लोकसभा सीटों को साधने की कवायद ही नहीं बल्कि सियासी एजेंडा भी सेट करने की कवायद की है.

2019 के चुनाव में ये था रिजल्ट

पीएम मोदी के धार्मिक यात्रा के रूट पर पड़ने वाली 212 सीटों में 2019 के चुनाव में एनडीए 95 सीटें जीता था, जिसमें 75 सीटें बीजेपी ने जीती थी. सागर से सरयू तक में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ही बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी जबकि आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में खाता भी नहीं खुला था. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के बहाने पीएम मोदी ने सागर से सरयू तक की यात्रा करके उत्तर से दक्षिण को जोड़ने की कवायद करते नजर आए हैं. पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा कि सागर से सरयू तक हर जगह राम नाम का वही उत्सव भाव छाया हुआ है. पीएम मोदी ने कहा कि प्रभु राम तो भारत की आत्मा की कण-कण से जुड़े हुए हैं.

दक्षिण भारत में विस्तार में बीजेपी

बीजेपी दक्षिण भारत में अपने विस्तार करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. पीएम मोदी का हर कदम राजनीतिक और चुनावी होता है. जिस तरह वो दक्षिण में मंदिर-मंदिर घूमे हैं उससे यही संकेत मिलता है. प्राण- प्रतिष्ठा के मौके पर पीएम मोदी ने सागर से सरयू को जोड़कर राम के चरित्र के निरुपण में एकरूपता का जिक्र कर उन्होंने राम के सहारे क्षेत्र, भाषा, जाति के बीच संतुलन साधने की कोशिश की. हालांकि, कर्नाटक को छोड़ कर बीजेपी का दक्षिण भारत में कोई अस्तित्व नहीं है. इसके बावजूद पीएम मोदी ने राम के सहारे दक्षिण को जीतने की उम्मीद बनाए रखा. कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव में अगर बीजेपी को उत्तर भारत में कोई झटका लगता है तो दक्षिण में कुछ सीटें जीतकर वो इसकी भरपाई कर सकती है. ऐसे में देखना है कि सागर से सरयू वाले रूट पर बीजेपी 2024 में क्या सियासी करिश्मा दिखाती है?

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