पेटीएम के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के पहले ही दिन धड़ाम से गिरे। पेटीएम चलानेवाली कंपनी वन नाइंटी सेवन कम्युनिकेशंस लिमिटेड के शेयरों को लेकर विशेषज्ञ चेतावनी तो दे रहे थे, लेकिन इशारे में। कंपनी के कामकाज, कंपनी के मुनाफे और घाटे, कारोबार में लगातार बढ़ते मुकाबले के कारण कंपनी के अनिश्चित भविष्य की आशंकाएं कारपोरेट जगत में जताई जाने लगी हैं। लेकिन शेयर बाजार की परिपाटी रही है कि बड़ी कंपनियों को लेकर कोई मुंह नहीं खोलता, लेकिन संकेत तो थे ही।
कंपनी के आइपीओ से पहले आने वाली कई रिपोर्ट में ‘स्किप’ की ‘रेटिंग’ पढ़ने में निवेशक चूक गए। विशेषज्ञ इस आधार पर लंबी अवधि के लिए सलाह देने लगे थे। कंपनी के शुरुआती दौर को लेकर भविष्य के सुनहरे सपने परोसे गए। अलबत्ता, वर्तमान में कंपनी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही।
शेयर बाजार में यह कंपनी देश का सबसे बड़ा आइपीओ ले आई। इसने बाजार से 18 हजार तीन सौ करोड़ रुपए की बड़ी रकम उठा ली, लेकिन सूचीबद्ध होने के दिन ही कंपनी की बाजार की पूंजीगत हिस्सेदारी (मार्केट कैप) में 39 हजार करोड़ रुपए की गिरावट आ गई। शेयर औंधे मुंह गिरे। जिन लोगों ने 2150 रुपए में शेयर खरीदा, उन्हें पहले ही दिन 27 फीसद तक घाटा हो चुका था।
आने वाले दिनों में गिरावट का सिलसिला थमेगा या नहीं, इसकी गारंटी विशेषज्ञ नहीं दे पा रहे हैं। एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय दलाल कंपनियां पेटीएम का सही भाव 1200 रुपए तक बताकर रिपोर्ट जारी कर रही हैं। इस तरह की रिपोर्ट सूचीबद्धता के दिन बाजार खुलने के पहले आ चुकी थीं। सोमवार को भी शेयरों का लुढ़कना जारी रहा। सोमवार को इसके शेयरों की कीमत में और 17 फीसद की गिरावट आई। अब तक कीमत लगभग 44 फीसद तक कम हो चुकी है।
सोमवार को सुबह 11.30 बजे पेटीएम का शेयर 11.98 फीसद की गिरावट के साथ 1376.75 रुपए पर ट्रेंड कर रहा था। बीएसई पर कारोबार के दौरान यह 1350.35 रुपये तक गिर गया। इस तरह निवेशकों को प्रति शेयर 800 रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। अक्तूबर में कंपनी की पूंजी में पिछले साल के मुकाबले 131 फीसद की तेजी आई थी और यह 11.2 अरब डालर पहुंच गया था, लेकिन बाजार में लिस्ट होने के बाद से इसमें गिरावट का दौर जारी है।
दस म्युचुअल फंड हैं, जिनके प्रबंधकों ने इसमें ‘एंकर इंवेस्टर’ के तौर पर अपने फंड का पैसा लगाया। सवाल यह है कि बाजार की नब्ज समझने वालों से भी कहां चूक हो गई। उनकी जिम्मेदारी अपने निवेशकों के पैसे सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ाने की है। फिर उन्हें क्या हो गया था? दरअसल, बाजार की भाषा में इस तरह के निवेश की परिपाटी को ‘फोमो’ (फियर आफ मिसिंग आउट) कहा जाता है- कहीं गाड़ी छूट न जाए।
कुछ ही दिन पहले जोमैटो का आइपीओ आया, वह कंपनी भारी घाटे में चल रही है और भविष्य का पता नहीं, लेकिन उसके शेयर 53 फीसद से ज्यादा की कीमत पर सूचीबद्ध हुए। इसी तरह नायका का आइपी भी रहा। उन कंपनियों में शेयर की कीमत काफी ऊंची रही। निवेशकों का पैसा दोगुना हो गया। इसके बाद निवेशकों ने इस आइपीओ में धन लगाना शुरू किया कि बाजार से कुछ न कुछ मिल ही जाएगा।
दरअसल, वर्ष 2021 में काफी संख्या में आइपीओ आए। करीब 50 कंपनियां सूचीबद्ध हुईं, जिनमें पहले दिन औसतन 31 फीसद की कमाई हुई।हालांकि, हर आइपीओ में कमाई नहीं हुई। पेटीएम के शेयर उन्हीं आइपीओ में रहे। पेटीएम के साथ आइपीओ लाने वाली कंपनियों में कल्याण ज्वैलर्स और विंडलास बायोटेक10 फीसद से ज्यादा गिरीं। सूर्योदय, कारट्रेड, नुवोको विस्टाज और एसआइएस एंटरप्राइजेज जैसी कंपनियों के शेयर पहले दिन पांच से 10 फीसद तक गिरे। हालांकि, उम्मीद अब भी कायम है। आइपीओ में नुकसान के बड़े उदाहरण इंफोसिस, एचडीएफसी और मारुति जैसे शेयर हैं, जिनके निवेशकों ने पहले तो नुकसान उठाया। बाद में जमकर कमाई की।
लगातार गिरावट झेल रही कपंनी पेटीएम का बाजार पूंजीकरण भी अब एक लाख करोड़ रुपए से नीचे आ चुका है। मौजूदा समय में कंपनी का मार्केट कैप 84032 करोड़ रुपए दिखाई दे रहा था, जबकि शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद कंपनी का मार्केट कैप एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का था। इसका मतलब है कि कंपनी के मार्केट कैप में करीब 20 हजार करोड़ रुपए की गिरावट आ चुकी है।