बिहार में नगर निकाय चुनाव एक बार फिर से टल सकता है. मिली जानकारी के अनुसार बिहार में नगर निगम चुनाव के चुनाव में और देरी हो सकती है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन को निर्धारित करने के बनाये डेडिकेटेड कमीशन के काम पर रोक लगा दी है.
बिहार सरकार की पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने सरकार को आरक्षण देने के लिए ज़रूरी कवायद पूरा करने के लिए कमीशन बनाने की रियायत दी थी. इसी आदेश को सुनील कुमार नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
वहीं इस संबंध में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी प्रेस कांफ्रेस कर कहा है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव फिर से टल सकता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चुनाव टलने का खतरा हो गया है. स्थानीय निकाय चुनाव के लिए डेडीकेटेड आयोग बनाने की बात न्यालय ने कही थी. लेकिन, सीएम नीतीश कुमार ने अतिपिछड़ों को धोखा दिया है.
सुशील मोदी ने कहा कि पहले से जो आयोग अधिसूचित था, उसका रातों रात गठन किया गया और उसमे जेडीयू और राजद नेताओं को सदस्य बनाया गया. जबकि अतिपिछड़ा आयोग रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनाया जाना चाहिए था. अतिपिछड़ा आयोग के द्वारा जल्दबाजी में सर्वे किया गया है. सर्वे के काम में सिर्फ 21 लोगों को लगाया गया. सर्वे के नाम पर आयोग पटना नगर निगम में सिर्फ 350 परिवार के सर्वे का रिपोर्ट देने जा रहा है. इसलिए इन बातो को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डेडीकेटेड कमीशन बनाने और सरकार के द्वारा बनाए गए इस कमीशन की रिपोर्ट पर रोक लगाई है.
‘तेजस्वी यादव ने अब तक नहीं की समीक्षा’
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को अब माय समीकरण पर भरोसा है, अतिपिछड़ों पर नहीं. तेजस्वी यादव नगर विकास विभाग के मंत्री है, लेकिन अभी तक उन्होंने नगर निकाय चुनाव के लिए कोई समीक्षा नहीं की है. दरअसल तेजस्वी को नगर निकाय चुनाव और आरक्षण के बारे में एबीसीडी भी नहीं मालूम है.